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बॉक्सिंग क्या है मुक्केबाजी के नियम
बॉक्सिंग एक लड़ाकू खेल है जिसमें दो लोग, आमतौर पर सुरक्षात्मक दस्ताने और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण जैसे कि हाथ लपेटने और माउथगार्ड पहने हुए, एक बॉक्सिंग रिंग में एक पूर्व निर्धारित समय के लिए एक-दूसरे पर घूंसे फेंकते हैं ।
एमेच्योर मुक्केबाजी ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों दोनों का खेल है और अधिकांश अंतरराष्ट्रीय खेलों में एक मानक स्थिरता है – इसकी अपनी विश्व चैंपियनशिप भी है। एक-से-तीन मिनट के अंतराल की एक श्रृंखला पर एक रेफरी द्वारा मुक्केबाजी की देखरेख की जाती है जिसे राउंड कहा जाता है।
एक विजेता को राउंड के पूरा होने से पहले हल किया जा सकता है जब एक रेफरी एक प्रतिद्वंद्वी को जारी रखने, प्रतिद्वंद्वी की अयोग्यता, या प्रतिद्वंद्वी के इस्तीफे में असमर्थ मानता है । जब लड़ाई अपने अंतिम दौर के अंत तक पहुँच जाती है और दोनों विरोधी अभी भी खड़े होते हैं, तो जजों के स्कोरकार्ड विजेता का निर्धारण करते हैं। इस घटना में कि दोनों लड़ाके न्यायाधीशों से समान अंक प्राप्त करते हैं, पेशेवर मुकाबलों को ड्रॉ माना जाता है । ओलंपिक मुक्केबाजी में, क्योंकि एक विजेता घोषित किया जाना चाहिए, न्यायाधीश तकनीकी मानदंडों पर एक लड़ाकू को प्रतियोगिता का पुरस्कार देते हैं।
इतिहास वर्ष 1896 में एथेंस ओलिम्पिक को पुन: शुरू किया गया था, तब कहा गया था कि यह खतरनाक खेल है और इसे ओलिम्पिक में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। बाद में किसी तरह 1904 में इसे ओलिम्पिक में शामिल किया गया। 1912 में इसे फिर से बाहर कर दिया गया, लेकिन 1912 में यह ओलिम्पिक का हिस्सा बन गया।
मुक्केबाजी के प्रसिद्ध खिलाड़ी –
मुक्केबाज़ी आज ओलम्पिक से लेकर कॉमनवेल्थ तक इंटरनेशनल स्तर के हर मंच पर स्वीकृत है। इस ऐतिहासिक प्रसिद्ध खेल की दुनिया से नायाब चेहरे निकल कर आए हैं। नजर डालते हैं मुक्केबाज़ी जगत के कुछ बेताज बादशाहों पर
1. डिऔंटे वाइल्डर –
अमेरिका का ये हैवीवेट बॉक्सर आज तक हारा नहीं है। 96.96 फीसदी के अनुपात में नॉकआउट करके मैच जीतने वाले वाइल्डर ने अक्टूबर 2005 से अपना मुक्केबाज़ी कॅरियर शुरू किया था।
2. शुगर रे रॉबिन्सन –
1940 से 1965 तक का समय मुक्केबाज़ी में छाये रहे रॉबिन्सन ने 173 रिकॉर्ड जीत दर्ज की। इनमें से 109 मैच रॉबिन्सन ने नॉकआउट जीते। ऐसा मुक्केबाज़ी टैलेंट दुनिया में किसी ने नहीं देखा होगा जो प्रतिद्वंद्वी को पलक झपकते ही अपने मुक्के से नॉकआउट कर दे।
3. रॉकी मारिकानो-
रॉकी ने 1948 से 1955 का समय मुक्केबाज़ी रिंग को दिया, जिस दौरान वो सबसे मजबूत खिलाड़ी बना रहा। अपने 49 जीते मैच में उसने 43 नॉकआउट कमाए और अपने कॅरियर में कभी कोई मैच नहीं हारा। उसकी रैंक थोड़ी नीचे इसलिए रही क्योंकि उसका कॉम्पटिशन कभी मोहम्मद अली या रॉबिन्सन जितना तगड़ा नहीं रहा।
4. हेनरी आर्मस्ट्रॉग-
सन 1931 से 1945 तक कुल 150 मैच जीतने वाले हेनरी ने 100 मैच नॉकआउट जीते। 3 तरह की वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतने वाला वो अकेला खिलाड़ी था।
5. जैक डेम्पसे-
अमरीका के बेहतरीन बॉक्सर में से एक डेम्पसे ने अपनी उपस्थिति के लिए भी कई रिकॉर्ड दर्ज करवा लिए। सबसे खुंखार और सबसे ज्यादा मनोरंजक डेम्पसे एक जंगली बॉक्सर था। उसकी 66 जीत में से 51 नॉकआउट रहे।
6. जैक जॉनसन-
सन 1897 से 1945 तक मुक्केबाज़ी करने वाले जैक रॉय जोन्स और मोहम्मद अली से भी पहले अमेरिकन हेवी वेट चैम्पियन जीतने वाले पहले शख्स थे। लभगभ 10 साल तक लगातार उसने हर मैच जीता। वो सामने वाले को नॉकआउट नहीं करता था बल्कि लगातार मारता ही रहता था जिससे सामने वाले को और शर्मिंदा महसूस करवा सके। उसकी निंदा भी हुई और लोगों ने नफरत भी की, लेकिन वो पृथ्वी का सबसे ज्यादा पॉपुलर अफ्रीकन अमेरिकन इंसान रहा। उसकी 73 जीत में 40 नॉकआउट थे।
7. जो लुईस-
‘हिटलर को पछाड़ने वाला शख्स’ खिताब पाने वाला ब्राउन बॉम्बर अमेरिका का एक नायाब हीरा रह चुका है। 66 मैच जीतने वाले लुईस के नाम 52 नॉकआउट जीत भी दर्ज है। अमेरिका का ये नेशनल हीरो किसी समय में गर्व का चिन्ह भी था। वर्ल्ड वॉर के दौरान वो सिर्फ एक बॉक्सर नहीं था, बल्कि उसकी लड़ाई का सोशल, पॉलिटिकल और इंटरनेशनल महत्व भी था। ग्रेटेस्ट बॉक्सर की लिस्ट में लूईस आज भी नंबर वन है।
8. जूलियो सीजर शावेज-
सीजर का कॅरियर 1980 से 2005 तक ऊंचाई पर रहा। 107 जीत दर्ज करने वाले सीजर ने अपनी जिंदगी में 80 नॉकआउट कमाए। मैक्सिको के इस दिग्गज ने रिकॉर्ड बनाया कि लगातार 10 साल तक वो किसी से नहीं हारा। इसके चलते उसे मैक्सिको के ग्रेटेस्ट फाइटर का भी खिताब मिला।
9. माइक टाइसन-
1985 से लेकर 2005 तक टाइसन दुनिया का सबसे शक्तिशाली बॉक्सर रहा। 90 के दशक में उसे कोई हरा नहीं सकता था और लोग कहते थे कि वो हर सामने आने वाले को नॉकआउट कर सकता था। कुल 50 जीत में से 44 नॉकआउट करने वाले टाइसन से अपने कॅरियर में सिर्फ 6 मैच ही हारे।
10. मोहम्मद अली-
1960 से 1981 तक का समय मोहम्मद अली के लिए जैसे बुक हो गया था। बस उसके प्रदर्शन और जीत की चर्चा ही हर तरफ थी। मुक्केबाज़ी की दुनिया में मोहम्मद अली से बड़ा एंटरटेनर शायद ही कोई हुआ हो। अली ‘टॉप 10 ग्रेटेस्ट मुस्लिम एथलिट्स’ में पहले नंबर पर हैं।
11. विलियम पेप –
विलियम पेप 1940 से 1966 तक रिंग के सबसे खुंखार, पेचीदे और उम्दा खिलाड़ियों में से एक था। उसके नाम 229 बार जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। वो दुनिया का पहला फेदरवेट चैम्पियन था।
मुक्केबाज़ी का ऐतिहासिक प्रारम्भ –
तीसरी शताब्दी के ईसा पूर्व सुमेरियाई नक्काशी में मुक्केबाजी का पहला चित्र मिला तथा दूसरा सहशताब्दी ईसा पूर्व में प्रथम मुक्केबाज़ योद्धा तथा दर्शको दोनों का ही चित्र मिस्त्र की नक्काशी में स्थित है | यह दोनों ही चित्र मुट्ठियों की इस प्रतियोगिता को दर्शाते है | डॉ॰ ई. ए. स्पीसर जो की एक पुरातत्ववेत्ता थे जिन्हे इराक देश के बग़दाद शहर में प्राप्त मेसोपोटेमियाई शिला खंड में चित्रित दो पुरुष इनामी लड़ाई के लिए तैयार होते दिख रहे थे | माना जाता है की यह चित्रित शिला खंड 7000 वर्ष पुरानी है | यह पहली प्रमाणित लड़ाई थी जो कि दस्ताने पहन कर लड़ी गई
आधुनिक समय के मुक्केबाज़ी के नियम – (1743) ब्रॉटन नियम (Broughton Law) –
ब्रॉटन नियम का जैक ब्रॉटन के नाम पर रखा गया था | जैक ब्रॉटन मुक्केबाज़ी में उच्च समूह के विजेता थे जिन्होंने सन 1743 में मुक्केबाज़ी के कुछ नियमो को बनाया जिन्हे ब्रॉटन के नियम से जाना जाता है | इससे पहले के मुकाबलों में किसी भी तरह के लिखित नियमो के न होते किसी भी तरह की कोई सीमाएं और न ही कोई रेफरी होता था | जैक ब्रॉटन के नियमो के अंतर्गत यदि एक खिलाड़ी लड़ते हुए रिंग पर गिर जाता है और 30 सेकेंड में वह स्वयं से नहीं उठ पाता तो गिरे हुए खिलाड़ी की हार मानी जाती है तथा जो खिलाड़ी खड़ा रहता है उसे विजेता घोषित कर दिया जाता था | गिर हुए खिलाड़ी पर प्रहार करना या कमर के निचे के हिस्से में मारना नियमो के खिलाफ माना जाता था | मफलर तथा गद्देदार दस्ताने जिसका प्रयोग प्रशिक्षण व् प्रदर्शन में किया जाये का प्रयोग भी ब्रॉटन द्वारा करवाया गया | अठारवी शताब्दी के सफल मुक्केबाज़ ‘विलियम फ्युट्रेल’ ने शोध – पत्र का प्रकाशन किया | 9 जुलाई 1788 का एक मशहूर मुकाबला जिसमे स्मिथहैम बॉटम, क्रोयडॉन में जॉन जैक्सन जो की एक “सज्जन” एवं कम आयु का मुक्केबाज़ था जिसके साथ एक घंटे सत्रह मिनट चले इस मुकाबले से पहले तक अपराजित रहे | इस मुकाबले को देखने के लिए प्रिंस ऑफ वेल्स भी मौजूद थे |
(1838) लंदन में रिंग पुरस्कारिता के नियम –
सन 1838 के लन्दन पुरस्कारिता के नियमो को संहिताबृद्ध कर नए नियमो को संसोधित कर 1853 में ये नियम लागु किये गए | यह नियम इस प्रकार थे |
1. रस्सी से घिरा हुआ एक वर्गाकार रिंग जो कि 24 फ़ीट जितना हो |
2. यदि कोई खिलाडी अपने विरोधी खिलाडी को गिरा देता है तब उस खिलाड़ी को खुद ही 30 सेकेंड के अंदर उठना अनिवार्य हो जाता है तब यह खेल फिर से प्रारम्भ हो जाता है |
3. मुक्केबाज़ी करते वक़्त काटना , सिर से मरना या कमर के निचे के हिस्से पर प्रहार करना नियमो के विपरीत होता है |
मुक्केबाज़ी के नियम –
1. इसमें तीन मिंटो वाले समय अंतराल होते है जिनकी एक निर्धारित श्रृंखला होती है |
2. यह अधिकतम 12 चक्र तक ही होती है |
3. समय अंतराल के प्रत्येक चक्र के मध्य एक मिनट का ब्रेक दिया जाता है |
4. इस दौरान खिलाड़ी अपनी प्रस्तावित जगह (अपने कोने) में जा अपने कर्मचारियों व् सलाहकारों से सहायता प्राप्त कर सकता है |
5. खेल के इस रिंग में एक रेफरी भी होता है जो कि नियमो का उल्लंघन करने व् मुक्केबाज़ के व्यव्हार पर नियंत्रण रख सही व् सुरक्षित तरीके से लड़ने पर नज़र रखता है |
6. यदि कोई खिलाड़ी नॉक-डाउन हो जाता है तो उसे दोबारा खेल में शामिल होने के लिए रेफरी द्वारा गिनती कर अवसर प्रदान किया जाता है |
7. मुकाबले में अंक देना, संपर्क,प्रतिरक्षा , नॉकडाउन तथा अन्य व्यक्तिगत मापनो के आधार पर खिलाड़ियों को अंक देने के लिए रिंग के पास ही तीन निर्णायक बैठे रहते है |
8. कभी – कभी परिणाम निकलने में विवाद उत्पन्न होते है जब किसी खिलाड़ी को यह लगे कि दिया गया फैसला गलत है |
9. दोनों ही मुक्केबाज़ों को एक – एक कोना निर्धारित होता है |
10. खेल चक्र शुरू होने से पहले मुक्केबाज़ कोने से रिंग में प्रवेश करता है फिर समय चक्र समाप्त होने का संकेत मिलते ही दोनों खिलाड़ियों को अपने – अपने कोने में लोट जाने का नियम होता है |
प्रारंभिक लंदन पुरस्कार रिंग नियम –
शास्त्रीय मुक्केबाजी गतिविधि के रिकॉर्ड पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन के बाद गायब हो गए जब हथियारों का पहनना एक बार फिर आम हो गया और मुट्ठी से लड़ने में रुचि कम हो गई। हालांकि, 12वीं और 17वीं शताब्दी के बीच इटली के विभिन्न शहरों और प्रांतों में विभिन्न मुट्ठी-लड़ाई वाले खेलों के विस्तृत रिकॉर्ड हैं । प्राचीन रूस में एक खेल भी था जिसे कुलचनी बॉय या “फिस्ट फाइटिंग” कहा जाता था ।
जैसे-जैसे तलवारें पहनना कम आम होता गया, मुट्ठियों से बाड़ लगाने में दिलचस्पी फिर से बढ़ने लगी। यह खेल बाद में 16वीं शताब्दी की शुरुआत में इंग्लैंड में नंगे-नक्कल बॉक्सिंग के रूप में फिर से शुरू हुआ, जिसे कभी – कभी प्राइजफाइटिंग कहा जाता है । इंग्लैंड में नंगे-नक्कल लड़ाई का पहला प्रलेखित खाता 1681 में लंदन प्रोटेस्टेंट मर्करी में दिखाई दिया , और पहला अंग्रेजी बेयर-नक्कल चैंपियन 1719 में जेम्स फिग था। यह वह समय भी है जब “बॉक्सिंग” शब्द पहले इस्तेमाल करने के लिए आया था। आधुनिक मुक्केबाजी का यह प्रारंभिक रूप बहुत अलग था। मिस्टर फिग के समय में होने वाली प्रतियोगिताओं में, मुट्ठी की लड़ाई के अलावा, तलवारबाजी और कडलिंग भी शामिल थी। 6 जनवरी 1681 को, पहला रिकॉर्डेड बॉक्सिंग मैच ब्रिटेन में हुआ था, जब क्रिस्टोफर मोंक , अल्बेमर्ले के दूसरे ड्यूक (और बाद में जमैका के लेफ्टिनेंट गवर्नर ) ने अपने बटलर और उसके कसाई के बीच एक मुकाबला किया और बाद में पुरस्कार जीता।
आधुनिक मुक्केबाजी –
आधुनिक खेल अवैध स्थानों और गैरकानूनी पुरस्कारों से उत्पन्न हुआ और एक बहु-अरब डॉलर का व्यावसायिक उद्यम बन गया। अधिकांश युवा प्रतिभा अभी भी दुनिया भर के गरीबी से त्रस्त क्षेत्रों से आती है। मेक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप जैसे स्थान युवा महत्वाकांक्षी एथलीटों से भरे हुए साबित होते हैं जो मुक्केबाजी का भविष्य बनना चाहते हैं। यहां तक कि अमेरिका में भी, न्यूयॉर्क के भीतरी शहरों और शिकागो जैसी जगहों ने होनहार युवा प्रतिभाओं को जन्म दिया है। रुबिन के अनुसार, “मुक्केबाजी ने अमेरिकी मध्यम वर्ग के साथ अपनी अपील खो दी, और आधुनिक अमेरिका में अधिकांश बॉक्स सड़कों से आते हैं और स्ट्रीट फाइटर्स हैं”।
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