गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है

गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है – गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है, गणतंत्र दिवस का मतलब क्या है, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में क्या अंतर है, भारत का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है, गणतंत्र दिवस कब मनाया जाता है, गणतंत्र दिवस को इंग्लिश में क्या कहते हैं, गणतंत्र दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, पहली बार गणतंत्र दिवस कब मनाया गया, गणतंत्र दिवस 2021 के मुख्य अतिथि, कौन सा गणतंत्र दिवस है 2022,

गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है

गणतंत्र दिवस भारत के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक हैं | यह भारत का एक ऐसा पर्व हैं, जिसे लोग हर वर्ष बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ 26 जनवरी को मनाते हैं | इस पर्व को भारत के हर वर्ग और उम्र के भारतीय बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं | इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में ध्वजा रोहण किया जाता हैं जिसमें अधिकतर लोग शामिल होते हैं और इसके साथ ही इस दिन अधिकतर स्कूलों कई प्रोग्राम किये जाते हैं, जिसमें स्कूल के सभी विद्यार्थी शामिल होते हैं और इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते है | इसके बाद इस दिन सभी अभ्यर्थियों को बहुत सारे उपहार भी दिए जाते है | विद्यालयों के साथ साथ देश के सभी संस्थानों में ध्वजा रोहण का कार्यक्रम होता है संसथान सरकारी हो या फिर प्राइवेट इसके अलावा कई संघठन भी इस पर्व को पूरी देश भक्ति के साथ मनाते है | यदि आप भी गणतंत्र दिवस के बारे में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है

26 जनवरी रिपब्लिक डे मनाने का क्या कारण है –
वर्ष 1929 में दिसंबर में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” का अधिवेशन लाहौर में किया गया था, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य से 26 जनवरी 1930 तक भारत को एक डोमिनियन राज्य घोषित करने की मांग की गई, यदि इस अधिवेशन इस प्रस्ताव को पारित कर दिया जाता तो, भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही एक स्वशासित इकाई बन जाता | इसलिए ब्रिटिश साम्राज्य ने इस पर कोई अहम फैसला नहीं लिया और फिर 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज्य घोषित करने का फैसला लेते हुए स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपना आंदोलन शुरू कर दिया, जो 1947 तक लगातार चलता रहा | इसके बाद जब भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता मिल गई तो, इसके बाद से ही भारत में 15 अगस्त को “स्वतंत्रता दिवस” और 26 जनवरी को “गणतंत्र दिवस/ Republic Day ” के रूप में मनाया जाने लगा |

गणतंत्र दिवस का महत्व –
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है जो 26 जनवरी को मनाया जाता है। सन 1950 में 26 जनवरी को ही भारत सरकार अधिनियम को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। गणतंत्र दिवस के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। देश में स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के दिन भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है।

गणतंत्र दिवस समारोह –
हमारे देश में गणतंत्र दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जाता है। 26 जनवरी के दिन भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रध्वज फहराते हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है। वैसे तो गणतंत्र दिवस पूरे देश में ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन राजधानी दिल्ली में इसकी छटा देखने लायक होती है। हर साल गणतंत्र दिवस के दिन एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है जो इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक होती है। इस परेड के दौरान थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान शामिल होते हैं। इस परेड के दौरान तीन सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। यही नहीं इस दिन तीन सेनाएं आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन भी करती हैं जो राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है।

साथ ही इस परेड में देश के विभिन्न स्कूलों से आए बच्चे भाग लेते हैं और रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। यही नहीं गणतंत्र दिवस समारोह की एक खास बात यह है कि इस समारोह में पूरी दुनिया के देशों से कोई एक मुख्य अतिथि चुना जाता है जो सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद रहता है। गणतंत्र दिवस समारोह में परेड के दौरान सभी राज्यों की झांकी प्रस्तुत की जाती है। इस झांकी में सभी राज्य अपनी विविधता और संस्कृति की झलक प्रस्तुत करते हैं। यही नहीं इस कार्यक्रम में हर राज्य अपने प्रदेश के लोकगीतों तथा लोकनृत्यों का अद्भुत रूप प्रस्तुत करते हैं। गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए और दर्शक दीर्घा में बैठने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। साथ ही राष्ट्रीय चैनल इस समारोह का सीधा प्रसारण कर पूरे देशवासियों को इस समारोह की झलक दिखाते रहते हैं।

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है –
जिस दिन देश एक गणतांत्रिक राज्य बना था उस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 को देश ने संविधान को लागू किया और एक गणतांत्रिक राज्य बना था। इसलिए हर साल 26 जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाया जाता है। जिस दिन देश को आजादी मिली उस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप मे मनाया जाता है। भारत को 15 अगस्त , 1947 के दिन अंग्रेजी शासन से आजादी मिली थी। इसलिए हर साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस समारोह किस प्रकार मनाया जाता है –
भारत मे गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व के रूप मे बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन देश मे राष्ट्रीय अवकाश घोषित होता है। सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों मे सभी को छुट्टी दी जाती है। स्कूलों और कॉलेजों मे कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

गणतंत्र दिवस के दिन विशेष रूप से दिल्ली मे भव्य परेड का आयोजन होता है। इस परेड की अगुवाई देश के राष्ट्रपति करते है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक यह परेड होती है। भारतीय सेना की तीनों रेजिमेंट वायु सेना, जल सेना और थल सेना के जवान भी इस भव्य परेड मे हिस्सा लेते है। साथ ही देश के अलग अलग प्रदेशों से राष्ट्रीय कैडेट कोर और अलग अलग स्कूलों से चुने हुए बच्चे भी इस परेड का हिस्सा बनते है। इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना गर्व की बात होती है।

परेड मे विभिन राज्यों की झांकियां भी दिखाई जाती है। जहां हर राज्य की वेशभूषा , लोकसंगीत और संस्कृति की झलकियां प्रदर्शित की जाती है। देश विदेश के कई हजार लोग इस परेड को देखने दिल्ली आते है वहीं इसका प्रसारण टेलीविशन पर भी दिखाया जाता है।

हर साल गणतंत्र दिवस समारोह पर एक विशेष अतिथि को बुलाया जाता है। साल 2020 देश के 71वे गणतंत्र दिवस समारोह पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो विशेष अतिथि बन कर आये थे।

गणतंत्र दिवस का इतिहास क्या है –
दो सौ वर्षों के संघर्ष के बाद देश को 15 अगस्त , 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली थी। कहने को देश आजाद हो गया था किंतु न तो हमारा अपना कोई संविधान था और न ही व्यवस्था का कोई ढांचा था। आजादी मिलने के बाद भी देश ब्रिटिश कॉलोनी की तरह था और कुछ हद तक व्यवस्था का संचालन ब्रिटिश साम्राज्य के द्वारा ही चलता था। देश की तत्कालीन सरकार ने संविधान को रचने के लिए संविधान सभा का गठन किया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्य्क्ष चुना गया।

नए संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा द्वारा कुल 22 समितियों का निर्माण किया गया। इनमे सबसे महत्वपूर्ण समिति थी प्रारूप समिति जिसका काम संविधान के मूलभूत ढांचे को तैयार करना और सम्पूर्ण संविधान को लिखना था। डॉ.भीम राव आंबेडकर इस प्रारूप समिति के अध्यक्ष नियुक्त किये गए।

समिति द्वारा संविधान का एक प्रारूप तैयार किया गया और 4 नवंबर , 1947 को संविधान सभा के समक्ष इस प्रारूप को प्रस्तुत किया गया। इस तरह 2 साल 11 महीने और 18 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद संविधान संभा ने भारत के नए संविधान का ढांचा तैयार किया। विस्तृत विवेचन और कुछ हलके बदलावों के बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सभी 308 सदस्यों ने संविधान की दो हस्तलिखित प्रतियों (हिंदी और अंग्रेजी) पर हस्ताक्षर किये थे। इसके दो दिन बाद 26 जनवरी 1950 को यह संविधान देश भर मे लागू कर दिया गया। इस प्रकार भारत एक गणतांत्रिक राज्य के रूप मे स्थापित हुआ और सही मायनों मे देश को आजादी मिली।

भारत के संविधान की विशेषता क्या है –
1. भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।
2. यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
3. संविधान की दो प्रतियां हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे हस्तलिखित है।
4. दोनों प्रतियां प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा हाथों से लिखी गयी थी।
5. संविधान के हर पन्ने को चित्रों से सजाने का श्रेय आचार्य नन्दलालबोस जी को जाता है।
6. देश के संविधान के कई प्रावधान अन्य देशों के संविधान से लिए गए है। बावजूद इसके भारतीय संविधान अपने मे अनूठा और विशेष है।
7. भारतीय संविधान कुल 22 भागों मे विभाजित है और इसमें 465 अनुछेद और 12 अनुसूचियाँ है।
8. संविधान सभा के अध्य्क्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे तो वही प्रारूप समिती के अध्यक्ष थे डॉ भीम राव अम्बेडकर।
9. संविधान निर्माण मे कुल 2 वर्ष से भी ज्यादा का समय लगा जिसमे संविधान सभा ने कुल 114 दिन बैठके की थी।
10. हमारे संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी के संविधान से ली गयी थी। इसकी शरुवात “हम भारत के लोग ” से होती है।
11. भारतीय संविधान धार्मिक भेदभाव का निषेध करता है इसलिए संविधान के अनुसार देश का कोई आधिकारिक धर्म भी नहीं है।
12. एक तरफ भारतीय संविधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। वहीं दूसरी तरफ नागरिकों को उनकी जिम्मेदारी के निर्वाहन के लिए दिशा निर्देश भी देता है।
13. 26 नवंबर के दिन संविधान सभा ने नए संविधान के प्रारूप को मान्यता दी थी इसलिए साल 2015 से हर साल 26 नवंबर संविधान दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
14. भारतीय संविधान मे अब तक कुल 124 बार संशोधन हुए है।
15. संविधान निर्माताओं ने तिरंगे को राष्ट्रीय झंडा और अशोक चक्र को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया था।

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन –
गणतंत्र दिवस समारोह उत्साह पूर्वक मनाने के बाद समारोह का धूमधाम से समापन किया जाता है जिसे बीटिंग रीट्रीट कहा जाता है। यह समारोह 26 जनवरी के तीसरे दिन अर्थात 29 जनवरी को आयोजित किया जाता है। इस समारोह में तीन सेनाएं भी शामिल होती हैं। यह समारोह राष्ट्रपति भवन के पास मनाया जाता है। इस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रपति शामिल होते हैं जिन्हें तीनों सेनाओं के प्रमुख सलामी देते हैं।

26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है –
1. ये जानने के लिए हमें इतिहास में झांकना होगा | वर्ष 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे।
2. इस अधिवेशन में प्रस्ताव पास हुआ कि अगर अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा।
इसके बावजूद 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन शुरू किया।
3. इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया। इसके बाद से भारत ने 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा |
4. और जब 1947 में देश आजाद हुआ 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया।
5. हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था। उस दिन (26 नवंबर ) अब भी संविधान दिवस मनाया जाता है |
6. परंतु 26 जनवरी का दिन पहले से ही महत्वपूर्ण था तो 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

गणतन्त्र दिवस के कार्यक्रम –
26 जनवरी के दिन सारे भारत में उल्लास और उमंग के साथ नाना प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। गणतंत्र दिवस का मुख्य उत्सव भारत की राजधानी दिल्ली में होता है। राष्ट्रपति की भव्य सवारी एक विशाल जुलूस के साथ निकलती है।

तोपों की गूंज से इस महान् दिवस का स्वागत किया जाता है। जुलूस में जल, थल और वायु सेना के सैनिक पूरी सजधज से भाग लेते हैं। विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों की झाँकी प्रदर्शित की जाती है। यह झाँकी भारत की सैन्य शक्ति का परिचय देती है।

फिर तरह-तरह की सजी हुई झाँकियाँ निकलती हैं। इनमें भारत के विभिन्न प्रदेशों के सांस्कृतिक जीवन, वहाँ की कला और प्रगति के बढ़ते चरणों की झलक मिलती है। वायुसेना के विमान आकाश में कलाबाजियों खाते हैं और जुलूस पर पुष्प वर्षा करते हैं।

राष्ट्रपति भवन से चला हुआ यह जुलूस लाल किले पर जाकर समाप्त होता है। रात्रि में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और केन्द्रीय सचिवालय दीपमाला से झिलमिला उठते हैं।

राजधानी के अतिरिक्त भारत के हर नगर और गाँव में भी यह उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकलती हैं। घरों, कार्यालयों, विद्यालयों पर राष्ट्रीय झण्डा फहराया जाता है। देशभक्ति के गीतों और भाषणों का आयोजन होता है। शहीदों को याद करते हुए सभी भारतवासी देश की स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प लेते हैं।

त्यौहार से संबंधित लिस्ट

Leave a Comment