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महाराज जसवंत सिंह कौन थे
जसवंत सिंह एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता हैं वे अपनी नम्रता और नैतिकता के लिए जाने जाते है जसवंत सिंह उन गिने-चुने नेताओ में से हैं जिन्हें भारत के रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री बनने का अवसर मिला सन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजस्थान के बाड़मेर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा जिसके बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी से 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया गया जसवंत सिंह एक आदर्शवादी व्यक्ति के रूप में जाने जाते है जब उन्हें विदेश नीति का कार्यभार सौपा गया था तब उन्होंने बड़ी कुशलता से भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम किया था उनकी लेखनी में उनकी परिपक्वता और आदर्शो के प्रति उनका आदर साफ़ झलकता है जसवंत सिंह को लोगो से घुलना मिलना पसंद है और वे अस्पताल, संग्रहालय और जल संरक्षण जैसी कई परियोजनाओ के ट्रस्टी भी है 7 अगस्त 2014 को अपने निवास स्थान पर गिरने के कारण जसवंत सिंह कोमा में चले गए जिसके बाद उनका स्वास्थ्य ख़राब ही चल रहा है।
महाराज जसवंत सिंह विद्वान् पुरुष :-
महाराज जसवंत सिंह बडे साहित्य के मर्मज्ञ और तत्वज्ञान संपन्न पुरुष थे उनके समय में राज्य भर में विद्या की बड़ी चर्चा रही और अच्छे कवियों और विद्वानों का बराबर समागम होता रहा महाराज ने स्वयं तो अनेक ग्रंथ लिखे ही अनेक विद्वानों और कवियों से भी कितने ग्रंथ लिखवाए औरंगज़ेब ने इन्हें कुछ दिनों के लिए गुजरात का सूबेदार बनाया था वहाँ से शाइस्ता खाँ के साथ ये छत्रपति शिवाजी के विरुद्ध दक्षिण भेजे गए थे कहा जाता हैं कि चढ़ाई के समय इनके इशारे पर शाइस्ता खाँ की काफ़ी दुर्गति हुई अंत में ये अफ़ग़ानों से लड़ने के लिए काबुल भेजे गए जहाँ संवत 1745 में इनका परलोकवास हुआ।
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महाराज जसवंत सिंह के अन्य ग्रंथ :-
भाषा भूषण के अतिरिक्त जो और ग्रंथ इन्होंने लिखे है वे तत्वज्ञान संबंधी हैं, जैसे – अपरोक्षसिध्दांत, अनुभवप्रकाश, आनंदविलास, सिध्दांतबोध, सिध्दांतसार, प्रबोधचंद्रोदय नाटक ये सब ग्रंथ भी पद्य में ही हैं, जिससे इनकी पद्य रचना की पूरी निपुणता प्रकट होती है किंतु साहित्य में ये आचार्य या शिक्षक के रूप में ही हमारे सामने आते हैं।
महाराज जसवंत सिंह के टीकाएँ :-
भाषा भूषण पर बाद में तीन टीकाएँ लिखी गईं
‘अलंकार रत्नाकर’ नाम की टीका जिसे बंशीधर ने संवत 1792 में बनाया,
दूसरी टीका प्रताप साही की और
तीसरी गुलाब कवि की ‘भूषणचंद्रिका’।
नोट > महाराज जसवंत सिंह की ऐतिहासिक जानकारी काफी विस्तृत है हमने अपने इस पोस्ट में मुख्य पहलुओं पर ही जानकारी दी है फिर भी कोई महत्वपूर्ण जानकारी छूट गयी है तो हम उसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं।
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