सबसे बड़ा गोत्र – अपना गोत्र कैसे जानें, कौन कौन से गोत्र होते हैं, हिंदू धर्म में गोत्र कितने हैं, असली ब्राह्मण कौन है, हिन्दू गोत्र लिस्ट, जाट का सबसे बड़ा गोत्र, गोत्र सूची, ब्राह्मण गोत्र सूची, ब्राह्मण में सबसे बड़ा गोत्र, अपना गोत्र कैसे जाने, भारद्वाज गोत्र, राजपूतों में सबसे बड़ा गोत्र कौन सा है,
कौंडल गोत्र क्या है
- इसे सुनेंरोकेंमोतीलाल नेहरू ने पूजा के दौरान अपने को ‘कौल’ गोत्र का लिखते हुए
- इस पुरोहित परिवार को ‘कौल’ की उपाधि दी थी
- मोतीलाल ने पुरोहित परिवार से कहा कि अब आप उनके परिवार के पुरोहित बन गए हैं इसलिए अपना सरनेम कौल कर दें
- चार पीढ़ी से पुष्कर में रह रहे इस पराशर परिवार के लोग तब से अपना सरनेम कौल लिखने लगे
सबसे ऊंचा गोत्र कौन सा है
- इसे सुनेंरोकेंशाण्डिल्य शांडिल्य एक ब्राह्मण गोत्र है, ये वेदाध्ययन करने वाले ब्राह्मण हैं
- यह गोत्र ब्राह्मणों के अनेक गोत्रों में से एक है
- महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार युधिष्ठिर की सभा में विद्यमान ऋषियों में शाण्डिल्य का नाम भी है।
गोत्र का पता कैसे चलता है
- इसे सुनेंरोकेंअपने पिताजी या दादाजी ,चाचा, ताऊ से पूछे या फिर अपनी वंशावली देखे अगर फिर भी संम्भव न हो तो कश्यप गोत्र बात सकते है।
असली राजपूत कौन होते हैं
- इसे सुनेंरोकेंराजपूत (संस्कृत से राजा-पुत्र, “राजा का पुत्र” अथवा “जागिरदार अथवा क्षत्रिय प्रमुख की संतान) भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पत्ति वाले वंशों की वंशावली है
- जिसमें विचारधारा और सामाजिक स्थिति के साथ स्थानीय समूह और जातियों की विशाल बहुघटकी समूह शामिल हैं
राजपूत कौन से गोत्र में आते हैं – राजपूत गोत्र एवं वंशावली
- सूर्यवंशी भारद्वाज सूर्य
- चन्दोसिया भारद्वाज वैस
- चौपटखम्ब कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय
- धाकरे भारद्वाज(भृगु) ब्रह्मक्षत्रिय
- धन्वस्त यमदाग्नि ब्रह्मक्षत्रिय
- धेकाहा कश्यप पंवार की शाखा
- दोबर(दोनवर) वत्स या कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय
- हरद्वार भार्गव चन्द्र शाखा
कौडिन्य ऋषि कौन थे
- इसे सुनेंरोकेंयुधिष्ठिर के दरबार में ऋषि कौंडिन्य थे (1000 ईसा पूर्व या उससे पहले)।
- चरक संहिता (750 ईसा पूर्व) में एक ऋषि कौंडिन्य का उल्लेख है।
- बृहदारण्यक उपनिषद (700 ईसा पूर्व) में, कौंडिन्य का उल्लेख शांडिल्य के शिष्य के रूप में किया गया है।
हिन्दू धर्म में कितने गोत्र है
- इसे सुनेंरोकेंहिंदू धर्म में यूं तो पहले चार गोत्र ही प्रमुख थे
- परंतु उसके बाद इनकी संख्या आठ हो गई।
- हिंदू पुराणों में मूल रूप से चार गोत्र रहे हैं जो अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु हैं।
- इन्ही में अब जमदग्नि, अत्रि, विश्वामित्र और अगस्त्य ऋषि नाम पर गोत्र जुड़ गए हैं।
- इन गोत्रों को मिलाकर गोत्र की संख्या आठ हो गई।
हिन्दू धर्म में गोत्र कितने होते हैं
- इसे सुनेंरोकेंइसलिए कुल नाम- गौतम, भरद्वाज, जमदग्नि, वशिष्ठ (वशिष्ठ), विश्वामित्र, कश्यप, अत्रि, अंगिरा, पुलस्ति, पुलह, क्रतु- ग्यारह हो जाते हैं
- इससे आकाश के सप्तर्षियों की संख्या पर तो कोई असर नहीं पड़ता, पर गोत्रों की संख्या प्रभावित होती है
- फिर बाद में दूसरे आचार्यों या ऋषियों के नाम से गोत्र प्रचलित हुए
गोत्र से संबंधित लिस्ट |