यह भी बताया जाता है कि गुरु नानक सिकंदर लोदी के काल में आए थे जहां वह एक सूफी फकीर से मिले जो ईरान का रहने वाला था। सूफी होने की वजह से लोग उसे मजनू कहकर बुलाने लगे थे। वो फकीर यमुना के पास में मौजूद एक टीले पर रहा करता था। इसलिए इस जगह को 'मजनू का टीला' कहा जाने लगा।