भरतपुर का इतिहास

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भरतपुर का इतिहास वीरता पराक्रम और गंभीर संघर्ष की कहानी है जबकि प्राचीन इतिहास 3500 साल पुराना है और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है भरतपुर में मध्यकालीन युग जाट शक्ति के उदय का गवाह था वास्तव में यह क्षेत्र जाट समुदाय के लिए शक्ति केंद्रों में से एक बन गया हालाँकि भरतपुर का आधुनिक इतिहास ब्रिटिश क्षेत्रों के लिए इसकी भिन्नता के साथ काफी अलग-अलग किस्से बताता है जो पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं उनसे यह सिद्ध होता है कि भरतपुर का इतिहास महाभारत के काल का है भरतपुर कभी मत्स्य देश का हिस्सा था और यहीं पर पांडव बंधुओं ने अपना 13 वां वनवास काल व्यतीत किया था कुरुक्षेत्र के युद्ध में मत्स्य देश के लोगों ने पांडवों की मदद की थी भरतपुर का नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर रखा गया था लोक मान्यता के अनुसार जाटों का चंद्रमा भगवान से अवतरण माना जाता है 17 वीं शताब्दी के अंत में सिनसिनी और थून गांवों के जाट मुगल सत्ता के खिलाफ उठे भरतपुर व धौलपुर में शासन जाटों ने किया था भरतपुर के जाट शासक लक्ष्मण को अपना कुलदेवता मानते थे राजस्थान में एकमात्र लक्ष्मण मन्दिर भरतपुर में ही हैं भरतपुर के शासकों की कुलदेवी राजेश्वरी माता हैं।

भरतपुर का इतिहास 

भरतपुर भूतपूर्व जाट-रियासत का मुख्य नगर है जिसकी स्थापना चूणामणि जाट ने 1700 ई. के लगभग की थी इमादउस-सयादत के लेखक के अनुसार चूरामन (चूणामणि) ने जो अपने प्रारम्भिक जीवन में लूटमार किया करता था भरतपुर की नींव एक सुदृढ़ गढ़ी के रूप में डाली थी यह स्थान आगरा से मात्र 48 कोस पर स्थित था गढ़ी के चारों ओर एक गहरी परिखा थी धीरे-धीरे चूरामन ने इसको एक मोटी व मज़बूत मिट्टी की दीवार से घेर लिया गढ़ी के अन्दर ही वह अपना लूट का माल लाकर जमा कर देता था आसपास के कुछ गाँवों में उसने कुछ चर्मकारों को यहाँ लाकर बसाया और गढ़ी की रक्षा का भार उन्हें सौंप दिया जब उसके सैनिकों की संख्या लगभग चौदह हज़ार हो गई तो चूरामन एक विश्वस्त सरदार को गढ़ी का अधिकार देकर लूटमार करने के लिए कोटा-बूँदि की ओर चला गया।

भरतपुर की जनसंख्या 

भरतपुर का अधिकांश क्षेत्र 18वीं सदी में स्थापित भूतपूर्व रियासत का है 1949 में यह राजस्थान राज्य का अंग बन गया इसकी जनसंख्या 2001 के अनुसार नगर पालिका क्षेत्र 2,04,456 तथा ज़िला कुल 20,98,323 है ।

भरतपुर के पर्यटन 

भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है 29 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है यहाँ आने वाले हर पर्यटन के आकर्षण का केंद्र पक्षी उद्यान ही रहता है सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है विलक्षण पक्षी देखना चाहते हैं तो अक्तूबर और अप्रैल में यहाँ आएँ हरियाणा में ‘सुल्तान पक्षी उद्यान’ और उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशलन पार्क भी पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छे ठिकाने हैं यहाँ 150 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देख सकते हैं जिनमें भारतीय मैना से लेकर बुलबुल तक शामिल हैं।

भरतपुर में कृषि 

भरतपुर उत्तर और दक्षिण में विलग पहाड़ी क्षेत्र में एक विस्तृत जलोढ़ मैदान में स्थित है बाजरा, चना, जौ, गेंहूँ और तिलहन यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं।

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