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हजारी प्रसाद द्विवेदी कौन थे
नाम | आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
जन्म | 1864 |
मृत्यु | 21 फ़रवरी 1938 |
जन्म स्थान | ग्राम दौलतपुर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत कुछ प्रमुख कृतियाँ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | काव्यमंजूषा, काव्यकलाप, सुमन, द्विवेदी काव्यमाला, बालविनोद |
विविध | “आचार्य” और “वाचस्पति” की उपाधियों से सम्मानित |
हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय –
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के आरत दुबे का छपरा, ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई उन्होंने 1920 में बसरिकापुर के मिडिल स्कूल से प्रथम श्रेणी में मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की इसके बाद उन्होंने गाँव के निकट ही पराशर ब्रह्मचर्य आश्रम में संस्कृत का अध्ययन आरम्भ किया सन् 1923 में वे विद्याध्ययन के लिए काशी आये वहाँ रणवीर संस्कृत पाठशाला, कमच्छा से प्रवेशिका परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की 1927 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की इसी वर्ष भगवती देवी से उनका विवाह सम्पन्न हुआ 1929 में उन्होंने इंटरमीडिएट और संस्कृत साहित्य में शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण की 1930 में ज्योतिष विषय में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। शास्त्री तथा आचार्य दोनों ही परीक्षाओं में उन्हें प्रथम श्रेणी प्राप्त हुई।
हजारी प्रसाद द्विवेदी शिक्षा –
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई उन्होंने 1920 में बसरिकापुर के मिडिल स्कूल से प्रथम श्रेणी में मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की इसके बाद उन्होंने गाँव के निकट ही पराशर ब्रह्मचर्य आश्रम में संस्कृत का अध्ययन आरम्भ किया सन् 1923 में वे विद्याध्ययन के लिए काशी आये वहाँ रणवीर संस्कृत पाठशाला, कमच्छा से प्रवेशिका परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की 1927 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी वर्ष भगवती देवी से उनका विवाह सम्पन्न हुआ1929 में उन्होंने इंटरमीडिएट और संस्कृत साहित्य में शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण की 1930 में ज्योतिष विषय में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। शास्त्री तथा आचार्य दोनों ही परीक्षाओं में उन्हें प्रथम श्रेणी प्राप्त हुई
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हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रमुख उपन्यास-
बाणभट्ट की आत्मकथा (1947 ई.)
चारु चंद्रलेख (1963 ई.)
पुनर्नवा (1973 ई.)
अनामदास का पोथा (1976 ई.)
हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रमुख रचनाएँ –
सूर साहित्य (1936 ई.)
हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940 ई.)
कबीर (1942 ई.)
बाणभट्ट की आत्मकथा (1947 ई.)
अशोक के फूल (1948 ई.)
आधुनिक हिन्दी साहित्य पर विचार (1949 ई.)
साहित्य का मर्म (1949 ई.)
नाथ संप्रदाय (1950 ई.)
कल्पलता (1951 ई. ई.)
हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास (1952 ई.)
हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952 ई.)
विचार और वितर्क (1954 ई.)
संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो (1957 ई.)
विचार प्रवाह (1959 ई.)
संदेश रासक (1960 ई.)
लालित्य मीमांसा (1962 ई.)
चारु चंद्रलेख (1963 ई.)
कुटज (1964 ई.)
साहित्य सहचर (1965 ई.)
कालिदास की लालित्य योजना (1965 ई.)
मृत्युंजय रवीन्द्र (1970 ई.)
मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970 ई.)
आलोक पर्व (1972 ई.)
पुनर्नवा (1973 ई.)
अनामदास का पोथा (1976 ई.)
महापुरुषों का स्मरण (1987 ई.)
हजारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान –
1957 ई. पद्मभूषण (भारत सरकार)
1966 ई. टैगोर पुरस्कार (पश्चिम बंग साहित्य अकादमी)
1973 ई. ‘आलोक पर्व’ निबंध संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
हजारी प्रसाद द्विवेदी निबंध संग्रह –
अशोक के फूल (1948 ई.)
कल्पलता (1951 ई.)
विचार और वितर्क (1954 ई.)
विचार प्रवाह (1959 ई.)
कुटज (1964 ई.)
आलोक पर्व (1972 ई.)
मृत्यु-
4 फरवरी 1979 को पक्षाघात के शिकार हुए और 19 मई 1979 को ब्रेन ट्यूमर से दिल्ली में उनका निधन हो गया।
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