अलवर का इतिहास:- नमस्कार मित्रों आज हम बात करेंगे अलवर का इतिहास के बारे में राजस्थान का अलवर जिला पहले एक रियासत हुआ करती थी 1947 के बाद इसका राजस्थान राज्य में विलय कर लिया गया इस रियासत का राजस्थान में विलय करने के बाद यह अलवर जिले के नाम से जाने जाना लगा अलवर नगरी के इतिहास को महाभारत काल के लिए भी जाना जाता है कहा जाता है कि पांडवो ने यही एक पहाड़ी के ऊपर अपना घर बनाया था प्राचीन समय में अलवर नगरी राजस्थान की सबसे ज़्यादा विकसित रियासतों के रूप में ख्याति प्राप्ति रियासत थी यहां भानगढ़ के किले को देखने के लिए विदेशो से लोग आते रहते है। तो आए हम जानते हैं इस आर्टिकल में विस्तार से.
अलवर का इतिहास
- 1106 में विक्रमी संवत आमेर का राजा ने अपने नाम के तहत अलपुर शहर की स्थापना की
- जो बाद में अलवर बन गया
- इस शहर पर कई राजपूत राजाओं ने शासन किया है
- जिनमें खानजादा राजपूत, निकुंभ राजपूत, बडगुजर राजपूत और अंत में नरुका राजपूत के नाम शामिल है राजपूत राजा ने प्रताप
- सिंह ने एक समझौते पर भरतपुर के जाट राजा से अलवर किले पर कब्जा कर दिया था
- आधुनिक अलवर की नींव रखी
- जो उपनिवेशवाद के दौरान एक रियासत बन गया
- 18 मार्च 1948 में राज्य का तीन 3 पड़ोसी रियासतों- भरतपुर, धौलपुर और करौली में मिल गया था
- 15 मई 1948 को में अलवर को पड़ोसी रियासतों और अजमेर के क्षेत्र में आधुनिक राजस्थान बनाने के लिए जोड़ा गया
- इसके बाद इसको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी बनाया गया
- जिसके बाद इसका तेजी से विकास हुआ।
भूतों की कहानियों के लिए प्रसिद्ध भानगढ़ का किला
- अपने भूतिया किस्सों के लिए जाने जाना अलवर का भानगढ़ किला सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित है
- जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था
- किले का नामकरण राजा मान सिंह प्रथम और माधो सिंह प्रथम के दादा भान सिंह के नाम पर किया गया था।
- अपनी ऐतिहासिकता और प्रसिद्धि के चलते यह किला पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध हैं
- इस किले कलाकृति और यहाँ के अवशेष ही इसकी प्रमुखता के कारण हैं
- लेकिन साथ ही यहाँ की डरावनी कहानियों के चलते आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा रात के समय किले में जाना प्रतिबंधित है।
- रात के समय किले से अजीब से आवाजें आती हैं
- किसी के रोने की, चूड़ियाँ तोड़ने की, अजीब सी गंध महल से आती है
- साथ ही एक तरह का संगीत भी सुनाई देता है
- यहाँ आस-पास के लोगों ने किसी को अपने पीछे चलते महसूस किया है
- इस अलौकिक शक्तियों का कारण ऋषि बाला की भविष्यवाणी मानी जाती है
- जिस कारण किला बनते ही तहस-नहस हो गया।
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महादेव को समर्पित नीलकंठ महादेव मंदिर
- 6 वीं से 9वीं शताब्दी के बीच बना यह महादेव का नीलकंठ मंदिर का निर्माण महाराजा धिराज मथानदेव द्वारा किया गया था
- यह मंदिर अलवर से 65 कि.मी. दूर राजोरगढ़ में स्थित है
- जहाँ शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
- मंदिर में विराजमान शिवलिंग 4 फीट ऊँची है
- जो नीलम पत्थर की बनी हुई है
- साथ ही मंदिर का गुंबद पूरी तरह से पत्थर का बना हुआ है
- साथ ही मंदिर की दीवारों और गुंबद पर कई तरह के देवी-देवताओं के प्राचीन चित्र उकेरे हुए मिलते हैं साथ ही यहाँ 4 स्तम्भों का
- एक रंग मंडप खड़ा है
- जो एक अद्भुत कला है।
- साथ ही यहाँ पारानगर नगर के अवशेष भी मिलते हैं
- जहाँ महावीर बुद्ध की 27 फीट ऊँची प्रतिमा भी देखने को मिलती है
- आस्था और ऐतिहासिक विरासत का यह स्थान पर्यटकों का विशेष स्थान रहा है
- जहाँ आप अद्भुत कलाकृति के साथ ऐतिहासिक धरोहर के चिह्न ही देख सकते हैं।
अलवर का बाला किला
- अलवर किला या बाला किला यह राजस्थान के अलवर शहर की पहाड़ी पर स्थित हैं
- 1550 में हसन खान मेवाती ने इस बाला किले का निर्माण करवाया था
- यह भव्य किला अपनी आकर्षक स्थापत्य कला और सुंदर डिजाइन के लिए देश भर में विख्यात हैं
- जय पोल, लक्ष्मण पोल, सूरत पोल, चाँद पोल, अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार ये बाला किले के सभी 6 प्रवेश द्वारों के नाम है
- जिनसे होकर किले के अंदर प्रवेश किया जा सकता हैं
- बाला किले का इतिहास रहस्य और इसके बारे में उपलब्ध जानकारी आपकों बता रहे हैं |
अलवर का बेहतरीन म्यूजियम
- अगर आपको इतिहास कलाकृति और सांस्कृतिक परंपरा में रुचि है
- तो आपको अलवर के फेमस म्यूजियम देखने जरूर जाना चाहिए
- अलवर के इस संग्रहालय में राजस्थान के इतिहास और विशेष रूप से अलवर के इतिहास की कलाकृतियों की अद्भुत श्रृंखला है
- यहां आप 18वीं और 19वीं सदी की मुगल और राजपूताना काल की स्थापत्य कला और खूबसूरत पेटिंग्स का कलेक्शन देख सकती हैं
- संग्रहालय पूरी तरह से रॉयल परिवार की अद्भुत चीजों से भरा हुआ है
- जिसमें 234 मूर्तियाँ, 11 शिलालेख, 9702 सिक्के, 35 धातु की वस्तुएँ, 2565 पेंटिंग और बेहतरीन पांडुलिपियाँ, 2270 हथियार,
- स्थानीय कला, शिल्प और संगीत वाद्ययंत्र के 1809 ऑब्जेक्ट शामिल हैं
- यदि आप सब भी इस ऐतिहासिक म्यूजियम को देखकर अनोखा अनुभव करना चाहते हैं
- तो यह म्यूजियम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है
- आप दिनभर यहां की खूबसूरत विरासत को इत्मीनान के साथ देख सकती हैं
- तो अलवर की यात्रा में यह म्यूजियम एक महत्वपूर्ण स्थान है।
Conclusion:- मित्रों आज के इस आर्टिकल में हमने अलवर का इतिहास के बारे में कभी विस्तार से बताया है। तो हमें ऐसा लग रहा है की हमारे द्वारा दी गये जानकारी आप को अच्छी लगी होगी तो इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही इंटरेस्टिंग पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहे हमारी साइट TripFunda.in के साथ (धन्यवाद)