बहादुर शाह जफर कौन थे

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बहादुर शाह जफर कौन थे

नमस्कार दोस्तों आज हम इस आलेख में मुगल सम्राट के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर के बारे में बात करने वाले हैं बहादुर शाह जफर का जन्म 14 अक्टूबर सन 1643 ई में बुरहानपुर भारत में हुआ था बहादुर शाह जफर औरंगजेब के दूसरे पुत्र थे कहा जाता है कि बहादुर शाह जफर मुगल सम्राट के अंतिम शासक थे उसके बाद में मुगल सम्राटों का अधिपति खत्म हो गया था और मुगल सम्राट औरंगजेब के उत्तराधिकारी थे औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजगद्दी को बहादुर शाह जफर ने संभाली बहादुर शाह जफर ने 1707 से 1712 ई तक शासन किया उसके बाद में किले को बंदी बनाकर कैद कर दिया गया था

नाम बहादुर शाह जफर
जन्म की तारीख 24 अक्टूबर 1775
जन्म स्थान दिल्ली (भारत)
निधन तिथि 07 नवम्बर 1862
माता व पिता का नाम लालबाई / अकबर शाह द्वितीय
उपलब्धि 1837 – मुग़ल साम्राज्य के अंतिम बादशाह
पेशा / देश पुरुष / स्वतंत्रता सेनानी / भारत

बहादुर शाह जफर के पुरस्कार और सम्मान –

उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है उनकी याद में बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है। जफर को 1857 के नाटक में चित्रित किया गया था जावेद सिद्दीकी द्वारा 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक सफरनामा 2008 में नादिरा बब्बर और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा रिपर्टरी कंपनी द्वारा दिल्ली की प्राणपाला प्राणिमाला में इसका मंचन किया गया था नानबी भट्ट द्वारा निर्देशित एक हिंदी-उर्दू श्वेत-श्याम फिल्म, लाल क़िला (1960), बहादुर शाह ज़फर को बड़े पैमाने पर प्रदर्शित करती है 1986 में दूरदर्शन पर प्रसारित “बहादुर शाह ज़फ़र” नामक एक टेलीविज़न श्रृंखला। अशोक कुमार ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी।
भारत में आजादी की पहली लड़ाई बहादुरशाह जफर के नेतृत्व में 1857 में शुरू हुयी थी। स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा उन्हें कमांडर-इन-चीफ के रूप में नियुक्त किया गया था प्रारंभ में विद्रोह काफी सफल रहा था, लेकिन बाद में यह शक्तिशाली ब्रिटिश सेना द्वारा कुचल दिया गया और बहादुर शाह जफर को परास्त कर दिया था विद्रोह की असफलता के बावजूद क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर को ही भारत के सम्राट के रूप में मानते रहे।
जफर अपने तीन बेटों और पोतों के साथ दिल्ली में हुमायूं के मकबरे में छिपे हुए थे जब ब्रिटिश सेना ने आकर उनके बेटों और पोतों मौत के घात उतार दिया और उनपर विश्वासघात का आरोप लगाया गया था 1858 में उन्हें म्यांमार में रंगून में निर्वासित कर दिया था वह पांच साल के लिए वहाँ रहे और 1862 में, 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया उनके रंगून में मंदिर बहादुर शाह जफर दरगाह में दफनाया गया , जो रंगून में श्वे देगों शिवालय के पास 6 जीवाक रोड पर स्थित है।

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1857 की क्रांति और बहादुर शाह जफर –

उस वक्त तक भी भारत मे मुगल बादशाह को बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता था भारत में उन्हें अब भी अधिकारिक तौर पर सबसे ऊंचे ओहदे पर रखा जाता था अंग्रेजों का यह व्यवहार भारत के लोगों को पसंद नही आ रहा था |
इसी बीच भारत में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत हो गई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, कुंवर सिंह, नाना साहब पेशवा, हरियाणा और राजस्थान के शासको ने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंक दिया |
बहादुशाह जफर ने इस क्रांति का नेता होना स्वीकार किया उन्होंने कमान संभाली और अंग्रेजो से लड़ने के लिए 31 मई, 1857 का दिन निश्चित किया गया लोगों से संपर्क करने के लिए कमल का फूल और रोटी जैसे प्रतीको का उपयोग किया गया हरा और सुनहरा झंडा क्रांति का झंडा बन गया |
इसी बीच मंगल पांडे ने समय से पहले ही बगावत कर दी सारे देश के सैनिक छावनियों में बगावत शुरू हो गई मेरठ ओर दिल्ली सभी जगह अंग्रेजों की हत्या की जाने लगी 10 मई को क्रांतिकारियों की फौज दिल्ली पहुंच गई बहादुरशाह जफर को विधिवत भारत का सम्राट घोषित किया गया |
बहादुर शाह ने सम्राट बनते ही अपने बेटे मिर्जा मुगल को हटाकर दूसरे लायक बेटे बख्त खां को अपना सेनापति बनाया बहादुर शाह ने बहुत सूझबूझ के साथ क्रांति का संचालन किया लेकिन उनके साथ मीर जाफर ने धोखा किया मीर जाफर की गद्दारी की वजह से दिल्ली एक बार फिर से अंग्रेजों के हाथ में चली गई |
बहादुर शाह जफर को कैद कर लिया गया और उन्हें रंगून भेज दिया गया रंगून में उन पर बहुत अत्याचार हुए और उन्हें भूखा-प्यासा तक रखा गया 7 नवम्बर 1862 को उनकी रंगून में ही मुत्यु हो गई उनका ही एक शेर है |

राजस्थान के सम्राट

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