सूर्यमल्ल मिश्रण कौन थे

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सूर्यमल्ल मिश्रण कौन थे 

सूर्यमल्ल मिश्रण –

वंश भास्कर के रचयिता महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण का जन्म कार्तिक बदी1, वि.सं. 1872 में तथा स्वर्गवास बदी 11, वि.सं. 1925 को हुआ था इनके पिता का नाम श्री चंडीदान एं माता का नाम श्रीमती भवानीबाई था चंडीदान जी बून्दी नरेश महाराव रामसिंह के आश्रित कवि थे सूर्यम्मल मिश्रण बचपन से ही बङे प्रतिभा सम्पन्न थे अपने पिता के बाद उन्होंने महाराव रामसिंह के दरबारी कवि के रूप में प्रसिद्धि पाई।
जन्म तथा शिक्षा सूर्यमल्ल मिश्रण का जन्म राजस्थान में बूँदी ज़िले के एक प्रतिष्ठित परिवार में संवत 1872 (1815 ई.) में हुआ था बूँदी के तत्कालीन महाराज विष्णु सिंह ने इनके पिता कविवर चंडीदान को एक गाँव, लाखपसाव तथा कविराजा की उपाधि प्रदान की थी सूर्यमल्ल मिश्रण अपनी बाल्यावस्था से ही प्रतिभा संपन्न थे अध्ययन में विशेष रुचि होने के कारण संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, पिंगल, डिंगल आदि कई भाषाओं में इन्हें दक्षता प्राप्त हो गई थी कवित्व शक्ति की विलक्षणता के कारण अल्पकाल में ही इनकी ख्याति चारों ओर फैल गई सूर्यमल्ल मिश्रण की छ: पत्नियाँ थीं, जिनके नाम थे- ‘दोला’, ‘सुरक्षा’, ‘विजया’, ‘यशा’, ‘पुष्पा’ और ‘गोविंदा’ संतानहीन होने के कारण इन्होंने मुरारीदान को गोद ले कर अपना उत्तराधिकारी बनाया था रचना बूँदी नरेश महाराव रामसिंह के आदेशानुसार संवत 1897 में इन्होंने ‘वंश भास्कर’ की रचना की। इस ग्रंथ में मुख्यत: बूँदी राज्य का इतिहास वर्णित है, किंतु यथाप्रसंग अन्य राजस्थानी रियासतों के व्यक्तियों और प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं की भी चर्चा की गई है युद्ध-वर्णन में जैसी सजीवता इस ग्रंथ में है, वैसी अन्यत्र दुर्लभ है ‘वंश भास्कर’ को पूर्ण करने का कार्य कवि सूर्यमल के दत्तक पुत्र मुरारीदान ने किया था राजस्थानी साहित्य में बहुचर्चित इस ग्रंथ की टीका कविवर बारहठ कृष्णसिंह ने की है ‘वंश भास्कर’ के कतिपय स्थल भाषाई क्लिष्टता के कारण बोधगम्य नहीं है, फिर भी यह एक अनूठा काव्य-ग्रंथ है इनकी ‘वीरसतसई’ भी कवित्व तथा राजपूत शौर्य के चित्रण की दृष्टि से उत्कृष्ट रचना है।

सूर्यमल्ल मिश्रण के ग्रन्थ –

1.वंश भास्कर
2.वीर सतसई
3.बलवद्विलास
4.छंदोभमूल
5.रामरंजाट
6.सती-रासो
7.धातु-रूपावली

महाकवि की प्रतिमा स्थापना के विचार –

कवि जगदीश शर्मा हरना वालो ने कविता के माध्यम से महाकवि के जीवनी पर प्रकाश डाला
हास्यकवि कैलाश मयंक ने बताया कि हिण्डोली की पहचान महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण की वजह से आज प्रदेश और देश में है उनके लिए हमें और भी प्रयास करने चाहिए जिससे युवा वर्ग प्रेरणा ले सके संगोष्ठी में पूर्व पंचायत समिति सदस्य प्रभुलाल सेन, एडवोकेट भंवर लाल गुर्जर , वरिष्ठ अध्यापक रणजीत खींची, राकेश शर्मा, पूर्व प्रधान पोखर सैनी ने भी विचार व्यक्त किये।
विकास समिति द्वारा वक्ताओं को स्मृति चिन्ह के रूप में प्रशस्ति पत्र एव महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण की जीवन परिचय पुस्तक भेंट की गयी अंत में समिति के उपाध्यक्ष चिराग नकलक और शुभम सुवालका ने सभी को धन्यवाद देकर आभार व्यक्त किया। इस दौरान मनोज सैनी , कमलेश सुवालका , महावीर सैनी महेन्द्र गहलोत , दुर्गा लाल सैनी , अब्दुल नजीर आदि कार्यकर्म में उपस्थित रहे।

सूर्यमल्ल मिश्रण (मीसण) (संवत‌ 1872 विक्रमी – संवत्‌ 1925 विक्रमी) बूँदी के हाड़ा शासक महाराव रामसिंह के दरबारी कवि थे उन्होने वंश-भास्कर नामक पिंगल काव्य ग्रन्थ की रचना की जिसमें बूँदी राज्य के विस्तृत इतिहास के साथ-साथ उत्तरी भारत का इतिहास तथा राजस्थान में मराठा विरोधी भावना का उल्लेख किया गया है वे चारणों की मीसण शाखा से सम्बद्ध थे वे वस्तुत: राष्ट्रीय-विचारधारा तथा भारतीय संस्कृति के उद्बोधक कवि थे वीरता के सम्पोषक इस वीररस के कवि को ‘वीर रसावतार’ कहा जाता है।

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