बांसवाड़ा का इतिहास :- बांसवाड़ा के राजा कौन थे , बांसवाड़ा की स्थापना कब की गई , बांसिया भील का इतिहास , बांसवाड़ा का किला , बांसवाड़ा की स्थापना कब हुई , डूंगरपुर का इतिहास , बांसवाड़ा जिले की तहसीलें , श्री राज मंदिर banswara , बांसवाड़ा कब का है , बांसवाड़ा जिले का नक्शा , डूंगरपुर के राजा कौन थे , बांसवाड़ा को सो दीपों का शहर क्यों कहा जाता है ,
बांसवाड़ा राजस्थान का एक प्रमुख जिला है जो दक्षिणी भाग से गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा से लगता है आपको बता दें कि इस जिले को राजस्थान का चेरापूंजी भी कहते हैं। मध्य प्रदेश से होकर आने वाली माही नदी यहां का प्रमुख आकर्षण है यह नदी बासंवाडा जिले की जीवन वाहिनी है इस जगह का अपना नाम बासंवाडा बांस के पेड़ों से मिलता है जो यहां कभी काफी संख्या में हुआ करते थे।
इन सब के अलावा बांसवाड़ा अपने विभिन्न पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है। जिसकी वजह से यह देश भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। माही डैम के कारण बने टापुओं की वजह से इसे ‘‘सिटी ऑफ हण्ड्रेड आईलैण्ड्स’’ के नाम से भीजाना जाता है अगर आप बांसवाड़ा या इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो, इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम आपको बांसवाड़ा के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहें हैं
पौराणिक कथा के अनुसार बांसवाड़ की उत्पत्ति राजा पुत्रका द्वारा की गई थी। वैज्ञानिक इतिहास की माने तो बांसवाड़ा, राजस्थान का इतिहास 490 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ, जब मगध के राजा अजातशत्रु अपनी राजधानी को पहाड़ी क्षेत्र से और अधिक सामरिक रूप से स्थित करना चाहते थे बताया जाता है कि गौतम बुद्ध अपने जीवन के अंतिम वर्ष में इस स्थान से गुजरे थे वर्तमान की स्थापना एक भील राजा वाहिया चरपोटा द्वारा की गई थी वाहिया को राजा बांसिया भील भी कहा जाता था उस उसी के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा 1530 में इस क्षेत्र का बांसवाड़ा राजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा इसकी राजधानी हुआ करता था। 1948 में राजस्थान में शामिल होने से पहले यह डूंगरपुर राज्य का एक भाग हुआ करता था।
* जिला बांसवाड़ा
* जिला मुख्यालय बांसवाड़ा
* जनसंख्या (2011) 1797485
* विकास 0.27
* लिंग अनुपात 980
* साक्षरता 56.33
* क्षेत्रफल (वर्ग किमी) 5037
* घनत्व (/ वर्ग किमी) 399
* तहसील बागीडोरा, बांसवाड़ा, गढ़ी, घटोल, कुशलगढ़
* लोकसभा क्षेत्र बांसवाड़ा
* विधानसभा क्षेत्र बागीडोरा, बांसवाड़ा, गढ़ी, घटोल, कुशलगढ़
* भाषाएं राजस्थानी सहित वगरी, हिंदी
* नदियां अनस, हारान, माही
* अक्षांश-देशांतर 23.435529,74.313869
* पर्यटन स्थल त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, माही बांध, कागड़ी मेड़, अर्थुना, मदरेश्वर मंदिर, अब्दुल रसूल क दरगाह, अंदेश्वर जैन मंदिर, तलवारा, आनंद सागर झील, छींछ, श्री साई बाबा मंदिर, राज मंदिर, रात कुंड, भीम कुंड आदि
* सरकारी कॉलेज/विश्वविद्यालय एचडीजे शासकीय कन्या कॉलेज, एमबीडी शासकीय कॉलेज, एसजीजी शासकीय कॉलेज आदि
बांसवाड़ा राजस्थान राज्य के दक्षिणी बहग का एक शहर है। यह गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा के मध्ये पड़ता है बांसवाड़ा की स्थापना राजा बांसिया भील ने की थी जिसे वाहिया भील के नाम से भी जाना जाता है बांसवाडा के राजा बांसिया के नाम पर ही इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा इसे “सौ द्वीपों का नगर” भी कहते हैं,क्योंकि यहाँ से होकर बहने वाली माही नदी में अनेकानेक से द्वीप हैं यह नदी बासंवाडा जिले की जीवन वाहिनी है इस जगह अपना नाम बासंवाडा बांस के पेड़ों से मिलता है जो यहां कभी काफी संख्या में हुआ करते थे मक्का, गेहूँ और चना बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं बांसवाड़ा में लोह-अयस्क, सीसा, जस्ता, चांदी और मैंगनीज पाया जाता है इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था 1948 में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था।
पौराणिक कथा के अनुसार बांसवाड़ की उत्पत्ति राजा पुत्रका द्वारा की गई थी वैज्ञानिक इतिहास की माने तो बांसवाड़ा, राजस्थान का इतिहास 490 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआजब मगध के राजा अजातशत्रु अपनी राजधानी को पहाड़ी क्षेत्र से और अधिक सामरिक रूप से स्थित करना चाहते थे बताया जाता है कि गौतम बुद्ध अपने जीवन के अंतिम वर्ष में इस स्थान से गुजरे थे वर्तमान की स्थापना एक भील राजा वाहिया चरपोटा द्वारा की गई थी वाहिया को राजा बांसिया भील भी कहा जाता था उस उसी के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा 1530 में इस क्षेत्र का बांसवाड़ा राजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा इसकी राजधानी हुआ करता था 1948 में राजस्थान में शामिल होने से पहले यह डूंगरपुर राज्य का एक भाग हुआ करता था
Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने बांसवाड़ा का इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
यह भी पढ़ें:- डूंगरपुर का इतिहास
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