जालौर का इतिहास:- नमस्कार मित्रों आज हम बात करेंगे जालौर का इतिहास के बारे में जालौर राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है यह राजस्थान की सुवर्ण नगरी और ग्रेनाइट सिटी से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में ‘जाबालिपुर’ के नाम से जाना जाता था। जालौर जिला मुख्यालय यहाँ स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले बहुत बड़ी रियासतों मे एक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पश्चिमी राजस्थान मे प्रमुख रियासत थी तो आइए हम जानते हैं इस आर्टिकल में विस्तार से.
जालौर किले का इतिहास
- जालौर किले का इतिहास के बारे में बात करें तो बता दें कि इस किले का वास्तविक निर्माण समय आज तक अज्ञात है
- ऐसा माना जाता है कि किले का निर्माण 8 वीं -10 वीं शताब्दी के बीच हुआ था। 10 वीं शताब्दी में जालौर शहर परमार राजपूतों द्वारा शासित था
- जालौर का किला 10 वीं शताब्दी का किला है
- “मारू” (रेगिस्तान) के नौ महल में से एक है
- जो परमार वंश के अधीन था
- 1311 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला किया और इसे नष्ट कर दिया था
- किले के खंडहर पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण हैं
- जो भारत के इतिहास के बारे में और भी ज्यादा जानने के लिए यहां आते हैं
जालौर किले के रोचक तथ्य
- जालौर किले पर जब अला उद दीन खिलजी ने हमला किया
- तो कई राजपूत सैनिकों ने शहादत प्राप्त की, तो इसके बाद उनकी पत्नियों ने जलती हुई आग के एक तालाब में कूदकर खुद को जला दिया।
- यह राजपूत महिलाओं के बीच सर्वोच्च बलिदान की एक लोकप्रिय परंपरा थी
- इसे “जौहर” कहा जाता था।
- जालौर किले का मुख्य आकर्षण रिहायशी महल है
- कई हिंदू मंदिर, मस्जिद और जैन मंदिर आप किले परिसर के अंदर देख सकते हैं
जालोर दुर्ग खुलने और बंद होने का समय
- जालौर किला आप सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक जा सकते हैं
जालौर किला घूमने का सबसे अच्छा समय
- अगर आप जालौर किला घूमने जाने के बारे विचार कर रहें हैं
- यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है
- इन महीनों के दौरान राजस्थान का मौसम काफी ठंडा होता है
- मार्च से जून तक यहां पर गर्मियों का मौसम होता है
- रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित होने की वजह से जालौर किले की यात्रा गर्मियों में नहीं करना चाहिए बारिश के मौसम में यहां की यात्रा
- करना सही नहीं है
- ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है
जालौर फोर्ट के आसपास में घूमने लायक पर्यटन स्थल
तोपखाना
- तोपखाना जालौर शहर के मध्य में स्थित है
- जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है
- यह तोपखाना कभी एक भव्य संस्कृत विद्यालय था
- जिसे राजा भोज ने 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के बीच बनवाया था
- राजा भोज एक बहुत बड़े संस्कृत के एक विद्वान थे
- उन्होंने शिक्षा प्रदान करने के लिए अजमेर और धार में कई समान स्कूल बनाए हैं
- देश के स्वतंत्र होने से पहले जब अधिकारियों इस स्कूल का इतेमाल गोला-बारूद के भंडारण के उपयोग किया था
- तो इसका नाम तोपखाना रख दिया गया था
- आज भले ही इस स्कूल की इमारत काफी अस्त-व्यस्त हो चुकी है
- लेकिन इसके बाद भी यह आज भी काफी प्रभावशाली है
- तोपखाना की पत्थर की नक्काशी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं
- यहां इसके दोनों तरफ दो मंदिर भी स्थित हैं लेकिन इन मंदिरों में कोई मूर्ति नहीं है
- टोपेखाना की सबसे संरचना जमीन से 10 फ़ीट ऊपर बना एक कमरा है
- जहां जाने के लिए सीढ़ी लगाईं गई है
- तो उसको इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा जरुर करनी चाहिए
मलिक शाह मस्जिद
- मलिक शाह मस्जिद जालौर किले के प्रमुख स्थलों में से एक है
- जिसका निर्माण अला-उद-दीन-खिलजी के शासन द्वारा करवाया गया था
- इस मस्जिद को बगदाद के सेलजुक सुल्तान मलिक शाह को सम्मानित करने के लिए किया गया था
- मलिक शाह मस्जिद को अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है
- जो गुजरात में पाए गए भवनों से प्रेरित है
सराय मंदिर
- सराय मंदिर जालौर के प्रमुख मंदिरों में से एक है
- यह मंदिर जालौर मर कलशचल पहाड़ी पर 646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
- इस मंदिर का निर्माण महर्षि जाबालि के सम्मान में रावल रतन सिंह ने करवाया था
- पौराणिक कथाओं अनुसार कहा जाता है
- कि पांडवों ने एक बार मंदिर में शरण ली थी
- इस मंदिर तक जाने के लिए पर्यटकों को जालौर शहर से होकर गुजरना होगा
- मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करनी होती है
- जालौर की यात्रा दौरान सभी पर्यटकों को सराय मंदिर के दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए
सुंधा माता मंदिर
- सुंधा माता मंदिर जालौर के प्रमुख मंदिरों में से एक है
- जो भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है
- सुंधा माता मंदिर समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बना है
- इस मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है
- यह मंदिर एक पवित्र स्थल है
- जिसमें देवी चामुंडा देवी की मूर्ति है जो सफेद संगमरमर से बनी है
- सुंधा माता मंदिर के स्तंभों का डिज़ाइन माउंट आबू में स्थित दिलवाड़ा मंदिर काफी मिलता है
- इस मंदिर में ऐतिहासिक मूल्य के कुछ शिलालेख भी हैं
- अगर आप राजस्थान के जालौर जिले की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं
- तो सुंधा माता मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य जाएं
जालौर वन्यजीव अभयारण्य
- जालौर वन्यजीव अभयारण्य भारत में एकमात्र प्राइवेट अभयारण्य है
- जो जालौर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है
- यह अभयारण्य जालौर शहर के पास जोधपुर से 130 किमी दूर स्थित है
- जालौर वन्यजीव अभयारण्य एक दूरस्थ प्राकृतिक जंगल है
- जो 190 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है
- इस अभयारण्य में पर्यटक कई तरह के लुप्तप्राय जंगली जानवरों को देख सकते हैं
- यहां पाए जाने वाले जानवरों में रेगिस्तानी लोमड़ी, तेंदुआ, एशियाई-स्टेपी वाइल्डकाट, तौनी ईगल के नाम शामिल हैं
- इसके अलावा यहां पर नीले बैल, मृग और हिरणों के झुंड को जंगल में देखा जा कसता है
- जालौर वन्यजीव अभयारण्य में आप पैदल यात्रा कर सकते हैं
- जीप सफारी की मदद से जंगल को एक्सप्लोर कर सकते हैं
- वन अधिकारी प्रतिदिन दो सफारी संचालित करते हैं
- जो तीन घंटों की होती है
- बर्ड वॉचर्स के लिए यह जगह बेहद खास है
- यहां पर पक्षियों की 200 विभिन्न प्रजातियों को देखा जा सकता है
- अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं तो जालौर वन्यजीव अभयारण्य की सैर अवश्य करें
नीलकंठ महादेव मंदिर
- नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर जिले की भाद्राजून तहसील में स्थित है
- जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है
- गांव में प्रवेश करते समय आप इस मंदिर को देख सकते हैं
- नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है
- यह मंदिर अपनी उंची संरचना से यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद प्रभावित करता है
- इस मंदिर के बारे में कहा जाता है
- कि यहां एक विधवा महिला ने एक शिवलिंग देखा था
- इसके बाद वो नियमित रूप से इस शिवलिंग की पूजा करने लगी थी
- महिला के मजबूत विश्वास के परिवार के लोगों के इस शिवलिंग को कई बार दफ़नाने की कोशिश की, लेकिन यह शिवलिंग बाहर निकल जाता
- इस तरह वहां पर रेत का एक विशाल टीला उभर आया
- शिवलिंग के इस चमत्कार को देखकर मंदिर की स्थापना की गई थी
यह मंदिर बहुत पुराना है - इस मंदिर में बारिश के मौसम और शिवरात्रि के दौरान भक्तों की काफी भीड़ आती है
- अगर आप जालौर की यात्रा शिवरात्रि के समय कर रहें हैं तो मंदिर में दर्शन के जरुर जाएं
जालौर किला कैसे जाये
- जालौर किले का नजदीकी एयरपोर्ट जोधपुर एयरपोर्ट है
- जो जालौर से सिर्फ 141 किलोमीटर दूर है
- हवाई अड्डे से पर्यटक जालौर किले के लिए टैक्सी और या कैब ले सकते हैं
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 के पास स्थित होने कि वजह से यह जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और बॉम्बे से राजस्थान रोडवेज / निजी बस सेवाओं के माध्यम अच्छी तरह से जुड़ा है
- जालौर किले का नजदीकी रेलवे स्टेशन जोधपुर है
- जो भारतीय रेलवे के माध्यम से भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है
रेल द्वारा जालौर किला कैसे पहुंचें
- जो भी पर्यटक जालौर किले की यात्रा ट्रेन द्वारा करना चाहते हैं
- कि किले का निकटतम रेलवे स्टेशन जालौर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है
- समदड़ी-भिलडी शाखा लाइन जालौर किला और भीनमाल शहरों को जोड़ती है
- इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं
- देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालौर किला के लिए रोजाना कई ट्रेन उपलब्ध हैं
जालौर किला सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें
- अगर आप सड़क मार्ग से जालौर किले के लिए यात्रा करना चाहते हैं
- कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है
- यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं
- जालौर किले का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है
कैसे पहुंचें जालौर किला हवाई मार्ग द्वारा
- अगर आप जालौर किले के लिए यात्रा हवाई जहाज से करना चाहते हैं
- कि इसका निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा (JDH), जोधपुर है जो लगभग 137 किलोमीटर दूर है
- डबोक हवाई अड्डा में उदयपुर लगभग 142 किमी दूर है
- इसके आलवा शहर से लगभग 35 किमी की दूरी पर नून गांव में एक हवाई पट्टी भी उपलब्ध है
- जोधपुर हवाई अड्डे से जयपुर, दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों के लिए सीधी उड़ानें हैं
Conclusion:- मित्रों आज के इस आर्टिकल में जालौर का इतिहास के बारे में कभी विस्तार से बताया है। तो हमें ऐसा लग रहा है की हमारे द्वारा दी गये जानकारी आप को अच्छी लगी होगी तो इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही इंटरेस्टिंग पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहे हमारी साइट TripFunda.in के साथ (धन्यवाद)
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