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जयपुर में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
जयपुर में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय का इतिहास :-
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान राज्य के जयपुर शहर के सर्वाधिक सुन्दर उद्यान रामनिवास बाग़ में निर्मित किया गया है रामनिवास बाग़ का निर्माण महाराजा रामसिंह ने अकाल राहत कार्यो के अन्तर्गत 4 लाख रू. की राशि व्यय कर करवाया था महाराजा रामसिंह ने ही 6 फ़रवरी, सन 1876 में ब्रिटेन के महाराजा एडवर्ड सप्तम प्रिन्स ऑफ़ वैल्स के रूप में भारत आने के समय पर स्मृति के रूप में अल्बर्ट हॉल का निर्माण प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में इस भवन को संग्रहालय का रूप दे दिया गया है भवन की वास्तुनियोजन सर स्विंटन जैकब द्वारा की गयी। भारतीय व फ़ारसी शैली में बनी इस भव्य इमारत में इस समय संग्रहालय संचालित किया जा रहा है अल्बर्ट हाल देश की एकमात्र ऐसी इमारत है, जिसमें कई देशों की स्थापत्य शैली का समावेश देखने को मिलता है इमारत के वास्तुकार कर्नल एस. जैकब ने दुनिया के संग्रहालयों की जानकारी लेकर बनवाया था इस भवन में प्रवेश करते हुए एक हाल है जिसमें जयपुर के राजाओं के चित्र व राजचिह्न हैं चारों तरफ भारतीय व विदेशी कला के नमूनों की प्रतिकृतियाँ व भित्ति चित्र हैं।
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जयपुर में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय पूरी जानकारी :-
जयपुर में रामनिवास बाग के उद्यानों के बीच अल्बर्ट हाॅल संग्रहालय या केंद्रीय संग्रहालय राजस्थान राज्य के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। अल्बर्ट हाॅल संग्रहालय को लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय की तर्ज पर बनाया गया है और यह भारतीय-अरब शैली का प्रतीक है।
स्थान – यह संग्रहालय राजस्थान में जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित है।
इस संग्रहालय का डिजाइन सन् 1876 में कर्नल सर स्विंटन जैकब ने तैयार किया था। प्रिंस आॅफ वेल्स किंग एडवर्ड सप्तम की भारत यात्रा पर उनके सत्कार के लिए इसे तैयार किया गया था। दस सालों के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया। सन् 1969 के बाद से निचली मंजि़ल की गैलरियों को कई मर्तबा पूरी तरह से फिर से बनाया गया है।
प्रदर्शनी – संग्रहालय में पुराने समय के सामान जैसे मिनिएचर पेंटिंग, कालीन, मेटल और लकड़ी के शिल्प, खिलौने, गुडि़या, शस्त्र और हथियार और टाॅलेमी काल की मिस्त्र की एक ममी का दुर्लभ संग्रह यहां प्रदर्शित है। इन सबमें सबसे असाधारण वस्तु एक कालीन है जिसमें एक झरने और फारसी बागीचे के दृश्य को दिखाया गया है। इस कालीन को मिर्जा राजा जयसिंह ने फारस के शाह अब्बास से महंगे दाम पर खरीदा था।
संग्रहालय में भूतल पर गैलरी में राजस्थान के समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के कपड़े और गहने प्रदर्शित किये गए हैं।
यहां एक प्रदर्शनी है जिसमें विशेष सुविधाप्राप्त वर्ग राजपूतों और अमीर व्यापारियों के वस्त्रों और राजस्थान की विभिन्न जनजातियों जैसे भील, मीणा, गडोलिया और लोहारों के कपड़ों का संग्रह है। इस गैलरी को देखते हुए कोई भी व्यक्ति राजस्थान की जनजातियों की संस्कृति और उनकी जीवन शैली से परिचित हो सकता है।
इस संग्रहालय की एक गैलरी पूरी तरह से राजस्थान की शानदार मेहंदी कला को समर्पित है और इस गैलरी को ‘मेहंदी मांडणा’ के नाम से जाना जाता है। इस गैलरी में ठेठ राजस्थानी पैटर्न और नमूने प्रदर्शित हैं जिन्हें दुनिया भर में अनूठा और विशिष्ट माना जाता है।
एक अन्य गैलरी में कठपुतलियां और मारवाड़ के लोकनायक पाबूजी राठौर के जीवन का चित्रांकन करते फाड़ चित्र प्रदर्शित हैं।
केंद्रीय गैलरी में राजस्थान के संगीत और नृत्य के रुप भी प्रदर्शित हैं जो इस संग्रहालय में सबसे ज्यादा देखने योग्य हैं।
समय – यह संग्रहालय शनिवार से गुरुवार खुला रहता है और शुक्रवार को बंद रहता है।
जयपुर की पूरी जानकारी |
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