टोंक का इतिहास

टोंक का इतिहास

नमस्कार दोस्तों आज इस आलेख में टोंक जिले की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करे और निम्न बिंदु जैसे टोंक का सामान्य परिचय, उनियारा का इतिहास, टोंक रियासत की स्थापना टोंक जाति, टोंक जिले की विशेषताए, टोंक मुस्लिम रियासत का संस्थापक कौन था, टोंक जिले में प्रमुख मंदिर, टोंक जिले के दर्शनीय स्थल, टोंक जिले के भोगोलिक विशेषताए, टोंक जिले के उद्योग और व्यापार, टोंक जिले कीआर्थिक स्थिति, आदि

टोंक का सामान्य परिचय –

टोंक का एक दृश्य हैं टोंक शहर, पूर्वी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है यह बनास नदी के ठीक दक्षिण में स्थित है भूतपूर्व टोंक रियासत की राजधानी रह चुके इस शहर की स्थापना 1643 में हुई थी और यह छोटी पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर अवस्थित है इसके ठीक दक्षिण में क़िला और नए बसे क्षेत्र हैं। आसपास का क्षेत्र मुख्यत: खुला और समतल है, जिसमें बिखरी हुई चट्टानी पहाड़ियाँ हैं यहाँ मुर्ग़ीपालन व मत्स्य पालन होता है तथा अभ्रक व बेरिलियम का खनन होता है भूतपूर्व टोंक रियासत में राजस्थान एवं मध्य भारत के छह अलग-अलग क्षेत्र आते थे, जिन्हें पठान सरदार अमीर ख़ाँ ने 1798 से 1817 के बीच हासिल किया था 1948 में यह राजस्थान राज्य का अंग बना।

टोंक का इतिहास –

पूर्ववर्ती राजस्थान के अहम जिलों में टोंक जिले की भी गिनती की जाती हैं राज्य की राजस्थान के दक्षिण में लगभग सौ किमी जाने पर आप टोंक पहुँच जाएगे जो बनास नदी एवं जयपुर कोटा नेश नल हाईवे पर स्थित हैं मालपुरा, लावां, उनियारा व टोडारायसिंह आदि स्थल जिले के महत्वपूर्ण स्थल माने जाते हैं यदि हम टोंक जिले के इतिहास की बात करे तो यह विविधताओं से भरा तथा क्रमबद्ध नहीं है फिर भी टोंक हिस्ट्री से जुड़े कई साक्ष्य एवं विवरण प्राप्त किये गये हैं |
टोंक भारत में राज्य राजस्थान का एक सुंदर शहर है इस क्षेत्र में लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन और कृषि है जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, केवल कुछ ही लघु इकाइयाँ जिले में चल रही हैं टोंक जिले में पूर्व में कई जाट शासक थे टोंक जिले ने कई प्रसिद्ध जाट लोगों का उत्पादन किया है टोंक कुछ हद तक भुला दिया गया जिला है शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करना होगा जिले में कुछ निजी और सरकारी स्कूलिंग विकल्प उपलब्ध हैं शहर में हादी रानी की बाउरी, राजा राय सिंह की महल, ईसर बाउरी जैसे विशाल दिलचस्प स्थल हैं और पर्यटक कल्याणजी, राघोराजी, गोपीनाथजी, गोविंद देवजी के प्राचीन मंदिरों की यात्रा कर सकते हैं शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में नागफोर्ट मंदिर, जोधपुरिया, दूनिजा मंदिर, जल देवी मंदिर, जैन मंदिर शामिल हैं |

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टोंक जिले की विशेषताए –

टोंक जिले की विशिष्ट विशेषता अरावली प्रणाली है जो भीलवाड़ा जिले से शुरू होती है और भीलवाड़ा और बूंदी जिलों की सीमाओं के साथ चलती है राजकोट के पास दक्षिण में टोंक जिले में प्रवेश करती है और उत्तर पूर्वी दिशा में तब तक जारी रहती है जब तक कि यह बाणेटा जिले के पास नहीं निकल जाती बीसलपुर बांध 17 किलोमीटर दूर स्थित है।

टोंक जिले में प्रमुख मंदिर –

1. रामद्वारा सोडा’ – टोंक जिले के सोडा ग्राम में स्थित यह रामस्नेही सम्प्रदाय का एक तीर्थ धाम है।

2. जामा मस्जिद-टोंक में इस मस्जिद का निर्माण टोंक राज्य के संस्थापक नवाब अमीट खां पिंडाटी ने शुरू कराया था इसमें सोने की चित्रकारी का काम नवाब मोहम्मद इब्राहिम खां के समय करवाया था।

3. जोधपुरिया देवधाम – यह टोंक जिले के निवाई में स्थित देवनारायण जी का अति प्राचीन मन्दिर है।

4. कल्याण जी का मन्दिर – इस मन्दिट का निर्माण राजा डिग्वा ने करवाया था यहाँ विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा है मुस्लिम इसे कलंह पीर के नाम से पुकारते है।

5. अन्य मन्दिट – गोकर्णेश्वर मन्दिट, कंकाली मन्दिर, तेलियों का मन्दिट, यज़ के बालाजी का मन्दिर तथा अन्नपूर्णा मन्दिट आदि है

टोंक जिले के दर्शनीय स्थल –

1. मुबारक महल – टोंक में इस महल में ईदुलजुहा पर ऊँट की कुर्बानी दी जाती है इसकी शुरूआत टोंक के पहले शासक नवाब अमीर खां पिण्डाटी ने 1817 में शुरू की थी।

2. हाथी-भाटा – टोंक के गुमानपूरा गाँव में स्थित है जिसमें एक चट्टान पर विशाल पत्थर को उत्कीर्ण कर हाथी बनाया गया है इसे रामनाथ सिलावट ने तैयार किया था।

3. सुनहटी कोठी – इस कोठी का निर्माण 1824 ई. में नवाब अमीर खां द्वारा प्रारंभ किया गया है यह कोठी शीश महल के नाम से जानी जाती थी इस कोठी को ‘Golden Mansion of Tonk कहा जाता है इस कोठी में स्वर्ण की नक्काशी व चित्रकारी का कार्य नवाब इब्राहिम खां ने करवाया था तभी से इसे सुनही कोठी के नाम से भी जाना जाता है।

4. अन्य स्थल- मोती सागर, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान (कसटे झलम), वनस्थली विद्यापीठ, हाडा रानी की बावड़ी, ककोड़ का किला, मांडकला, लाला पठान दुर्ग, सरडा रानी की बावड़ी, संत पीपा की गुफा व टोडारायसिंह आदि प्रसिद्ध स्थल है।

टोंक जिले के भोगोलिक विशेषताए –

टोंक राजस्थान के उतरी पूर्वी भाग में 25° 41 एवं 26° 34 तक उतरी अक्षांश तथा 75° 07′ एवं 76° 19′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित टोंक जिले की सीमा उत्तर में जयपुर, दक्षिण में बून्दी एवं भीलवाडा, पश्चिम में अजमेर और पूर्व में सवाई माधोपुर जिले से मिलती है जिले का भौगोलिक धरातल लगभग समतल है एवं आकार पतंगाकार है।

टोंक जिले के उद्योग और व्यापार –

सूती वस्त्र की बुनाई, चर्मशोधन और नमदा बनाने की हस्तकला यहाँ के मुख्य उद्योग हैं टोंक में राजस्थान की मिर्च मंडी मौजूद है इसके अलावा यहाँ से निकलने वाली मिर्च और खरबूजे पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध हैं।

टोंक जिले कीआर्थिक स्थिति –

टोंक जिले कीआर्थिक स्थिति कुल वार्षिक वर्षा की लगभग 96 प्रतिशत माह जून से सितम्बर के महिने में होती है इनमें से जुलाई व अगस्त माह में भारी वर्षा होती है प्रमुख फसलें – टोंक जिले मे प्राकृतिक संसाधनो की उपलब्धता के कारण कृशि मुख्य जीविका उपार्जन का प्रमुख स्त्रोत है जिले की प्रमुख फलसो मे गेहूँ, मूंग, उडद, तिल, सरसो, मक्का है।

टोंक जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल –

टोंक जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्न लिखित है-
1. सुनहरी कोठी
2. हाथी भाटा
3. कल्याण जी मंदिर
4. जामा मस्जिद
5. अरबी और फारसी अनुसंधान संस्थान
6. बीसलदेव मंदिर
7. बीसलपुर डेम
8. हादी रानी बोरी
9. जल्देवी मंदिर
10. घंटा घर

टोंक जिले की जनसंख्या –

टोंक की आबादी – धर्म के अनुसार विवरण
धर्म – 2011 जनसंख्या प्रतिशत 2021 की अनुमानित जनसंख्या
हिंदू – 1,243,527 87.49% 1,442,243
मुसलमान – 153,146 10.77% 177,619
ईसाई – 754 0.05% 874
सिख – 378 0.03% 438
बौद्ध – 122 0.01% 141
जैन – 22,458 1.58% 26,047
अघोषित – 911 0.06% 1,057
अन्य – 30 0.00% 35
कुल – 1,421,326 100% 1,648,454

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