गोगा नवमी क्यों मनाई जाती है

गोगा नवमी क्यों मनाई जाती है – गोगा नवमी 2021 में कब है, गोगा नवमी कौन सी तारीख की है, गोगा जी की पूजा क्यों की जाती है, गोगा नवमी कैसे मनाई जाती है, गोगा नवमी कब है 2022, गोगा नवमी पोस्टर, गोगा नवमी पर शायरी, गोगा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं, गोगा नवमी कब है 2022, गोगा नवमी 2020, गोगा नवमी की कथा, गोगा नवमी क्यों मनाई जाती है,

गोगा नवमी क्यों मनाई जाती है

भाद्रपद महीने में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन तथा दही हंडी उत्सव के दिन गोगा (गुग्गा) नवमी मनाई जाती है। राजस्थान में गोगा जी लोकप्रिय देवता हैं जो की ‘जहरवीर गोगा जी’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। गोगामेड़ी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक कस्बा है। यहां भादों शुक्ल पक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है। इस दिन श्री जहरवीर गोगाजी की जयंती बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस साल 31 अगस्त को गोगा नवमी मनाई जाएगी।

राजस्थान के अलावा पंजाब और हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में भी यह त्योहार बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। गोगा देवता को नागों का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सांपों के भय से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं होता है।

गोगा नवमी जिसे गुगा नौमी के नाम से भी जाना जाता है वह गोगा देव नाग भगवान की पूजा करने के लिए समर्पित है गोगा नवमी भाद्रपद के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के अंधेरे पखवाड़े) की नवमी तिथि (9 वें दिन) पर मनाई जाती है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त या सितंबर में आता हैं |

हिंदू परंपराओं में गोगा देव जी को जाहरवीर गोगा भी कहा जाता है, एक लोकप्रिय लोक देवता है. जिसे भारत के उत्तरी राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है यह व्यापक धारणा है कि वह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को प्रकट हुए थे और इसलिए हिंदू भक्तों ने उन्हें यह दिन समर्पित किया. गोगा नवमी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में बेहद धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई जाती है राजस्थान, मध्यप्रदेश में गोगा नवमी पर भव्य मेले लगते हैं और उत्सव तीन दिनों तक चलता है

गोगाजी कौन थे –
गोगाजी चौहान वंश के पृथ्वी राज चौहान के बाद अत्यंत वीर , प्रतापी और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का जन्म गुरु गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। खुद गोगाजी भी गुरु गोरखनाथ के प्रमुख अनुयायी थे। गोगाजी के पिता का नाम जैबर सिंह और माँ का नाम बाछल देवी था। उनका राज्य सतलज से हांसी ( हरियाणा ) तक फैला हुआ था।
गोगाजी जी का आदर्श व्यक्तित्व ने लोगों पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है। राजस्थान के मुख्य छह सिद्धों में से पहला स्थान गोगाजी को दिया जाता है।

कहां-कहां मनाया जाता है त्योहार –
गोगा देव को गुरु गोरखनाथ का प्रमुख शिष्य माना जाता है। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम मानते हैं। इस त्योहार को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य कई राज्यों में धूमधाम से मनाते हैं।

गोवा नवमी का महत्व –
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी गोगा देव का जन्म हुआ था। गोगा देव की पूजा 9 दिनों तक की जाती है। यानी पूजा-पाठ श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है। आज के दिन लोग घरों में अपने ईष्ट देवता गोगा देवी की वेदी बनाते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।

कहा जाता है कि गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। कहते हैं कि गोगा देव की माता बाछल को योगी गोरक्षनाथ ने प्रसाद के रुप में एक गुग्गल दिया था। जिसके फलस्वरुप गोगा देव का जन्म हुआ था।

जानिए कैसे करें पूजा –
1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र पहनकर गोगा जी की गीली मिट्टी से मूर्ति बनाएं।
2. गोगा देव को वस्त्र, रोली, चावल और अक्षत अर्पित करके भोग लगाएं।
3. इस दिन गोगा जी के घोड़े की पूजा का भी विशेष महत्व है। गोगा देव के घोड़े को दाल का भोग लगाया जाता है।
4. मान्यता है कि रक्षाबंधन पर बहनें जो रक्षासूत्र अपने भाइयों की कलाई पर बांधती है। उसे खोलकर गोगा देव को अर्पित करती हैं।
5. माना जाता है कि गोगा देव की विधि-विधान से पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

कैसे करें पूजा –
1. नवमी के दिन स्नान करने के बाद या तो घर में गोगा देव की मिट्टी की मूर्ति लाकर या घोड़े पर सवार वीर गोगा जी के चित्र की रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से पूजा करनी चाहिए।
2. खीर, चूरमा, पकौड़ी आदि चढ़ाएं।
3. गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चने की दाल चढ़ाएं।

गोगा जी की कथा सुनकर भक्त नागदेवता की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से नागों के देवता की पूजा करता है, गोगा जी महाराज उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

गोगादेव पूजा का विधान –
इस दिन दीवार पर गेरू से पीसकर दूध में कोयला पीसकर चकोर घर बनाकर उसमें पांच सर्व करते हैं। इसके बाद इन सांपों को जल, कच्चा दूध, रोली-चावल, बाजरा, आटा, घी, चीनी का भोग लगाना चाहिए और पुजारी को भिक्षा देनी चाहिए।

गुगा मारी मंदिरों में इस दिन विभिन्न पूजा और जुलूस का आयोजन किया जाता है। गोगा नवमी पर, हिंदू भक्त किसी भी चोट या क्षति से सुरक्षा के आश्वासन के रूप में भगवान गोगा जी को रक्षा स्तोत्र भी बांधते हैं।

इस व्रत को करने वाली महिलाएं सौभाग्यशाली होती हैं। पति विपत्ति से सुरक्षित रहता है और मनोकामना पूर्ण होती है। बही भाइयों को टीका लगाती है और मिठाई खिलाती है। बडेल में भाई सत्ता में बैठी बहनों को पैसा देते हैं।

लोक देवता गोगा जी का जीवन परिचय –
1. नाम : गोगा जी चौहान
2. पिता : जेवरसिंह चौहान
3. माता : बाछल
4. जन्म स्थल : ददरेवा ,चुरु (राजस्थान )

गोगामेड़ी में गोगाजी मेला –
गोगाजी का मुख्य स्थान गोगामेड़ी घूरमेड़ी ghoormedi ( राजस्थान ) के हनुमानगढ़ जिले में नोहर के पास स्थित है। यहाँ सावन पूर्णिमा से मेला शुरू हो जाता है। वैसे तो पूर्णिमा से ही लोग आने शुरू हो जाते हैं लेकिन गोगा पंचमी Goga Panchami तथा गोगा नवमी Goga navmi के दिन अधिक संख्या में आकर लोग दर्शन का लाभ उठाते हैं।

गोगामेड़ी में गोगाजी का समाधी स्थल है। इसके अलावा गोगामेड़ी में गुरु गोरख नाथ टीला भी है। गोगामेड़ी धाम हिन्दू व मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहाँ गोगाजी और गुरु गोरखनाथ के प्रति भक्ति की अविरल धारा बहती है। लोग गोरखनाथ टीले पर शीश नवाते हैं फिर गोगाजी की समाधी पर ढ़ोक लगाते हैं।

त्यौहार से संबंधित लिस्ट

Leave a Comment