पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

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पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इस वजह से इसे कार्तिक त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व –
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिक स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को धार्मिक समारोहों का आयोजन करने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है, और यह माना जाता है कि इस दिन किए गए शुभ समारोह काफी सारी खुशियां लाते हैं। यह भी माना जाता है कि कार्तिक माह के दौरान कार्तिक स्नान करना 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर है।

कार्तिक पूर्णिमा कब है –
इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को पड़ रही है इसी दिन कार्तिक मास का भी समापन हो रहा है इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripuri Purnima) भी कहा जाता है पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही भगवान शिव (Lord Shiva) ने त्रिपुरासुर नामक असुर का विनाश किया था तभी से भगवान शंकर को त्रिपुरारी कहा जाता है

कार्तिक पूर्णिमा व्रत –
भगवान विष्णु और भगवान शिव के भक्त कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास करते हैं, और सुबह जल्दी स्नान करके और कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा पढ़कर अपने दिन को प्रारम्भ करते हैं। यह कथा राक्षस त्रिपुरासुर के अंत की कहानी बताती है। प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि एक बार त्रिपुरासुर नामक एक दानव देवताओं को परास्त करने में सफल रहा और अंततः उसने पूरे विश्व पर विजय प्राप्त कर ली। ऐसा माना जाता है कि उसने अंतरिक्ष में तीन शहर बनाए और उनका नाम त्रिपुरा रखा। इस समय, भगवान शिव देवताओं को बचाने के लिए आए और इस राक्षस का अपने धनुष बाण से वध कर दिया और घोषणा की कि इस दिन को रोशनी एवं प्रकाश के त्योहार के रूप में मनाया जाएगा।

कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त –
1. कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
2. कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर 2021दोपहर 12:00 बजे से
3. कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर 2021 दोपहर 02:26 पर
4. कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय- 17:28:24

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि –
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर गंगा स्नान या घर पर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। स्नान करने के बाद हाथ में कुश लें और दान देते हुए संकल्प लें। इससे आपको पूरा लाभ मिलेगा। इस दिन व्रत रखें। अगर नहीं हो सकता है तो कम से कम 1 समय तो जरूर रखें। इसके बाद श्री सूक्त और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते हुए हवन करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होगी। रात को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़े। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दें।

कार्तिक पूर्णिमा अनुष्ठान –
कार्तिक पूर्णिमा के दिन, तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करना, जिसे सूर्योदय और चंद्रमा के समय कार्तिक स्नान ’के रूप में जाना जाता है, को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा फूल, दीये और अगरबत्ती से की जाती है। इस दिन भक्त आम तौर पर उपवास रखते हैं और रुद्राभिषेक करने के बाद सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा भगवान विष्णु और देवी वृंदा के विवाह समारोह का भी प्रतीक है, और इस उत्सव को मनाने के लिए, कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन पुष्कर में किया जाता है, जिसे कार्तिक माह के दौरान पुष्कर मेले के रूप में जाना जाता है। इस मेले का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं के मोक्ष पाने के लिए पुष्कर झील में पवित्र डुबकी लगाने के बाद होता है।

कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव –
ऐसा माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक असुर का विनाश किया था. तभी से भगवान शंकर (Lord Shiva) को त्रिपुरारी कहा जाता है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव 19 नवंबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा. कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव पांच दिनों तक चलता है. यह प्रबोधिनी एकादशी के दिन से शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन खत्म होता है. विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था. इसके साथ ही इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्धि नामक योग और वर्धमान योग भी लग रहा है

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें –
वैसे तो पूरे कार्तिक माह का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। पूरे मास स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु को ये मास बहुत प्रिय है। इस मास के आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सारी तिथियों में अधिक है। 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है।इस दिन गंगा स्नान और दीपदान करना चाहिए। । जानते हैं इस दिन कौन से काम करने से पूण्य मिलता है।
1. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। लेकिन अगर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे तो घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिला कर स्नान करें।
2. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गाय का दान, दूध का दान, केले का दान, खजूर का दान, अमरूद का दान, चावल का दान, तिल और आवंले का दान अवश्य करना चाहिए।इस दिन ब्राह्मण को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें।
3. कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन जल में दूध,
4. शहद मिलाकर पीपल के वृक्ष पर अवश्य चढ़ाना चाहिए और दीपक भी जलाना चाहिए। क्योंकि पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास मानते है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुने और घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं। इस दिन घर पर कोई भिखारी आए तो उसे भोजन अवश्य कराएं। इस दिन तुलसी पूजन अवश्य करें और तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या न करें –
1. धर्मशास्त्रों में पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत से मार्ग बताए गए है लेकिन कुछ ऐसे काम है जिन्हें कार्तिक पूर्णिमा को नहीं करना चाहिए।
2. कार्तिक पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन न करें। इस दिन शारीरीक संबंध न बनाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको चंद्रमा के दुष्प्रभाव पड़ेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर घर में किसी भी प्रकार
3. कार्तिक पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें।
4. इस दिन गरीब और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
5. इस दिन किसी जानवर को न मारें। क्योंकि ऐसा करने से इस दिन पाप के भागीदार बनते हैं।
6. इस दिन किसी भी बुजुर्ग का अपमान बिल्कुल भी न करें। क्योंकि इस दिन देवता किसी भी रूप में आपके पास आ सकते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए –
1. इस दिन जातक को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना चाहिए, और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
2. इसके बाद शिव व विष्णु की आराधना करनी चाहिए, संभव हो तो रुद्राभिषेक या सत्यनारायण की कथा का आयोजन करना चाहिए।
3. इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, अनुसुइया और क्षमा इन सभी कृतिकाओं का पूजन अवश्य करें।
4. कार्तिक पूर्णिमा का व्रत धारण कर रात्रि के समय बैल दान करने से शिव की समीपता प्राप्त होती है।
5. इस दिन व्रत धारक को जरूरतमंद को भोजन अवश्य करना चाहिए।
6. गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी के दान से संपत्ति में इजाफा होता है।
7. इस दिन भेड़ का दान करने से नकारात्मक ग्रह संयोग के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
8. कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रती को शाम के समय किसी बहती हुई नदी में दीपदान करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा की पौराणिक कथा –
पुरातन काल में एक समय त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप किया। उसकी तपस्या के प्रभाव से समस्त जड़-चेतन, जीव और देवता भयभीत हो गये। देवताओं ने तप भंग करने के लिए अप्सराएँ भेजीं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। त्रिपुर राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा।

त्रिपुर ने वरदान मांगा कि, ‘मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’। इस वरदान के बल पर त्रिपुर निडर होकर अत्याचार करने लगा। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई कर दी। इसके बाद भगवान शंकर और त्रिपुर के बीच युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु की मदद से त्रिपुर का संहार किया।

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