कबीरदास कौन थे

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कबीरदास कौन थे 

कबीरदास का जीवन परिचय –

नाम कबीर दास
जन्म सन् 1455
बच्चे कमाल (लड़का) और कमाली (लड़की)
मृत्यु  1494 ई०
पत्नी लोई
पिता का नाम नीरू
माता का नाम नीमा
गुरु रामानंद
जन्म स्थान लहरतारा तालाब, काशी (वाराणसी)
प्रमुख रचनाएँ अनुराग सागर, अमर मूल, अर्जनाम कबीर का, उग्र ज्ञान मूल सिद्धांत- दश
पेशा संत, विद्दंत विचारक, भक्तिकाल के प्रमुख कवि और अच्छे समाज सुधारक

कबीरदास का प्रारंभिक जीवन –

नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे कवि के बारे में बात करना जा रहे हैं भक्ति काल की निर्गुण धारा के प्रतिनिधि कबीर दास का जन्म वाराणसी में सन 1440 ई को हुआ था कबीर दास जी हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में मानें है कबीर दास जी हिन्दी साहित्य जगत में अच्छी भूमिका रही क्योकि कबीर दास जी द्वारा अनेकों सख्या, रचनाए, ग्रंथ , दोहे, सबक, आदि का बहुत सुंदर चित्ररण किया  कबीर दास जी मूर्ति पूजा पे विशवास नही करते थे वह कहते की सब जगह भगवान है

कबीर दास की शिक्षा-

आपको यह जानकर बड़ा ही आश्चर्य होगा कि कबीरदास निरक्षर थे उनके दोहों में बसा संपूर्ण जगत का ज्ञान, उनके दोहों में निहित व्यवहारिकता और उनके दोहों से झलकती जीवन की सच्चाई से कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता है कि इन दोहों के रचियता को अक्षर ज्ञान नहीं है परिस्थितिवश उनके माता-पिता उन्हें किताबी ज्ञान तो नहीं दे सके, लेकिन उन्ही परिस्थितियों से कबीरदास जी ने जीवन के सत्य को समझकर, उन्हें उपदेशों और दोहों के रूप में द्वारा अपने शिष्यों को सुनाया था, जिन्हें उनके शिष्यों ने लिख कर रख लिया था।

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कबीर का वैवाहिक जीवन –

संत कबीरदास का विवाह लोई नाम की कन्या से हुआ था विवाह के बाद कबीर और लोई को दो संतानें हुई, जिसमें एक लड़का व दूसरी लड़की कबीर के लड़के का नाम कमाल तथा लड़की का नाम कमाली था।
कबीर की धार्मिक प्रवृति होने के कारण उनके घर साधु-संत और सत्संग करने वालों की हर दिन आवाजाही बनी रहती थी अत्यधिक गरीबी और ऊपर से निरंतर मेहमानों की आवाजाही के कारण अक्सर कबीर की पत्नी कबीर से झगड़ा करती थी इस पर कबीर अपनी पत्नी को किस तरह समझाते थे, इसका वर्णन इस दोहे में इस प्रकार से हैं-
सुनि अंघली लोई बंपीर।
इन मुड़ियन भजि सरन कबीर।।

कबीर दास द्वारा लिखी गई रचनाओं के नाम –

कबीर दास ने अपने जीवन में कई सारी रचानएं लिख रखी हैं और इनके द्वारा लिखी गई जो रचनाएं सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं उनके नाम इस प्रकार हैं-
अगाध मंगल
अठपहरा
अनुराग सागर
अमर मूल
अर्जनाम कबीर का
अलिफ़ नामा
अक्षर खंड की रमैनी
आरती कबीर कृत
उग्र गीता
उग्र ज्ञान मूल सिद्धांत- दश भाषा
कबीर और धर्मंदास की गोष्ठी
भाषो षड चौंतीस
मुहम्मद बोध
मगल बोध
रमैनी
राम रक्षा
राम सार
रेखता
कबीर की वाणी
कबीर अष्टक
कबीर गोरख की गोष्ठी
कबीर की साखी
बलख की फैज़
बीजक
व्रन्हा निरूपण

कबीर दास की मृत्यु –

कबीर दास की मृत्यु कब हुई थी इसके बारे में भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इनकी मृत्यु 1518 में हुई थी और उस समय इनकी आयु 119-120 थी

“निश्चय ही निर्गुण भक्तिधारा के पथप्रदर्शक के रूप में कबीर का नाम युगो – युगान्तर तक स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा |”

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