राव गांगा कौन थे

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राव गांगा कौन थे

भारत में यूँ तो बहुत सारी रियासतें हुई हैं मगर आज हम एक ऐसे राजपूत नरेश के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें आधुनिक काल का भगीरथ कहा जाता है इस महाराजा का कद अंग्रेजों के सामने भी काफ़ी बड़ा था इनकी वीरता के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे माँ करणी के इस भक्त को जब इंग्लैंड के किंग जॉर्ज पंचम ने बुलाकर राजदरबार में वीरता के बारे में बताते हुए शेर से लड़ने की चुनौती दे डाली तब इन्होंने चुनौती को सहजता से स्वीकार करते हुए एक ही प्रहार में शेर के पिंजरे में जाकर शेर को मार डाला था इस दृश्य को देखकर राजदरबार में उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए हम बात कर रहे हैं राजस्थान की बीकानेर रियासत के राजपूत नरेश महाराजा गंगासिंह के बारे में।

राव गांगा राठौड़ का इतिहास >
मारवाड़ जोधपुर के शासक थे राव गांगा 1508 ई. राव सूजा की मृत्यु के बाद जोधपुर के शासक बने थे। ये एक वीर राजा थे राणा सांगा,गांगा के बहनोई थे।
1511 ई. में जब राणा सांगा ने ईडर पर आक्रमण किया तो गांगा स्वंय सेना सहित उसकी सहायता को गया था मेवाड़ के शासक राणा सांगा के कहने पर पाती-पेेरवन परम्परा के तहत् अपनी एक विशाल सेना मुगलों के विरुद्ध अपने पुत्र मालदेव के नेतृत्व में खानवा के मैदान में भेेेजी थी।
राव गांगा अफीम का अत्यधिक शौकीन था गांगा की मृत्यु के बारे में अलग-अलग बातें दी गई है बताया जाता है कि अफीम के नशे में ही एक दिन दुर्ग से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई थी
इतिहासकार गोपीनाथ शर्मा के अनुसार राव गांगा के पुत्र राव मालदेव ने मेहरानगढ़ दुर्ग की दीवार से धक्का देकर इसे नीचे गिरा दिया था जिसके कारण राव गांगा की मृत्यु हो गई |लेकिन यह कथन सही नहीं माना जाता है।

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बीकानेर के गंगा सिंह का कार्यस्थल >
पहले विश्वयुद्ध में एक फ़ौजी अफसर के पद पर गंगासिंह ने अंग्रेजों की तरफ से बीकानेर कैमल कार्प्स के प्रधान के रूप में फिलिस्तीन, मिश्र और फ़्रांस के युद्धों में सक्रिय हिस्सा लिया 1902 में ये प्रिंस ऑफ़ वेल्स के और 1910 में किंग जॉर्ज पंचम के ए. डी. सी. भी रहे।
महायुद्ध समाप्ति के बाद अपनी बीकानेर रियासत में लौट कर उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और विकास की गंगा बहाने के लिए जो-जो कार्य किये वे किसी भी लिहाज़ से साधारण नहीं कहे जा सकते 1913 में उन्होंने जन-प्रतिनिधि सभा का गठन किया 1922 में एक मुख्य न्यायाधीश के अधीन अन्य दो न्यायाधीशों का एक उच्च-न्यायालय स्थापित किया और बीकानेर को न्यायिक-सेवा के क्षेत्र में अपनी ऐसी पहल से देश की पहली रियासत बनाया अपनी सरकार के कर्मचारियों के लिए उन्होंने एंडोमेंट एश्योरेंस स्कीम और जीवन-बीमा योजना लागू की निजी बेंकों की सेवाएं आम नागरिकों के लिए भी उपलब्ध करवायी और अपने राज्य में बाल-विवाह रोकने के लिए शारदा एक्ट को सख्ती से लागू किया 1917 में ये ‘सेन्ट्रल रिक्रूटिंग बोर्ड ऑफ़ इण्डिया’ के सदस्य नामांकित हुए और इसी वर्ष उन्होंने इम्पीरियल वार कांफ्रेंस में, 1919 में पेरिस शांति सम्मलेन में और इम्पीरियल वार केबिनेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया 1920 से 1926 के बीच गंगा सिंह ‘इन्डियन चेंबर ऑफ़ प्रिन्सेज़’ के चांसलर बनाये गए इस बीच 1924 में ‘लीग ऑफ़ नेशंस’ के पांचवें अधिवेशन में भी इन्होंने भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से हिस्सा लिया शान्ति समझौते में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को बुलाया गया था इन्होंने देशी राज्यों के मुखिया के रूप में सम्मेलन में हिस्सा लिया वर्ष 1921 में नरेंद्रमंडल का गठन इन्हीं की बदौलत किया गया बाद में गंगासिंह को इसका अध्यक्ष चुना गया था गंगा सिंह देशी राज्य के जनहितों के पक्षधर थे तथा वे अंग्रेजों के चाटुकार थे इन्होने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण जनहित का कार्य किये जैसे गंगनहर का लाना, जिसके कारण इन्हें कलयुग का भागीरथ भी कहते हैं उनकी रियासत उस काल की सबसे सम्पन्न रियासत थी।

गंगा सिंह की शिक्षा >
नीलमराजू गंगा प्रसाद राव एक भारतीय आनुवंशिकिविदू और पादप प्रजनक थे नीलमराजू को हायब्रिड किस्मों के शर्बत के विकास मे उनके प्रयासों के लिए जाना जाता था नीलमराजू का जन्म 05 सितंबर 1927 को भारत मे मद्रास कोरिसापूड गांव मे हुआ था उन्होंने कृषी कॉलेज बापटला आंध्र प्रदेश विश्वाविघ्यालस से बीएससी कि डिग्री प्राप्ता कि है |
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से नीलमराजू ने मास्टार कि उपाधि प्राप्ता कि थी सन 1958 मे उन्होंने बिहार विश्वाविघ्यालय से पीएचडी कि उपाधि प्रापता कि थी उसके बाद उन्होंने चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौघोगिकी विश्वाविघ्यालय से डॉक्टर ऑफ साइंस डीएससी कि उपाधि प्रापता कि थी |

महाराजा गंगा सिंह की मृत्यु >
2 फरवरी 1943 को 56 साल के राज के बाद 62 वर्ष की उम्र में आधुनिक बीकानेर के निर्माता जनरल गंगासिंह का निधन मुम्बई में हुआ इनकी मृत्यु के बाद इनके सबसे बड़े पुत्र सादुल सिंह जी द्वारा बीकानेर की राजगद्दी को संभाला गया बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी की क्षति अपूरणीय है उनकी वीरता को क्षत-क्षत नमन ।

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