जैसलमेर का सोनारगढ़ किला

जैसलमेर का प्रसिध्द किले, जैसलमेर किले का निर्माण कब व किसने करवाया, राजस्थान का स्वर्ण किला, जैसलमेर किले का इतिहास जैसलमेर किले की विशेषता, जैसलमेर किला खुला रहने का समय, जैसलमेर किले की भारत-पाक युद्ध के समय महत्वपूर्ण भूमिका, जैसलमेर किला की अनूठी वास्तुकला, जैसलमेर के इस शाही किले तक कैसे पहुंचे, जैसलमेर किले का निर्माण कब व किसने करवाया, जैसलमेर के किले की किलाबंदी दुनिया की प्रसिद्ध, जैसलमेर में खाबा किला, जैसलमेर का प्रसिद्ध सोनार किला, जैसलमेर किला राजस्थान जैसलमेर फोर्ट, शानदार जैसलमेर किले का इतिहास, हिंदी में जैसलमेर के व्यंजनों के बारे में, जैसलमेर का राजा, जैसलमेर का इतिहास, जैसलमेर का क्षेत्रफल, जैसलमेर दुर्ग का निर्माण किसने करवाया, जैसलमेर को किन किन नामों से जाना जाता है, जैसलमेर की राजकुमारी, राव जैसल कौन थे,

 जैसलमेर का प्रसिध्द किले 

जैसलमेर किले का निर्माण कब व किसने करवाया , राजस्थान का स्वर्ण किला , जैसलमेर किले का इतिहास , जैसलमेर किले की विशेषता , जैसलमेर किला खुला रहने का समय , जैसलमेर किले की भारत-पाक युद्ध के समय महत्वपूर्ण भूमिका , जैसलमेर किला की अनूठी वास्तुकला , जैसलमेर के इस शाही किले तक कैसे पहुंचे , जैसलमेर किले का निर्माण कब व किसने करवाया , जैसलमेर के किले की किलाबंदी दुनिया की प्रसिद्ध , जैसलमेर में खाबा किला ,

जैसलमेर किले का निर्माण कब व किसने करवाया :-
वैसे तो भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिन्हें उनकी अद्भुत बनावट और अनोखी वास्तुशिल्प के चलते विश्व धरोहरों की लिस्ट में शुमार किया गया है। वहीं ऐसा ही एक किला राजस्थान में स्थित है – जैसलमेर का किला जो अलग-अलग विशेषताओं की वजह से जाना जाता है। यह किला दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है और यह अपनी बनावट और कुछ खासियतों की वजह से बाकी किलों से एकदम अलग है।
इस किले के अंदर बेहद आर्कषक और खूबसूरत हवेलियां, बड़े-बड़े भवन, व्यापारियों और सैनिकों के सुंदर आवासीय परिसर एवं भव्य मंदिर बने हुए हैं। जो कि इस किले को अन्य किलों से अलग पहचान दिलवाती हैं।
जैसलमेर का यह भव्य किला इतिहास की कई बड़ी लड़ाईयों का भी ग्वाह बन चुका है। इस विशाल किला ने आजादी के बाद साल 1965 से 1971 के बीच हुए भारत-पाक के युद्ध में भी लाखों लोगों को संरक्षण देकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं जैसलमेर का यह कला अपनी अद्बुत वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।जैसलमेर का प्रसिध्द किले |
जैसलमेर का किला भारतीय, इस्लामी और फारसी वास्तुशैली का बेजोड़ मिश्रण है। इस किले को पीले रंग के पत्थर और पीली रेत से निर्मित किया गया है, जो कि इस किले को पीला और सुनहरा रंग की सोने की तरह चमक देते हैं।
जो कि देखने में बेहद आर्कषक और मनोरम लगता है। इस किले को गोल्डन फोर्ट और सोनार दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। अपनी भव्यता और खूबसूरती की वजह से यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक हैं, वहीं इतिहास में इस किले का अपना एक अलग महत्व है, चलिए जानते हैं विश्व विरासत की सूची में शामिल जैसलमेर के किले के बारे में |जैसलमेर का प्रसिध्द किले |

यह भी पढ़े :
जैसलमेर में घुमाने की जगह

राजस्थान का स्वर्ण किला :-
जैसलमेर किला स्थानीय रूप से सोनार किला के नाम से जाना जाता है, राजस्थान में भारत के जैसलमेर शहर में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा किलों में से एक है। यह 1156 ईस्वी में भाती राजपूत शासक राव जैसल द्वारा बनाया गया था, जहां से इसका नाम उग आया है। यह किला स्थानीय लोगों द्वारा ‘सोने का क्विला (गोल्डन फोर्ट)’ के रूप में लोकप्रिय है और जैसलमेर शहर में सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। किले गर्व से थार रेगिस्तान की अनन्त स्वर्ण रेत के बीच में खड़ा है, जैसलमेर किला जैसलमेर के सबसे प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है।

जैसलमेर किले का इतिहास :-
भारत यह विशाल जैसलमेर का किला राजस्थान के जैसलमेर में थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर बना हुआ है। इस किले को 1156 ईसवी में एक राजपूत योद्धा ”रावल जैसल” द्धारा बनवाया गया था। यह किला कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक लड़ाईयों की भी ग्वाही देता है। हालांकि, इस किले के निर्माण को लेकर कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। जैसलमेर का प्रसिध्द किले |
इतिहासकारों के मुताबिक गौर के सुल्तान उद-दीन मुहम्मद ने अपने प्रदेश को बचाने के लिए राजपूत शासक रावल जैसल को अपने एक षड्यंत्र में फंसा लिया और उन पर आक्रमण कर दिया और फिर उनके किले पर अपने डोरे डालकर इसे लूट लिया।
इसके साथ ही उन्होंने उस किले में रह रहे लोगों को जबरन बाहर निकाल दिया, एवं उस किले को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जिसके बाद सम्राट जैसल ने त्रिकुटा के पहाड़ पर एक नया किला बनाने का फैसला लिया, इसके लिए उन्होंने पहले जैसलमेर शहर की नींव रखीं और फिर उसे अपनी राजधानी घोषित किया।जैसलमेर का प्रसिध्द किले |
हालांकि, इसके बाद भी राजा रावल जैसल का इस किले पर अधिकार नहीं रहा। दरअसल, 1293-1294 ईसवी में राजा जैसल का उस समय दिल्ली की सल्तनत संभाल रहे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें राजापूत शासक रावल को पराजय का सामना करना पड़ा, वहीं उनकी इस हार के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने जैसलमेर के किला पर अपना कब्जा कर लिया और करीब 9 साल तक अलाउद्दीन खिलजी का इस किले में अपना शासन करता रहा। जैसलमेर का प्रसिध्द किले |
इसके बाद जैसलमेर किला पर दूसरा हमला मुगल सम्राट हुमायूं के द्धारा 1541 ईसवी में किया गया। वहीं राजा रावल ने मुगल शासकों की शक्ति और ताकत को देखते हुए मुगलों से दोस्ती करने का फैसला लिया, और मुगलों के साथ अपने रिश्ते अच्छे करने के लिए राजा रावल ने अपनी बेटी का विवाह मुगल सम्राट अकबर के साथ करवा दिया। जैसलमेर का प्रसिध्द किले |
वहीं इस किले पर 1762 ईसवी तक मुगलों का शासन रहा। फिर इसके बाद जैसलमेर के किले पर महाराज मूलराज ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया, वहीं 1820 ईसवी में मूलराज की मौत के बाद उनके पोत गज सिंह ने जैसलमेर की इस भव्य किला पर अपना कब्जा किया।

जैसलमेर किले की विशेषता :-
जैसलमेर किले को जैसलमेर की शान के रूप में माना जाता है और यह शहर के केन्द्र में स्थित है। यह ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पीले बलुआ पत्थर का किला सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। इसे 1156 ई0 में एक भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुरा पहाड़ी के शीर्ष पर निर्मित किया गया था। जैसलमेर किले में कई खूबसूरत हवेलियाँ या मकान, मंदिर और सैनिकों तथा व्यापारियों के आवासीय परिसर हैं। यह किला एक 30 फुट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है। यह एक विशाल 99 बुर्जों वाला किला है। वर्तमान में, यह शहर की आबादी के एक चौथाई के लिए एक आवासीय स्थान है। किला परिसर में कई कुयें हैं जो यहाँ के निवासियों के लिए पानी का नियमित स्रोत हैं। किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का आदर्श संलयन दर्शाता है।

जैसलमेर किला खुला रहने का समय :-
राजस्थान के अन्य किलों की तरह, इस किले में भी अखाई पोल, हवा पोल, सूरज पोल और गणेश पोल जैसे कई द्वार हैं। सभी द्वारों में अखाई पोल या प्रथम द्वार अपनी शानदार स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रवेश द्वार को वर्ष 1156 में बनाया गया था और शाही परिवारों और विशेष आगंतुकों द्वारा यही प्रवेश द्वार उपयोग किया जाता था। इस किले तक पहुंचने के लिए, आगंतुक जैसलमेर शहर से एक ऑटो रिक्शा या रिक्शा किराए पर ले सकते हैं। किला सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

जैसलमेर किले की भारत-पाक युद्ध के समय महत्वपूर्ण भूमिका :-
जैसे ही भारत में ब्रिटिश शासकों ने अपना शासन चलाया वैसे ही बॉम्बे बंदरगाह पर समुद्री व्यापार शुरु किया गया, ऐसे में बॉम्बे ने तो खूब तरक्की की लेकिन जैसलमेर की हालत और भी ज्यादा खराब होती चली गई।
वहीं भारत की आजादी के बाद भारत- पाक के बीच बंटवारा हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने फिर से अपने नापाक इरादों के साथ हिंदुस्तान पर पहले साल 1965 में और फिर साल 1971 में हमला कर दिया, हालांकि इस युद्ध में भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया।
आपको बता दें कि भारत-पाक के बीच यह युद्द जैसलमेर में लड़ा गया, ऐसे में इस युद्ध के दौरान वहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर जैसलमेर की पूरी आबादी को इस भव्य किले के अंदर भेजने का फैसला लिया गया। दरअसल, जैसलमेर का किला इतना भव्य और विशाल है कि इस किले में उस समय करीब 4 हजार से भी ज्यादा लोग आ सकते थे। तो इस तरह जैसलमेर के किले ने भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में जैसलमेर के लोगों को शरण देकर उनकी जान की रक्षा कर अपनी महानता प्रकट की है।

जैसलमेर किला की अनूठी वास्तुकला :-
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित इस किला का न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि यह अपनी अनूठी और बेजोड़ वास्तुकला के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। इस किले का निर्माण भारतीय, इस्लामी और फारसी वास्तुशैली के मिश्रण से किया गया है।
इस किले के निर्माण में पीले रंग की रेत और पीले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वहीं जब इसमें दिन में सूर्य की रोश्नी पड़ती है तो यह सोने की तरह चमकता है, इसलिए यह गोल्डन फोर्ट और सोनार दुर्ग के नाम से भी मशहूर है। वहीं इस किले की खूबसूरती को देखने के लिए देश से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।
76 मीटर ऊंचे इस विशाल जैसलमेर दुर्ग की लंबाई 460 मीटर और चौड़ाई 230 मीटर है। इस किले में 4 भव्य और विशाल प्रवेश द्धार है, जिसमें से एक द्धार पर तोपे भी लगी हुईं हैं।
वहीं इस किले में बना भव्य राजमहल और सुंदर- सुंदर हवेलियां और विशाल मंदिर इस किले की सुंदरता पर चार चांद लगाती हैं। इस विशाल किले में बनी हवेलियों की इमारत बहुमंजिला हैं, जिसे शाही अंदाज में बनाया गया है, इस किले की खिड़की और दरवाजों को भी बेहद खास तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें आर्कषक कलाकृतियां भी हैं। इसके साथ ही कई हवेलयां इसके आर्कषण की वजह से म्यूजियम भी बन चुकी हैं।
इसके साथ ही इस किले के अंदर एक विशाल लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर भी बना हुआ हैं, इस मंदिर में बने चित्रों में प्राचीन परंपरा और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यही नहीं इस शाही महल के अंदर एक विशाल लाइब्रेरी भी बनाई गई है, जहां कई प्रचीन और पुरातत्व से संबंधित किताबें रखी गईं हैं। इसके अलावा जैसलमेर के इस किले में बेहद शानदार जलनिकासी सिस्टम भी है, जिसें घूंटनाली नाम दिया गया है, जो कि बारिश के पानी को चारों दिशाओं में किले से दूर ले जाता है।

जैसलमेर के इस शाही किले तक कैसे पहुंचे :-
इस भव्य जैसलमेर के किला तक सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों के माध्यमों से पहुंचा जा सकता है। यह तीनों मार्गों से बेहद अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए कई निजी और सरकारी बस सेवाएं भी हैं। यहां दो मुख्य बस स्टैंड बने हुए हैं। इसके अलावा कई ट्रेन जैसलमेर के रास्ते से जाती है। जिससे पर्यटक आसानी से यहां सार्वजनिक या फिर अपने निजी वाहनों से पहुंच सकते हैं।
जैसलमेर का भव्य किला न सिर्फ इसके ऐतिहासिक महत्व की वजह से प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अनूठी और बेजोड़ वास्तुकला भी पर्यटकों को अपनी तरफ आर्कषित करती है। इसी वजह से जैसलमेर का यह किला मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार हैं।

जैसलमेर के किले की किलाबंदी दुनिया की प्रसिद्ध :-
Jaisalmer Fort में दुनिया की सबसे बड़ी किलेबंदी की है। यह किला जैसलमेर किले में स्थित है, जो भारत के राजस्थान राज्य में आता है। यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट है। इसका निर्माण 1156 AD में राजपूत शासक रावल जैसल ने किया था, इसीलिये किले का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया था।
जैसलमेर किला थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर खड़ा है और यहाँ काफी इतिहासिक लड़ाईयां भी हुई है। किले में भारी पीले रंग के बलुआ पत्थरो की दीवारे बनी है। दिन के समय सूरज की रौशनी में इस किले की दीवारे हल्के सुनहरे रंग की दिखती है। इसी कारण से यह किला सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह किला शहर के बीचो बिच बना हुआ है और जैसलमेर की इतिहासिक धरोहर के रूप में लोग उस किले को देखने आते है।

जैसलमेर में खाबा किला :-
कुलधरा गांव के पास स्थित खाबा किला एक परित्यक्त संरचना है जो जैसलमेर में एक और भयानक स्थान है। यह किला फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए अच्छा है और यह जैसलमेर में घूमने के लिए बेहतरीन जगहों में से एक है। यह किला पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। बताया जाता है कि ये रहस्यवादी गांव 13वीं शताब्दी का है। ऐसा माना जाता है कि जब पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव को वीरान कर दिया था, तब उन्होंने इस किले को भी बंद कर दिया था। किले में आपको अद्भुत मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जिसमें कई शताब्दियों की दुर्लभ कलाकृतियाँ मौजूद हैं।
इसका मुख्य आकर्षण मोरों का झ़ुंड है। इसमें प्राचीन कलाकृतियों और विभिन्न प्रकार के रॉक जीवाश्मों के साथ एक छोटा संग्रहालय भी है। आज इस किले में खंडहर के अलावा खंडहर के अलावा कुछ भी नहीं है।

जैसलमेर की पूरी जानकारी 

Leave a Comment