सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएँ, सुमित्रानंदन पंत की कविता, सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति चित्रण, सुमित्रानंदन पंत की कहानी, सुमित्रानंदन पंत का भावपक्ष, सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय, सुमित्रानंदन पंत का काव्य, सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय, सुमित्रानंदन पंत की काव्यगत विशेषताएँ , सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति चित्रण, सुमित्रानंदन पंत कौन थे,
सुमित्रानंदन पंत कौन थे
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय –
नाम | सुमित्रानन्दन पन्त |
जन्म की तारीख | 20 मई 1900 |
स्थान | कौसानी |
पिता | गंगा दत्त पंत |
माता | सरस्वती देवी |
बच्चे | सुमित्रा, जोशी |
उल्लेखनीय सम्मान | पद्म भूषण (1961), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968) |
विषय | संस्कृत |
मृत्यु की तारीख | 28 दिसंबर 1977 |
मृत्यु की जगह | प्रयागराज |
पंतजी की प्रारंभिक जीवन –
नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे आधुनिक हिंदी साहित्य युग प्रवर्तक कवि के बारे में बात करने वाले हैं उनका नाम है “सुमित्रानंदन पंत” सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा के कैसोनी गांव में हुआ था कहा जाता है कि सुमित्रानंदन पंत का जन्म होने के बाद 2 घंटे के बाद उनकी माता जी का देहांत हो गया था उनके बाद सुमितनंदन जी का लालन-पालन उनके दादी द्वारा किया गया था पाल पोस कर बड़ा किया गया सुमित्रानंदन जी का जन्म 20 मई 1900 हुआ था।
पंत जी का वास्तविक नाम गोसाई पंत था लेकिन पंत जी को अपने नाम अच्छा नहीं लगने के कारण अपनी पसंद का नाम सुमित्रानंदन पंत रख दिया गया।
पंतजी की प्रारंभिक शिक्षा –
पंत जी की प्रारंभिक शिक्षा अपने स्थानीय गांव अल्मोड़ा में हुई आगे की पढ़ाई के लिए पंत जी ने अपने भाई के साथ 1918 में काशी आये और काशी कॉलेज से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद वह वापस अपने गांव इलाहाबाद चले गये इलाहाबाद में पंत जी ने इंटर का अध्ययन और 1919 में महात्मा गांधी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर अपनी पढ़ाई को छोड़ कर स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हो पंत जी को हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, और बंगाल, आदि का भाषा का अच्छा अनुभव था
यह भी पढ़े : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कौन थे
पंतजी का करियर –
सुमित्रानंदन पंतजी हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं छायावादी युग मैं जयशंकर प्रसाद महादेवी वर्मा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और राजकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है लेकिन सुमित्रानंदन पंत जी मात्र 7 वर्ष की उम्र में अपना पहली कविता लिखना शुरू कर दिया था उस समय सुमित्रानंदन पंतजी 4 कक्षा मे पढ़ाई करते थे 1918 तब वे हिंदी के नवीन धारा के प्रवर्तक के सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में मानने लगे 1926 में सुमित्रानंदन पंतजी का पहला काव्य संकलन “पल्लव” प्रकाशित हुआ था पंतजी का यह हिंदी साहित्य का पहला काव्य संकलन था बहुत ही सुंदर शब्दों में वर्णन किया गया और वर्ष 1938 में उन्होंने मासिक पत्र निकालना जिसका नाम रुपाभ था।
पंत जी ने 1950 से 1957 तक आकाशवाणी में कार्य करते रहें आकाशवाणी में मुख्य पद पर कार्यरत थे पंत जी की विचारधारा योगी अरविंद से प्रभावित हुई थी जो हिंदी साहित्य के रचनाओं में संकलित है।
पंतजी की प्रमुख रचनाएं –
पंत जी ने हिंदी संस्कृत अंग्रेजी और बंगाल में अनेकों रचनाएं लिखी थी जिनमें से निम्नलिखित है
ग्रन्थि,
गुंजन,
ग्राम्या,
युगांत,
स्वर्णकिरण,
स्वर्णधूलि,
कला और बूढ़ा चाँद,
लोकायतन,
चिदंबरा,
सत्यकाम
पंतजी के पुरस्कार –
सुमित्रानंदन पंत जी को साहित्यिक रचनाओं के लिए अनेकों पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जो निम्नलिखित है –
1.पदम भूषण पुरस्कार 1961
2.ज्ञानपीठ पुरस्कार 1968
3.साहित्य अकादमी
4.सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
स्वतंत्र संग्राम में योगदान –
सुमित्रानंदन पंत ने अपने कॉलेज की पढ़ाई को छोड़कर गांधी जी द्वारा चलाया गया 1921 का असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और देश के स्वतंत्र संग्राम की गंभीरता के प्रति पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया 1930 के नमक सत्याग्रह आंदोलन से बहुत प्रभावित हुए स्वतंत्र संग्राम के लिए जुटे रहे उनके बाद में पंत जी ग्रामीण जीवन से अधिक निकट चले गये और ग्रामीण जीवन की पृष्ठभूमि में संवेदना और हृदय से अंकित होने लगे
पंत जी ने आध्यात्मिक एवं दार्शनिक सत्य को वाणी न देकर व्यापक मानवीय संस्कृति तत्वों को अभिव्यक्ति दी जिसमें अन्न, प्राण, आत्मा, आदि मानव जीवन के सभी स्वरों को चेतावनी को संयोजित करने का प्रयत्न किया
पंतजी की मृत्यु –
आधुनिक हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि पंतजी का निधन 28 दिसंबर 1977 को संगम नगरी इलाहाबाद में देवास हो गया उसके बाद में हिंदी साहित्य का प्रकाश पुंज हमेशा के लिए शांत हो गया था।
प्रमुख कवि लिस्ट पढ़े |