भारत के इन मंदिरों में मिलता है नॉन-वेजिटेरियन प्रसाद:- नमस्कार मित्रों आज हम बात करेंगे भारत के इन मंदिरों में मिलता है नॉन-वेजिटेरियन प्रसाद के बारे में भारत विविधताओं का देश है। यहां पर सिर्फ रहन-सहन, भौगोलिक संरचना या खान-पान को लेकर की विविधता ही नहीं देखी जाती है। बल्कि लोगों की अपनी आस्था व मान्यताएं हैं। भारत में हर कुछ किलोमीटर पर संस्कृति बदलती है और हर जगह की अपनी मान्यताएं होती हैं। आमतौर पर, लोग मंदिर को एक बेहद ही पवित्र स्थान मानते हैं और इसलिए वहां पर नॉन-वेज तो क्या प्याज व लहसुन का सेवन करके भी आने की मनाही होती है। लेकिन भारत के हर मंदिरों मे ऐसा नहीं होता है। कुछ मंदिरो में लोग बलिदान परंपरा को मानते है और इसलिए अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए मांसाहारी आहार को बतौर भोग चढ़ाते हैं। बाद में, वहीं भोग प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मंदिर में नॉन-वेज आहार के प्रसाद के रूप में मिलने की बात थोड़ी अटपटी लगे, लेकिन वास्तव में यही सच है। तो आइए हम जानते हैं इस आर्टिकल में विस्तार से.
कालीघाट मंदिर, पश्चिम बंगाल
- कालीघाट काली मंदिर कोलकाता के पश्चिम बंगाल भारत में स्थित है
- देवी काली को समर्पित है
- यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है
- 51 शक्तिपीठों में से सिर्फ एक है
- किदवंती है कि यहां पर सती का पैर का अंगूठा भी यही पर गिरा था
- एक एक प्राचीन मंदिर है और लगभग 200 वर्ष पुराना है
- मंदिर में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई हैं
- उनके गले में नरमुंडो की माला है
- मंदिर में पशु बलि दी जाती है
- देवी को साल भर में लगभग 499 बकरियां प्रदान की जाती हैं
मुनियांदी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
- मुनियांदी स्वामी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में वडक्कमपट्टी नामक एक छोटे से गांव में स्थित है
- यह मंदिर भगवान मुनियादी अर्थात मुनीस्वरार को समर्पित है
- इन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है
- भगवान मुनियादी के सम्मान में इस मंदिर में एक तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है
- जिसमें चिकन और मटन बिरयानी को प्रसाद के रूप में परोसता है
- लोग नाश्ते के लिए बिरयानी खाने के लिए मंदिर में आते हैं
विमला मंदिर, ओडिशा
- विमला मंदिर ओडिश के पुरी में स्थित प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर पवित्र तालाब रोहिणी कुंड के बगल में स्थित है
- विमला को जगन्नाथ की तांत्रिक पत्नी और मंदिर परिसर की संरक्षक माना जाता है
इसलिए, इसका महत्व जगन्नाथ मंदिर से भी अधिक है - भगवान जगन्नाथ को कोई भी प्रसाद तब तक महाप्रसाद के रूप में नहीं चढ़ाया जा सकता, जब तक कि उसे पहली बार विमला देवी को नहीं चढ़ाया जाता
- इस मंदिर में देवी को विशेष दिनों में मांस और मछली का भोग लगाने की परंपरा बदस्तूर जारी है
तारकुल्हा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश
- तारकुल्हा देवी मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है
- इस मंदिर में हर साल वार्षिक खिचड़ी मेला आयोजित किया जाता है
- जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है। माना जाता है
- यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है
- खासतौर से, चैत्र नवरात्रि में देश भर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं
- इस खास समय पर वह लोग देवी को एक बकरा चढ़ाते हैं
- जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है
- इसके बाद इस मांस को रसोइयों द्वारा मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है
- भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है
Conclusion:- मित्रों आज के इस आर्टिकल में भारत के इन मंदिरों में मिलता है नॉन-वेजिटेरियन प्रसाद के बारे में कभी विस्तार से बताया है। तो हमें ऐसा लग रहा है की हमारे द्वारा दी गये जानकारी आप को अच्छी लगी होगी तो इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही इंटरेस्टिंग पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहे हमारी साइबारिश के मौसम में हर घुमक्कड़ को इन रोड ट्रिप का लुत्फ़ उठाना चाहिएट TripFunda.in के साथ (धन्यवाद)
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