कोटा का इतिहास:- नमस्कार मित्रों आज हम बात करेंगे कोटा का इतिहास के बारे में कोटा शहर को भारत के सबसे बड़े जिलों में गिना जाता है कोटा शहर 1857 की क्रांति के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है कोटा शहर का इतिहास राजस्थान की संस्कृति कला और साहित्य को दर्शाता है कोटा शहर में बनाये गए महल, किले के हूबहू महल और किला आपको अमेरिका में भी देखने को मिल जायेंगे कहा जाता है एक एक राजा का नाम कोटियाल हुवा करता था उसी राजा ने कोटा की स्थापना और उसी राजा के नाम पर कोटा शहर नाम कोटा पड़ा तो आइए हम जानते हैं इस आर्टिकल में विस्तार से.
जाहांगीर ने कोटा रियासत को अपना राज्य बनाया और राजस्थान की स्थापना की
- जहांगीर ने माधोसिंह को हराकर कोटा पर अपना अधिकार स्थापित कर लिए
- 1628 में जाहांगीर को अपने शासन को सुचारु रुप से चलाने के लिए नई राजधानी की आवश्यकता महसूस हुई
- जहांगीर ने कोटा रियासत को बूंदी से अलग किया और कोटा को अपनी राजधानी बना लिया जहांगीर के समय कोटा में अनेक
- कला संस्कृति और साहित्य का काफी अच्छा विकास हुआ जाहांगीर ने कोटा में कोटा गढ़ का निर्माण करवाया
- जिससे वह अन्य शासको पर नज़र रखता था
- इन गढ़ में बूंदी सेली का प्रयोग किया गया है
- कोटा गढ़ की सेली संपूर्ण राजस्थान में प्रसिद्ध है
- माधोसिंह ने भी कोटा रियासत का काफी विस्तार किया है
- माधोसिंह ने अपने शासनकाल में यहाँ अनेक प्रकार के महल बनाये इसमें बूंदी सेली का प्रयोग किया
- राजस्थान में बूंदी सेली बूंदी सेली काफी प्रशिद्ध है
- जयपुर शहर के महल गढ़ में भी आपको इस सेली के चित्रण देखने को मिल जायेंगे
- सन 1817 में कोटा शहर अंग्रेजो के आधिपत्य में चला गया
- सन 1818 में संपूण राजस्थान अंग्रेजो के अधिपत्य में चला गया
- अंग्रेजो ने कोटा के विकास में रेल मार्ग, सड़क मार्ग, खेती, को विकशित किया है
- राजपूत भीलो के द्वारा बनाया गया शहर 1818 में एक स्वंत्रत रियासत के रूप में अंग्रेजो के पास चला गया
जब कोटा रियासत ने राजस्थान राज्य का निर्माण किया और भीम सिंग राजस्थान राज्य की रियासत की गद्दी पर बैठा
- राजस्थान को राजपुताना शहर के नाम से इसलिए जान जाता था
- इसकी स्थापना राजपूतो ने की थी
- राजपुताना में बहूत छोटी छोटी टुकड़िया बाटी हुयी थी
- सन 1948 में इन सबको एक करके एक बड़ा शहर बनाने की आवस्यकता महसूस हुई
- 1948 में कोटा रियासत भीम सिंह के आधिपत्य में थी
- उसने बूंदी, चित्तोर, आदि के महाराजा एकत्रित हुए और राजस्थान की स्थापना की
- इस समिति में सरदार वलभ भाई पटेल भी शामिल थे
- इसमें तीन रियासत कोट, बंदी चित्तोर को शामिल किया गया था
- 1949 में राजस्थान में जयपुर शहर को भी शामिल कर लिया
- कुछ रियासतों ने इसमें शामिल होने से मना कर दिया वे स्वतंत्र रहना चाहते थे
- राजस्थान सरकार के द्वारा इन रियासतों के राजाओं को पैसे देकर, किसी को भत्ता देकर 1949 में सभी रियासतों का विलय कर लिया गया
- राजपुताना की कुछ रियासते , जयपुर, मेवाड़, बीकानेर और जोधपुर ने शामिल होने से मना कर दिया
- लेकिन 1948 में इन रियासतों के साथ प्रतापगढ़, झालावाड़, दौसा रियासतों को भी शामिल कर लिया और राजपुताना से राजस्थान नाम रखा गया
कोटा शहर की जलवायु के बारे में जानकारी
- कोटा में आने से पहले इसकी जलवायु के बारे में जान लेना चाहिए
- अभी सर्दियों के मौसम रात के समय काफी सर्दी लगती है
- दिन के आपको सर्दी का अहसास नहीं होगा नही होगा
- यहाँ गर्मियों में भी अधिक गर्मी पड़ती है
- कभी कभी तो तापमान 45° c तक पहुच जाता है
- रात के वक़्त ठण्ड का अहसास जरूर होता है
- यहाँ पर आपको गर्मियों में गर्मी और सर्दियों तो ठण्ड का अहसास होता है
राजस्थान की शिक्षा नगरी के रूप में कोटा शहर के बारे में जानकारी
- भारत में कोटा को शिक्षा की नगरी के रूप में जाना जाता है
- भारत के सभी राज्यो के स्टूडेंट यहाँ पर पढ़ने के लिए आते है
- यहाँ पर आपको विशेषकर jee mains और neet exam की तैयारी करवाई जाएगी
- अगर आप सरकारी नोकरी की तैयारी कर रहे हो
- तो आपको कोटा में कोचिंग जरूर करनी चाहिए
- जयपुर शहर के विद्यार्थी भी कोटा में एग्जाम की तैयारी करने के लिए आते है
Conclusion:- मित्रों आज के इस आर्टिकल में हमने कोटा का इतिहास के बारे में कभी विस्तार से बताया है। तो हमें ऐसा लग रहा है की हमारे द्वारा दी गये जानकारी आप को अच्छी लगी होगी तो इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही इंटरेस्टिंग पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहे हमारी साइट TripFunda.in के साथ (धन्यवाद)
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