जोधपुर में प्रसिद्ध पार्क

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जोधपुर में प्रसिद्ध पार्क

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मंडोर पार्क का भव्य इतिहास :-
मण्डोर का प्राचीन नाम ’माण्डवपुर’ था। यह पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करती थी। राव जोधा ने मंडोर को असुरक्षित मानकर सुरक्षा के लिहाज से चिड़िया कूट पर्वत पर मेहरानगढ़ का निर्माण कर अपने नाम से जोधपुर को बसाया था तथा इसे मारवाड़ की राजधानी बनाया। वर्तमान में मंडोर दुर्ग के भग्नावशेष ही बाकी हैं, जो बौद्ध स्थापत्य शैली के आधार पर बना था। इस दुर्ग में बड़े-बड़े प्रस्तरों को बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।
यह पड़िहार राजाओं का गढ़ था। सैकड़ों सालों तक यहां से पडिहार राजाओं ने सम्पूर्ण मारवाड़ पर अपना राज किया। सन् १३९५ में चुंडाजी राठोड की शादी पडिहार राजकुमारी से होने पर मंडोर उन्हे दहेज में मिला तब से परिहार राजाओं की इस प्राचीन राजधानी पर राठोड शासकों का राज हो गया। मन्डोर मारवाड की पुरानी राजधानी रही है। मन्डोर रावण की ससुराल होने की किदवन्ति भी है मगर रावण की पटरानी मन्दोद्री नाम से मिलता नाम के अलावा अन्य कोई साक्ष्य यहाँ उपलब्ध नहीं है। मन्डोर में सदियो से होली के दूसरे दिन राव का मेला लगता है। मेले के स्वरुप व परंपरा आज भी सेकडो साल पुरानी हे हाल के वर्षो में स्वरुप में जरुर बदलाव हुआ हे मगर प्राणपराओं में बदलाव नहीं हुआ है। मण्डोर का दुर्ग देवल, देवताओं की राल, जनाना, उद्यान, संग्रहालय, महल तथा अजीत पोल दर्शनीय स्थल हैं। मण्डोर साम्प्रदायिक सद्भाव एवं एकता का प्रतीक हैं। तनापीर की दरगाह, मकबरे, जैन मंदिर तथा वैष्णव मंदिर सभी का एक ही क्षेत्र में पाया जाना, इस तथ्य का मजबूत सबूत हैं कि विभिन्नता में एकता यहाँ के जीवन की प्रमुख विशेषता रही हैं।

मंडोर पार्क की स्थापत्य कला :-
आधुनिक काल में मंडोर में एक सुन्दर उद्यान बना है, जिसमें ‘अजीत पोल’, ‘देवताओं की साल’ व ‘वीरों का दालान’, मंदिर, बावड़ी, ‘जनाना महल’, ‘एक थम्बा महल’, नहर, झील व जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के स्मारक बने है, जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं। इस उद्यान में देशी-विदेशी पर्यटको की भीड़ लगी रहती है। उद्यान में बनी कलात्मक इमारतों का निर्माण जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह व उनके पुत्र महाराजा अभय सिंह के शासन काल के समय सन 1714 से 1749 ई. के बीच किये गए थे। उसके पश्चात् जोधपुर के विभिन्न राजाओं ने इस उद्यान की मरम्मत आदि करवाकर शनै: शनै: इसे आधुनिक ढंग से सजाया और इसका विस्तार किया।

मंडोर पार्क की जनाना महल :-
उद्यान में स्थित जनाना महल में वर्तमान समय में राजस्थान के पुरातत्त्व विभाग ने एक सुन्दर संग्रहालय बना रखा है, जिसमें पाषाण प्रतिमाएँ, शिलालेख, चित्र एवं विभिन्न प्रकार की कलात्मक सामग्री प्रदर्शित है। जनाना महल का निर्माण महाराजा अजीत सिंह (1707-1724 ई.) के शासन काल में हुआ था, जो स्थापत्य कला की दृष्टि से एक बेजोड़ नमूना है। जानना महल के प्रवेश द्वार पर एक कलात्मक द्वार का निर्माण झरोखे निकाल कर किया गया है। इस भवन का निर्माण राजघराने की महिलाओं को राजस्थान में पड़ने वाली अत्यधिक गर्मी से निजात दिलाने हेतु कराया गया था। इसके प्रांगण में फव्वारे भी लगाये गए थे।
महल प्रांगण में ही एक पानी का कुंड है, जिसे ‘नाग गंगा’ के नाम से जाना जाता है। इस कुंड में पहाडों के बीच से एक पानी की छोटी-सी धारा सतत बहती रहती है। महल व बाग़ के बाहर एक तीन मंजिली प्रहरी ईमारत बनी है। इस बेजोड़ ईमारत को ‘एक थम्बा महल’ कहते हैं। इसका निर्माण भी महाराजा अजीत सिंह के शासन काल में ही हुआ था।

मंडोर पार्क के महाराजाओं के स्मारक :-
मंडोर उद्यान के मध्य भाग में दक्षिण से उत्तर की ओर एक ही पंक्ति में जोधपुर के महाराजाओं के स्मारक ऊँची प्रस्तर की कुर्सियों पर बने हैं, जिनकी स्थापत्य कला में हिन्दू स्थापत्य कला के साथ मुस्लिम स्थापत्य कला का उत्कृष्ट समन्वय देखा जा सकता है। इनमें महाराजा अजीत सिंह का स्मारक सबसे विशाल है। स्मारकों के पास ही एक फव्वारों से सुसज्जित नहर बनी है, जो नागादडी झील से शुरू होकर उद्यान के मुख्य दरवाजे तक आती है। नागादडी झील का निर्माण कार्य मंडोर के नागवंशियों ने कराया था, जिस पर महाराजा अजीत सिंह व महाराजा अभय सिंह के शासन काल में बांध का निर्माण कराया गया था।

माचिया पार्क जो भय-भीत करने वाला :-
जोधपुर – जैसलमेर मार्ग पर, जोधपुर शहर से 9 किमी की दूरी पर माचिया सफारी पार्क स्थित है। यह दर्शनीय स्थलों की यात्रा और सैर सपाटे के लिए एक लोकप्रिय जगह है। यह पार्क छिपकलियों, रेगिस्तानी लोमड़ियों, नीले बैलों, नेवलों, खरगोशों, जंगली बिल्लियों, और बंदरों का प्राकृतिक निवास है। इसके अलावा, यह पक्षीप्रेमियों के लिए पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियों को देखने का एक आदर्श स्थान है। पार्क में एक किला भी है, जहां से सूर्यास्त के मनोहारी दृश्य का आनंद लिया जा सकता है।

जोधपुर का लोकप्रिय पार्क – नेहरू पार्क :-
जोधपुर का एक लोकप्रिय आकर्षण, नेहरू पार्क एक बच्चों का पार्क है जो 14 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। इस पार्क का उद्घाटन 7 सितंबर 1966 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाड़िया द्वारा किया गया था। पार्क को फूलों, पेड़ों, फव्वारों, तालाब और झूलों से सजाया गया है जो इसके स्वरूप में चार चांद लगाते हैं। पार्क में, बच्चों और वयस्कों दोनों ने रंगीन फूलों और शानदार फव्वारों के बीच कुछ यादगार समय बिता सकते हैं। बगीचे में एक सुंदर तालाब है -बखत सागर तालाब। पार्क की सुंदरता और प्राकृतिक आकर्षण पर्यटकों को हर तरफ से आकर्षित करता है |

जोधपुर का स्पेशल मेडिकल डिवाइस पार्क :-
शहर में मेडिकल डिवाइस व फार्मा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की एक विशेष योजना के तहत जोधपुर में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित होने की उम्मीद जगी है। इस संबंध में शहर के उद्यमियों की ओर से मजबूती से दावा प्रस्तुत कर दिया गया है।
शुक्रवार को जोधपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन में हुई बैठक में उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक अविंद्र लड्ढ़ा ने योजना व उसके लिए स्पेशल परपज व्हीकल की स्थापना की जानकारी उद्यमियों को दी। यदि यह प्रोजेक्ट जोधपुर को मिलता है तो शहर में करीब 200 करोड़ रु. का निवेश होगा। इस पार्क में करीब 100 नए उद्योग लगेंगे, साथ ही मेडिकल डिवाइस व फार्मा उद्योगों के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना भी होगी।
जयपुर में 13 नवंबर को तत्कालीन कार्यालय आयुक्त उद्योग व शासन सचिव समित शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में जोधपुर को इस प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त माना गया था। केंद्रीय फार्मास्यूटिकल विभाग की इस योजना के तहत कुछ वर्ष पूर्व राजस्थान सहित 7 राज्यों में इस तरह के पार्क व कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित करने की घोषणा हुई थी।
इसमें से गुजरात व तेलंगाना में तो यह पार्क शुरू भी हो गए। इस संबंध में जयपुर व जोधपुर की ओर से दावेदारी की गई। योजना में लगभग 200 करोड़ रु. का निवेश होगा। इसमें से 100 करोड़ रु. का कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस योजना के तहत भूमि, पानी व बिजली की व्यवस्था राज्य सरकार के जिम्मे रहेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 300 एकड़ भूमि की जरूरत होगी।

जोधपुर का सबसे पुराना पार्क-पब्लिक पार्क :-
जोधपुर का प्रसिद्ध पार्क पब्लिक पार्क के नाम से जाना जाता है इस पार्क में अनेक प्रकार के वन्य जीव एवं पशु पक्षी पाए जाते है इस पब्लिक पार्क का दूसरा नाम चिड़ियाघर पार्क के नाम से भी जाना जाता है जोधपुर का सबसे पुराना पार्क पब्लिक पार्क है इस पार्क में शेर चीता भालू हिरण नीलगाय बत्तख मोर गोडावण अनेक प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं पब्लिक पार्क में अनेक प्रकार की चिड़ियाएं हैं इस पार्क में अब धीरे-धीरे जीव जंतु एवं जानवरों की संख्या घटने लगी है इस कारण पब्लिक पार्क को माचिया पार्क में शिफ्ट करने का आदेश आ चुका है महाराजा उम्मेद सिंह ने पब्लिक पार्क को माचिया पार्क में शिफ्ट करने का आदेश दिया था इस कारण जोधपुर के प्रसिद्ध पब्लिक पार्क को जोधपुर में निवास करने वाली जनता अच्छी तरह से जानती है जोधपुर पब्लिक पार्क का इतिहास ही एक अनूठा रहा है इस प्रकार जोधपुर का एक पुराना पब्लिक पार्क माना जाता है इस पार्क में आज भी कुछ संख्या में कुछ जीव जंतु रहते हैं

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जोधपुर की पूरी जानकारी

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