जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर

जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर – जोधपुर का सबसे बड़ा मन्दिर महामंदिर ,  जोधपुर का गणेश मन्दिर प्रसिद्ध एंव पुरान मन्दिर ,  जोधपुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर रातानाडा , मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित चामुंडा माता मंदिर ,पहाड़ को काटकर बनाया सिद्धनाथ महादेव मन्दिर , रानी राजकंवर द्वारा बनाया भगवान कृष्ण का मंदिर , जलाशय वाला अचलनाथ मन्दिर , जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर,

जोधपुर का सबसे बड़ा मन्दिर महामंदिर :-
अगर आप जोधपुर में महामंदिर का पता पूछेंगे तो जोधपुर में रहने वाला कोई भी निवासी आपको बता देगा ,मगर जब आप उससे मंदिर के बारे में पूछेंगे तो वो अपना सर खुजाने लग जाएगा|ये बड़ी विडंबना है की प्रत्येक शहर के कुछ प्राचीन स्थल के आस पास की बसावट उस स्थल से इतनी प्रसिद्द हो जाती है की मूल स्थल नेपथ्य में चला जाता है बस कुछ इक्का दुक्का पुराने लोग ही जानते है| मै भी जोधपुर का निवासी होने के बावजूद जब उसे देखने गया तो मुझे भी मशक्कत करनी पड़ी| जोधपुर में भी अनेक ऐसे एतिहासिक स्थान है जो समय के साथ भुलाए जा चुके है |जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |
कहते है की जब जोधपुर के महाराजा विजय सिंह जी का स्वर्गवास हुवा तो उनके स्थान पर उनका पौत्र भीम सिंह राजगद्दी पर बैठ गया और उसने अपनी गद्दी सुरक्षित करने के लिए राजगद्दी के सभी संभावित दावेदारों को मरवाना आरम्भ कर दिया| विजय सिंह के अन्य पौत्र मान सिंह ने भाग कर जालोर दुर्ग में शरण ली और अपनी जान बचाई और जालोर पर अधिकार कर स्वयं को मारवाड़ का शासक घोषित कर दिया| भीम सिंह ने अपने सेनापति अखेराज सिंघवी को दुर्ग पर घेरा डालने के लिए भेजा बाद में उसे सफलता प्राप्त न करते देख कर उसकी जगह इन्द्राज सिंघवी को सेनापति बना कर भेजा|भीम सिंह की सेना ने लगातार दस वर्षो तक दुर्ग के चारो तरफ सेना का घेरा डाले रखा|कहते है के जब आखिरकार सेना से बचने का कोई रास्ता न देख कर मान सिंह ने दुर्ग को छोड़ने का विचार किया तो जालंधर नाथ पीठ के योगी आयास देवनाथ ने उसे संदेसा भेजा की चार पांच दिन तक और रुक गए तो मारवाड़ के शासक बन जाओगे| मान सिंह जी ने आयास देवनाथ की बात मानकर चार दिन और भीम सिंह की सेना का प्रतिरोध किया| चार दिन बाद ही 21 अक्टूबर 1806 को भीम सिंह की म्रत्यु हो गई और सेनापति इन्द्रराज सिंघवी मान सिंह जी को ससम्मान जोधपुर लाया और उसे मारवाड़ का महाराजा घोषित कर दिया| कृतज्ञ महाराजा मान सिंह जी ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुवे मेडती दरवाजे से थोडा आगे अपने गुरु आयास देवनाथ के लिए भव्य और विशाल मंदिर का निर्माण करवाया जो की अपनी भव्यता के कारण महामंदिर कहलाया| जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |

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जोधपुर का गणेश मन्दिर प्रसिद्ध एंव पुरान मन्दिर :-
गणेश मन्दिर का निर्माण 9 अप्रेल 1804 को प्रारम्भ हुवा और 4 फरवरी 1804 को पूर्ण हुवा | इसके निर्माण में 10 लाख रुपयों का व्यय हुवा था| मंदिर परिसर चारो और प्राचीर तथा चार विशाल दरवाजो का निर्माण किया गया था जो इसे एक दुर्ग का स्वरुप देता था| परिसर के मध्य मुख्य मंदिर, दो महल और एक बावड़ी और एक तालाब मानसागर का तथा नाथ योगियों के शमशान का निर्माण किया गया है| मुख्य मंदिर का विशाल दरवाजा और उसके ऊपर बने झरोखे के कारीगिरी देखते ही बनती है|मुख्य मंदिर के चारो तरफ विशाल कलात्मक छतरियो का निर्माण किया गया है जिनके गुम्बद पर नक्काशी का सुन्दर काम किया गया है और मुख्य द्वार के ऊपर बने झरोखों के अलावा तीनो तरफ झरोखों का निर्माण किया गया है| मुख्य मंदिर के सामने संगमरमर का सुन्दर सा तोरण द्वार बना हुवा है जो आपको मंदिर में ले जाता है| मंदिर एक ऊँची चोकी पर बना हुवा है जिस पर एक विशाल गुम्बद और गर्भ गृह का निर्माण किया गया है गर्भ गृह के चारो तरफ गुम्बद के नीचे उसे आधार देने के लिए 84 खम्बे निर्मित है जिन पर बेहद सुन्दर कलाकारी की गई है| गर्भ गृह के अन्दर संगमरमर की चोकी पर लकड़ी के सुन्दर से सिहासन पर जालंधर नाथ जी की मूर्ति राखी गई है | जिसके चारो तरफ दीवार पर हैरत अंगेज सोने के पानी का कार्य किया गया है और दीवार पर 84 योगासनों तथा प्रसिद्द नाथ सम्प्रदाय के योगियों के अद्भुत चित्र उकेरे गए है| गुम्बद के अन्दर चांदी का काम हुवा है|गर्भ गृह के बाहर भी दीवारों पर कलात्मक भित्ति चित्रों का निर्माण किया गया है जिनकी सुन्दरता सदिया बीत जाने के बाद भी अक्षुण्ण बनी हुई है|मंदिर परिसर में दो महलो का निर्माण किया गया था जिसमे से एक में नाथ महाराज स्वयं रहते थे और दूसरा नाथ योगियों की दिव्य आत्माओं के निवास के लिए बनाया गया था जिसमे आज भी एक भव्य सुसज्जित पलंग रखा हुवा है जिसके बारे में ये कहा जाता है की यह नाथ योगियों की आत्माए विश्राम करती है | मंदिर के अन्दर एक कुआ है जिसके बारे में कहा जाता है की उसका जल कभी नहीं सुखा और मारवाड़ के प्रसिद्द छप्पनिया अकाल में भी उसका जल नहीं सुखा था| मंदिर परिसर में महाराजा मानसिंह जी ने शिलालेख लगवाया था जिसमे लिखवाया गया था की जो भी इस मंदिर की शरण में आ जाता है उसके प्राणों की रक्षा करना मंदिर का कर्तव्य बन जाता है| कहते है की जिस भी व्यक्ति को मान सिंह जी प्राण दंड नहीं देना चाहते थे उसे इस मंदिर में भेज देते थे और जब अंग्रेज पदाधिकारी उस आदमी को पकड़ते तो उन्हें ये शीला लेख दिखा दिया जाता था और उनसे कहा जाता था की ये मंदिर की परंपरा है | जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |
सुर्यनगरी जोधपुर में किसी भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व आमंत्रित किए जाने वाले रातानाडा गणेशजी का मंदिर शहरवासियों का प्रमुख आस्था स्थल है। सूर्यनगरी के बप्पा भक्तों में ऐसी मान्यता है कि विवाह कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व रातानाडा मंदिर से प्रतीकात्मक मिट्टी के विनायक लाकर जो व्यक्ति विवाह स्थल परिसर में विराजित करता है तो विवाह समारोह निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है।
किशोर सारस्वत जोधपुर. सूर्यनगरी जोधपुर में किसी भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व आमंत्रित किए जाने वाले रातानाडा गणेशजी का मंदिर शहरवासियों का प्रमुख आस्था स्थल है। सूर्यनगरी के बप्पा भक्तों में ऐसी मान्यता है कि विवाह कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व रातानाडा मंदिर से प्रतीकात्मक मिट्टी के विनायक लाकर जो व्यक्ति विवाह स्थल परिसर में विराजित करता है तो विवाह समारोह निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है।
द्धालु भक्तजन घर में होने वाले प्रत्येक वैवाहिक कार्य का प्रथम निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने पहुंचते हैं। शुभ दिन व मुहूर्त में मंदिर में विधिवत मिट्टी के मांडणेयुक्त एक पात्र में गणेशजी को प्रतीकात्मक मूर्ति के रूप में स्थापित कर गाजे-बाजों के साथ विवाह होने वाले व्यक्ति के घर पर लाया जाता है और विवाह कार्य पूर्ण होने के बाद पुन: आभार सहित गणपति की प्रतीकात्मक मूर्ति को मंदिर पहुंचाया जाता है। जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |

जोधपुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर रातानाडा :-
जोधपुर का प्रसिद्ध मंदिर शिव मंदिर रातानाडा में बना हुआ है वहां पर भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित की गई है एवं वहां पर एक विशाल शिवलिंग का निर्माण हुआ है संभवत माना जाता है की शिव जी का अदभूत पर्चा है और वहां पर भव्य मंदिर बना हुआ है भगवान शिव के मंदिर में लाखों भक्त दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं वहां पर महाशिवरात्रि के दिन मेला भरा जाता है एवं वहां पर महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है इस प्रकार जोधपुर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर रातानाडा में स्थित है वहां पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की एक बड़ी मूर्ति स्थापित की गई है जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |

मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित चामुंडा माता मंदिर :-
चामुंडा माता का मंदिर जोधपुर के प्रसिद्ध शासक राव जोधा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था चामुंडा माता का मंदिर जोधपुर के शासकों की कुलदेवी मानी जाती है राव जोधा ने 1460 में मेहरानगढ़ किला के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया था एवं मूर्ति स्थापित की थी मंदिर के द्वारा आम जनता के लिए भी इस मंदिर को खुला रखा जाता था चामुंडा माता मात्र शासकों की नहीं बल्कि अधि संख्या जोधपुर निवासियों की कुलदेवी थी आज भी लाखों लोग इस देवी को पूजते हैं नवरात्र के दिन में यह विशेष पूजा-अर्चना की जाती है विशेष प्रकार के कार्यक्रम मनाए जाते हैं एवं 9 दिन मां चामुंडा माता के मंदिर में नवरात्रि का मेला भरा जाता है जिसमें लाखों लोग दूर-दूर से मां चमड़ा माता के दर्शन करने के लिए आते है जो बाहर से आने वाले पर्यटक मां चामुंडा माता के दर्शन करके मेहरानगढ़ दुर्ग को देखकर अति प्रसन्न होते हैं इस प्रकार का जोधपुर में प्रसिद्ध चामुंडा माता मंदिर स्थित है । जोधपूर में प्रसिद्ध मन्दिर |

पहाड़ को काटकर बनाया सिद्धनाथ महादेव मन्दिर :-
सिद्धनाथ महादेव का मंदिर तख्त सागर की पहाड़ियों के बीच स्थित एक भव्य मंदिर है इस मंदिर मैं जाने का मार्ग एक कच्चे रास्ते से शुरू होता है जो ऊपर पहाड़ की ओर चढ़ना होता है भगवान शंकर का मंदिर एक गुफा में स्थित है इस मंदिर का इतिहास एक अनूठा इतिहास माना जाता है कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की गुफा से दूध की नदियां बहती थी उसके बाद धीरे-धीरे उसमें पानी की नदियां बैथी थी लेकिन आज भी उस गुफा में पानी की बूंदे आती है एवं सिद्धनाथ महादेव का मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है वहां पर भगवान शिव के शिवलिंग स्थापित किया गया है वहां पर भगवान शिव माता पार्वती एवं गणेश जी की त्रिमूर्ति स्थापित की गई है उस मंदिर में खास बात यह है कि भगवान शिव के शिवलिंग के पास आज भी एक गौ माता का पैर का निशान बना हुआ है सिद्धनाथ महादेव प्रसिद्ध मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर की खास विशेषता के कारण भगवान शिव के मंदिर को देखने के लिए आते हैं एवं सच्चे मन से सिद्धनाथ जाने वाले भक्तों को भगवान शिव की प्रतिमा दिखाई देती है उसी के पास में पहाड़ी के नीचे कायलाना झील स्थित है और वहां का नजारा कुछ अलग ही है भगवान शिव का मंदिर पहाड़ को काटकर कर गुफा के अंदर बनाया गया है आज भी वहां अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है महाशिवरात्रि के दिन यहां पर भजन संध्या एवं महाशिवरात्रि का पावन पर्व का मेला भरा जाता है जिसमें लाखों की संख्या में लोग आते हैं एवं महाशिवरात्रि का आनंद लेते हैं और भगवान शिव का जागरण होता है

रानी राजकंवर द्वारा बनाया भगवान कृष्ण का मंदिर :-
भगवान कृष्ण का एक नाम रणछोड़ भी है रणछोड़ जी का मंदिर जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह की द्वितीय रानी जाड़ेची राज कंवर ने 1905 में एक लाख रु खर्च कर बनाया था उस समय जोधपुर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने ही जमीन को खासतौर से 3 फीट ऊंचा किया गया ताकि रानी राजकुमार मेहरानगढ़ की प्राचीन से दर्शन कर सकें मंदिर निर्माण के बाद रानी किले की प्राचीन से ही संध्या आरती के दर्शन करती थी मंदिर पुजारी आरती की ज्योतिष को नियमित मंदिर छत पर ले जाता था रानी राजकुमारी जीवन में अभी दर्शन नाथ मंदिर नहीं पहुंची राजकुमारी के पुत्र महाराजा सरदार सिंह की मौजूदगी में मंदिर को भक्तों के दर्शन के लिए खोला गया था आज इस मंदिर को गंगा श्याम जी का मंदिर के नाम से भी जाना जाता है वर्तमान में देवस्थल विभाग प्रतिबंधित मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष मनोरथ और आकर्षक रोशनी की जाती है रणछोड़ मंदिर में कलात्मक मुख्य प्रवेश द्वार से करीब 3 सीढ़ियां पूरी होने के बाद एक कलात्मक तोरण द्वार है मंदिर के गर्भ गृह में काले मकराना पत्थर की भगवान रणछोड़ की प्रतिमा स्थापित है

जलाशय वाला अचलनाथ मन्दिर :-
अचलनाथ मंदिर जोधपुर का एक भव्य मंदिर है इस मंदिर का निर्माण 1531 में करवाया गया था इस मंदिर का निर्माण नानक देवी के द्वारा किया गया था इस मंदिर की खास बात है कि मंदिर के अंदर शिवलिंग के पास एक गंगा बावड़ी नामक एक जलाशय बनाया गया है उसका प्रयोग पेयजल के रूप में काम में लिया जाता है मंदिर के गर्भ के गृह में अनेक प्रकार के मंडप भवन कीर्तन है इस मंदिर में छित्र पत्थर से नक्काशी को बनाया गया है मंदिर जाने का समय 10:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से लेकर 8:00 बजे तक रहता है इस प्रकार का एक बहुत ही सुंदर एवं लोकप्रिय मंदिर है

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