जैसलमेर घूमने का प्लान है तो यह जरूर करना

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जैसलमेर घूमने का प्लान है तो यह जरूर करना

राजस्थान का रेतीला जिला की खूबसूरती , गोल्डन फोर्ट में घूमने और देखने का आनंद , जैसलमेर के रेगिस्तान में कैम्पिंग , जैसलमेर की माखनिया लस्सी और घोटू लड्डू , जैसलमेर के रेगिस्तान में पैरासेलिंग , जैसलमेर के गड़ीसर तालाब में बोटिंग , जैसलमेर युद्ध संग्रहालय को अन्दर से जरूर देखे , जैसलमेर की नगर का स्थापत्य कला को जरूर देखना ,

राजस्थान का रेतीला जिला की खूबसूरती :-
राजस्थान की खूबसूरती और संस्कृति अपने अंदर समेटे जैसलमेर वाकई बेहद शानदार जगह है। भले ही ये गर्म रेगिस्तान मौसम के मामले में आपको थोड़ा परेशान कर दे, लेकिन इसकी खूबसूरती कई देसी और विदेशी टूरिस्ट को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां के महल, यहां का रेगिस्तान, एडवेंचर स्पोर्ट, ऊंठ की सवारी सब कुछ एक अलग एक्सपीरियंस देगा और आप यहां कई यादें समेट कर जा सकती हैं। जैसलमेर घूमने का प्लान |
अगर आप जैसलमेर घूमने जा रही हैं तो हो सकता है कि आपको यहां की खास चीज़ों के बारे में न पता हो। जैसलमेर ट्रिप पर जाने वाले हर व्यक्ति को ये 5 खासियत जरूर पता होनी चाहिए। ये सभी चीज़ें जैसलमेर को बनाती हैं | जैसलमेर घूमने का प्लान |

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गोल्डन फोर्ट में घूमने और देखने का आनंद :-
जैसलमेर का सबसे अच्छा एक्सपीरियंस है गोल्डन फोर्ट यानी यहां टूरिस्ट सिर्फ एक टूर ले सकते हैं या फिर रात भी रुक सकते हैं। इसके लिए आपको पहले से बुकिंग करवानी होगी और फोर्ट के अंदर रहने का एक्सपीरियंस लोगों का बदलता रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फोर्ट के अंदर मौजूद होटलों की कीमत इवेंट के हिसाब से बदल जाती है। आपको बुकिंग पहले इसलिए करवानी होगी क्योंकि एक बार में यहां सिर्फ 300 लोग रह सकते हैं और ये जल्दी बुक हो जाता है।
गोल्डन फोर्ट में घूमने और देखने का आनंद की फीस :- अगर सिर्फ फोर्ट घूमना है तो उसके लिए 50 रुपए का टिकट होगा और अगर रात में रुकना है तो अपने बजट के हिसाब से होटल बुकिंग करवानी होगी। टूरिस्ट के लिए इसके खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक है।

जैसलमेर के रेगिस्तान में कैम्पिंग :-
अगर जैसलमेर जा रहे हैं तो यकीनन एक रात तो आपको रेगिस्तान में कैम्पिंग करनी ही होगी। रेगिस्तान जैसलमेर शहर से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है। यहां कई लग्जरी और मीडियम रेंज कैम्प मौजूद हैं। चांदनी रात में सितारों को देखते हुए रेगिस्तान में कैम्पिंग करने का मज़ा ही कुछ और होगा। इसे भी आपको पहले से बुक करवाना पड़ेगा। जैसलमेर घूमने का प्लान |
जैसलमेर के रेगिस्तान में कैम्पिंग की फीस :- यहां अगर आप मीडियम रेंज कैम्प लेते हैं तो 1300 रुपए प्रति व्यक्ति के दाम पर ये बुक हो जाएगा।

जैसलमेर की माखनिया लस्सी और घोटू लड्डू :-
अब राजस्थान में हैं तो यहां के लोकल खाने का स्वाद भी चखना होगा। तो स्थानीय खाने के साथ-साथ आपके लिए ये जरूरी हो जाएगा कि जैसलमेर की खासियत माखनिया लस्सी और घोटू लड्डू जरूर चखे जाएं। लस्सी जिसमें मेवा-मिष्ठान डले हुए हों और काफी गाढ़ी हो वो वैसे भी अच्छी लगती है। उसके साथ घोटू लड्डू एक और खासियत है जैसलमेर की जिसका स्वाद चखना जरूरी हो जाएगा। किसी भी स्थानीय व्यक्ति से पूछें कि ये लड्डू कहां मिलेंगे तो आपको सही दुकान बता दी जाएगी।

जैसलमेर के रेगिस्तान में पैरासेलिंग :-
अगर आप एडवेंचर स्पोर्ट्स की शौकीन हैं या फिर आपके घर में कोई शौकीन है तो पैरासेलिंग का मज़ा रेगिस्तान में लिया जा सकता है। सुनहरी रेत के ऊपर उड़ने का मज़ा ही कुछ और होगा। एडवेंचर ट्रिप प्लान की जा सकती है और ऐसे में पूरे शहर और रेगिस्तान का व्यू दिखेगा। ये आपकी ट्रिप को और यादगार बना देगा।
जैसलमेर के रेगिस्तान में पैरासेलिंग की फीस :- प्रति व्यक्ति 750 रुपए खर्च हो सकते हैं। हालांकि, ये टूरिस्ट सीजन में थोड़ा ज्यादा हो जाता है।

जैसलमेर के गड़ीसर तालाब में बोटिंग :-
भले ही ये रेगिस्तान है लेकिन यहां भी नाव की सवारी का लुत्फ लिया जा सकता है। ये सुबह 7 से शाम के 7 बजे तक होता है और आपको यहां मज़ा काफी आएगा। यहां मोटरबोट से लेकर शांत नौका सवारी तक सब मिलेगा और इसकी खूबसूरती तो देखते ही बनती है। अपना कैमरा साथ ले जाना न भूलिएगा क्योंकि ये तालाब और इसके आस-पास की बिल्डिंग और महल का नजारा कुछ अनोखा सा है।
जैसलमेर के गड़ीसर तालाब में बोटिंग का फीस :- 2 सीटर बोट का 100 रुपए और 4 सीटर का 200 रुपए। अगर नाविक के साथ नाव चाहिए तो 300 रुपए लगते हैं।

जैसलमेर युद्ध संग्रहालय को अन्दर से जरूर देखे :-
जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, शहर से 10 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर स्थित है। यह म्यूजियम विशेष रूप से 1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के लॉन्गेवाला युद्ध के दौरान सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की स्मृति में भारतीय सेना द्वारा स्थापित किया गया है। यहाँ टैंक, बंदूक और सैन्य वाहनों के साथ- साथ कई युद्ध ट्रोफियाँ और पुराने उपकरण प्रदर्शित हैं। इस संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन यात्रा गाइड ट्रिप एडवाइजर द्वारा राजस्थान के शीर्ष युद्ध संग्रहालयों में से एक माना जाता है।

जैसलमेर की नगर का स्थापत्य कला को जरूर देखना :-
जैसलमेर नगर का विकास 15वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है। जब जैसलमेर दुर्ग में आवासीय कठिनाईयाँ प्रतीत हुई, तो कुछ लोगों ने किले की तलहटी में स्थायी आवास बनाकर रहना प्रारंभ कर दिया। बहुत कम ही ऐसे नगर होते हैं, जिनका अपना स्थापत्य होता है। जैसलमेर भी उनमें से एक है।
इस काल में जैसलमेर शासकों का मुगलों से संपर्क हुआ व उनके संबंध सदैव सौहार्दपूर्ण बने रहने से राज्य में शांति बनी रही। इसी कारण यहाँ पर व्यापार-वाणिज्य की गतिविधियाँ धीरे-धीरे बढ़ने लगी। महेश्वरी, ओसवाल, पालीवाल व अन्य लोग आसपास की रियासतों से यहां आकर बसने लगे व कालांतर में यहीं बस गए। इन लोगों के बसने के लिए अपनी-अपनी गोत्र के हिसाब से मौहल्ले बना लिए। आमने-सामने के मकानों से निर्मित 20 से 100 मकानों के मुहल्ले, सीधी सड़क या गलियों का निमार्ण हुआ और ये गलियाँ एक दूसरे से जुड़ती चली गयीं। इस प्रकार वर्तमान नगर का निर्माण हुआ।
ये सगोत्रीय, सधर्म या व्यवसायी मौहल्ले पाड़ा या मौहल्ले कहलाते थे व इन्हें व्यावसाय के नाम से पुकारते हैं। जैसे बीसाना पाड़ा, पतुरियों का मुहल्ला तथा चूड़ीगर अलग-अलग व्यावसायियों के अलग-अलग मौहल्लों में रहने से यहाँ प्रत्येक मोहल्ले में पृथक-पृथक बाजारों का प्रादुर्भाव हुआ।
नगर के पूर्णरुपेण विकसित होने पर उसकी सुरक्षा हेतु आय भी आवश्यक प्रतीत होने लगे। फलस्वरुप महारावल अखैसिंह ने 1740 ई. के लगभग नगर के परकोटे का निर्माण करवाया, जो महारावल मूलराज द्वितीय के काल में संपन्न हुआ। इस शहर दीवार में प्रवेश हेतु चार दरवाजे हैं, जो पोल कहलाती है। इन्हें गड़ीसर पोल, अमरसागर पोल, मल्कापोल व भैरोपोल के नाम से पुकारा जाता है। ये दरवाजे मुगल स्थापत्य कला से काफी प्रभावित है। इनमें बड़ी-बड़ी नुकीली कीलों से युक्त लकड़ी के दरवाजे लगे हैं, जिनमें आपातकालीन खिड़कियाँ बनी हैं। अठारहवीं सदी के आते-आते नगर में बढ़ती हुई व्यापारिक समृद्धि के कारण व्यापारी, सामंत व प्रशासनिक वर्ग बहुत धन संपन्न हो गया। फलस्वरुप 19 वीं सदी के आरंभ तक यहां इन लोगों ने आवास हेतु बड़ी-बड़ी हवेलियों, बाड़ी मंदिर आदि का निर्माण करवाना शुरु कर दिया।

जैसलमेर की पूरी जानकारी 

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