जैसलमेर के राजघराने का इतिहास

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खूबसूरत हवेलियां बड़े-बड़े भवन व्यापारियों और सैनिकों के सुंदर आवासीय परिसर एवं भव्य मंदिर बने हुए हैं जो कि इस किले को अन्य किलों से अलग पहचान दिलवाती हैं जैसलमेर का यह भव्य किला इतिहास की कई बड़ी लड़ाईयों का भी ग्वाह बन चुका है इस विशाल किला ने आजादी के बाद साल 1965 से 1971 के बीच हुए भारत-पाक के युद्ध में भी लाखों लोगों को संरक्षण देकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यही नहीं जैसलमेर का यह कला अपनी अद्बुत वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है जैसलमेर का किला भारतीय इस्लामी और फारसी वास्तुशैली का बेजोड़ मिश्रण है।
जैसलमेर किला थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर खड़ा है और यहाँ काफी इतिहासिक लड़ाईयां भी हुई है किले में भारी पीले रंग के बलुआ पत्थरो की दीवारे बनी है दिन के समय सूरज की रौशनी में इस किले की दीवारे हल्के सुनहरे रंग की दिखती है इसी कारण से यह किला सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है यह किला शहर के बीचो बिच बना हुआ है और जैसलमेर की इतिहासिक धरोहर के रूप में लोग उस किले को देखने आते है।

जैसलमेर की वास्तुकला 

जैसलमेर में स्थित इस किले का न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व है बल्कि यह अपनी अनूठी और बेजोड़ वास्तुकला के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है इस किले का निर्माण भारतीय, इस्लामी और फारसी वास्तुशैली के मिश्रण से बनाया गया है
किले के निर्माण में पीले रंग की रेत और पीले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है वहीं जब इसमें दिन में सूर्य की रोश्नी पड़ती है तो यह सोने की तरह चमकता है इसलिए यह गोल्डन फोर्ट और सोनार दुर्ग के नाम से भी मशहूर है।
वहीं इस किले की खूबसूरती को देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।76 मीटर ऊंचे इस विशाल जैसलमेर दुर्ग की लंबाई 460 मीटर और चौड़ाई 230 मीटर है इस किले में 4 भव्य और विशाल प्रवेश द्धार है जिसमें से एक द्धार पर तोपे भी लगी हुईं हैं।

जैसलमेर किले तक कैसे पहुँचे 

जैसलमेर रेल, सड़क और वायु के माध्यम से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जैसलमेर में स्थानीय परिवहन काफी अच्छा है जैसलमेर शहर में ऑटो रिक्शा परिवहन का एक सस्ता साधन है मुख्य जैसलमेर शहर से आप पैदल भी इस किले तक जा सकते हैं |

जैसलमेर किले का इतिहास 

जैसलमेर किला 1156 CE में रावल जैसल ने बनवाया था जैसल गौर के सुल्तान द्वारा बनाये षड्यंत्र में फस गया ताकि वह उसके प्रदेश को अपने भतीजे भोजदेव से बचा सके किले की एक और महत्वपूर्ण घटना 1276 में घटी जब जेत्सी के राजा ने दिल्ली के सुल्तान से परेशान होकर उसपर आक्रमण किया।
56 दुर्ग की चढ़ाई 3700 सैनिको ने की थी आक्रमण के 8 सालो बाद सुल्तान की आर्मी ने महल का विनाश कर दिया उस समय भाटियो ने किले को नियंत्रित किया लेकिन उनके पास ताकत का कोई साधन नही था 1306 में दोदू द्वारा बलपूर्वक राठौर को बाहर निकालने की बहादुरी के लिये उन्हें ही किले का रावल चुना गया।
और तभी से उन्होंने किले का निर्माण करना शुरू किया लेकिन रावल मुग़ल साम्राज्य के हमलो को सहन नही कर सका और परिणामस्वरूप 1570 में वह अकबर की शरण में चला गया और अपनी बेटी का विवाह भी उससे करा दिया।

जैसलमेर का महत्वपूर्ण तथ्य 

जैसलमेर का किला मुस्लिम और राजपूत दोनों वास्तुकला शैलियों को समेटे हुआ है सन 1156 किला कई हिंदू और बाद में मुस्लिम राजाओं के हाथों में था जिन्होंने इसकी वास्तुकला में योगदान दिया था।
जैसलमेर के किले कि दीवारे सुबह के समय सूरज की किरणों से छलनी हो जाती हैं जिससे यह विशाल महल पीले रेगिस्तान में अदृश्य हो जाता था इसका उपयोग राजाओं ने अपने दुश्मनों से किले को बचाने के लिए किया था।
जैसलमेर का किला भारत का एक मात्र किला है जिसमे लोग किले के परिसर में रहते हैं और दुकानों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए स्थापित किया गया है किले के परिक्षेत्र में होटल और एक पुरानी हवेली भी है।

जैसलमेर किले का जीर्णोद्धार 

किले के अंदर बढ़ती आबादी अपर्याप्त नागरिक सुविधाओं अपमानजनक घरों और कई अन्य चीजों के कारण जैसलमेर का किला एक कब्जे वाला किला है कमजोर तलछटी चट्टान पर निर्मित सीपेज ने जेलसमेर किले के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया इसके कारण किले के अंदर की कई उल्लेखनीय इमारतें ध्वस्त हो गईं विश्व स्मारक निधि और अमेरिकन एक्सप्रेस जैसे विभिन्न संगठनों द्वारा कई पुनर्स्थापना निधि दी गई है

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