गोंड राजाओं की वंशावली

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आज हमारे समाज में गोत्र के नाम से बहुत ज्यादा भ्रम हैं जिसके कारण समाज में कभी कभी कुछ ऐसे घटना घट जाता हैं जिसकी समाज में किसी को उम्मीद नहीं होता हैं, हम सबको , खासतौर से युवा वर्ग को अपने गोत्र और उस गोत्र के अन्दर कितने- कितने उप गोत्र आते हैं के बारे में जानकारी होना चाहिए।

अब यह ध्यान देने वाली बात हैं की कुरुम गोत्र में उपगोत्र आयाम से लेकर शिवराम तक (ऊपर फोटो में देखे ,18 उपगोत्र ) आपस में भाई -भाई होंगे और इनमे आपस में विवाह हेतु वर वधु का लेनदेन नहीं हो सकता , बल्कि विवाह हेतु कुरुम गोत्र के लोग अन्य गोत्र के उपगोत्रों से (कुछ निजी समन्धो जैसे की मौसी -बड़ी आदि को छोड़ कर )वर वधु का लेनदेन कर सकते हैं ,

नया जानकारी शामिल किया गया हैं –
सभी गोंडवाना को जय सेवा जय जोहर
आज दिनांक 13/03/1019 को मैं ( बीरन सिंह टेकाम ) थोड़ा सा और जानकारी जोड़ रहा हूँ। जिसके अनुसार ऊपर में दिखाए गोत्रवली में और भी गोत्रा होंगे जिसका खोज करना हम सभी सागा येन का कर्तब्य हैं।
अतः आपको जो भी नया जानकारी मिलता हैं उसे हमारे तक जरूर पहुँचए जिससे उस जानकारी को और अधिक लोगो तक आसानी से पंहुचा सके.
जैसे की हम सभी कोयवशी 750 लिखते हैं लेकिन इसका मतलब क्या हैं शायद कुछ ही लोग जानते होंगे इसलिए मुझे जो जनकरी मिली हैं उसे आपके साथ भी शेयर कर रहा हूँ।

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु –
ध्रुव वंश गोत्रावली –
तीन देव:- सोरी, मरकाम, खुसरो
चार देव :- नेताम, टेकाम, करियाम, सिंदराम.
पांच देव :- पडोती, पद्राम, पुराम, किले, नहका, नमृर्ता
छ: देव:- कतलाम, उइका, ओटी, कोर्राम, तुमरेकी, कोड़प्पा, कोमर्रा, कोहकटा, पट्टा, अरकरा, दराजी, सलाम, पुसाम, पावले, घावड़े, ततराम, जीर्रा, मातरा,गावडे़, कुमेटी,
सात देव :- कुंजाम, सेवता, मरई (मंडावी), खुरश्याम, ताराम, पंद्रो, श्याम

मुख्य देवगढ़ –
तीन देव:- “धमधागढ़”
चार देव:- “लांजीगढ़”
पांच देव:- “बैरागढ़”
छ:देव:- “चांदागढ़”
सात देव:- “मंडलागढ़”

यह बिलासपुर, रतनपुर एवं सरगुजा वनक्षेत्र में प्रचलित है:-
तीन देव:- धमधागढ़, शांडिल्य गोत्र बाघ बाना
मरकाम, नेटी, खुसरो, सोरी, सिरसो, पोया
चार देव:- रायसिंघोरागढ़, गोत्रगुरूप,बाना फुलेशर
टेकाम, नेताम, आयम, केराम, करियाम, शिवराम, मर्सकोला, तिलगाम, सिंगराम, घुरायम, धुरवा, लेडाम, पुसाम, ओची, परपची, उडवाची, झिकराम, झुकरा
पांच देव:- हीराग, कांशी, गोत्र कटककेसर बाना
ओटी, पोटी, सवाम, चिरको, डफाली
पांच देव:- बैरागढ़, शेया गोत्र, परथ बाना
परते, कमरो, कोरचो, ओलको, चेचाम
छ:देव:- देवगढ़, पुहुप गोत्र, नाग बाना
उइका, उर्रे, अरमो, ओरकेरा, कोर्राम, मरापो, ओड़े, ओडाली, पावले, नगतध्रुर्वा, पोटा, नीरा
सात देव:- गढ़ मंडला, आंडिल्य गोत्र, नाग बाना
मरावी, मसराम, श्याम, सरूता, मलगाम, मर्सकोला, करपे, पंद्रो, घेराम, सोरटिया, आरमोर, कंगाली, भलावी, मलावी, बदिहा, कोलिहा

पहरिया गोंड –
इसमें देव व्यवस्था नही होती सिर्फ पक्ष विपक्ष होता है –
प्रथम पक्ष –
गावड़े, नेताम, टेकाम, कोर्राम, कोमर्रा, कुमेटी, मरकाम, करलाम, पोया, पद्दा, पदोटी, तुमरेकी, उइका, सलाम, कमरो, उसेंडी, हिडको, सोरी, पुडो, नुटी, तटा, वट्टी, तोपा, मतलामी, मर्रापी, परचापी, होडोपी, होडोषी, हिरामी, हिचामी, हर्रो, कोवाची, केराम, कोरचा, कमरो, कुमेटी, करियाम,

द्वितीय पक्ष– मरई, कुंजाम, श्याम, ध्रुर्वा, कोरोटी, दर्रो, कौड़ो, खुरश्याम, सेवता, गोटी, पोया, पदागोटा, नुरोटी, नेरोटी, वरवेटी, नरेटी, कल्लो, आ्चला, दुग्गा, तुलाई, तारम, करंगा, बोगा, पोटई, हुर्रा, कोला |
इसमें सिर्फ दो घराना होते हैं .या कह सकते हैं सम व विषम या लिंगो दर्शन के अनुसार पितृ पक्ष एवं मातृपक्ष ,सम पितृ पक्ष 2,4,/8,10,12 देव तथा विषम मातृ पक्ष 1,3,5,7,9, देव
बोरदा, शक्ति क्षेत्र की वंशावली |

गोंड सात वंश के हैं –
1,सुर्यवंशी (देवगढ़ चांदा )* गोत्र पारेश्वर 6 भाई जगत, 1.धुरवा,2.पोखर 3.पोटा 4. भोय 5. गड़तिया 6. धोवा बनवास मांझी
2. सोमवंशी. पोर्रे ( बैरागढ़ ) गोत्र अत्रि
5 भाई पोर्रे ( पोर्ते )1.नेताम,2.कामेरा 3. मांझी 4.राय 5. भुलेटर
3.गंगवंशी नेताम (लांजीगढ़)* गोत्र_कश्यप,4 भाई
नेताम, टेकाम, मरपाची, केवाची
4. गाग्रमवंशी मरकाम (धमधागढ़)* शांडिल्य 5 भाई
1.टेढ़ी मरकाम,2. डुडी मरकाम 3. सहाड़ मरकाम 4.सेत मरकाम 5.साल मरकाम
5.जदुवंशी नेट (सम्हरगढ़ ) गोत्र अन्डील 3 भाई नेटी
6.कदमवंशी ओटी(आलंका भुवन मठ )गोत्र पुलस्त 6 भाई ओटी 1.डोंगर गछा 2.डाही डोरा 3.भद्रा 4.बिसोरिहा 5. बहीगा 6. सील
7.नागवंशी मरई(मरावी )गढ़ मंडला ,गोत्र पुहुप 7 भाई 1.गुटाम 2. कुंजाम 3. पुसाम 4. पुरकाम 5. साय ( साही) 6. राय 7. कांदरो

त्यौहार से संबंधित लिस्ट

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