कुशवाहा गोत्र लिस्ट

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कुशवाहा वंशियो का असली इतिहास जानने के बाद अब समझ में आया की कुशवाहा मौर्या वंशी इतने धार्मिक और ईमानदार व् सात्विक क्यों होते है सभी हिन्दुओ में सिर्फ इन्ही की वशावली का जुड़ाव श्री राम चंद्र जी के वंशजो तक जाताहै भारत में अखंड राज करने वाली इन जातियों में आज भी सात्विकता का स्तर हर किसी जाति से ज्यादा है और ये लोग सनातन धर्म के सबसे बड़े वाहक रहे हैं बाद में इनकी अगुआई में बुध्ह धर्म ने बहुत विकास किया कुशवाहा वंशी कुषाणों का राज्य तो युरप के अरल सागर तक फैला था जहा आज किर्गिस्ता और उज्बेकिस्तान है जहा बाद में मुस्लिमो के एक तरफ़ा धार्मिक उन्माद और नर संहार ने हिंदुकुश के पुरे इलाके से हिन्दुओ का सफाया कर दिया ध्यान रहे गांधारी का मायका कहा था सबको मालूम है यह इलाका आज कट्टर मुस्लिमो का गढ है जिस बाबर ने हिन्दुओ के कत्ले आम को खुदा का आदेश कहा था वह खुद ही 4 करोड लोगो को मार डालने वाले चंगेज खान और हिन्दुओ को थोक के भाव मरने वाले तैमूर लंग दोनों के खानदान संबंध रखता है जिन्हें नेहरू ने इतिहास में महँ योद्धा बता दिया और लाखो हिन्दुओ का कत्ले आम करने वाले अकबर के सामने सम्राट अशोक की तर्ज पर महान शब्द जोड़ दिया भारत के इतिहास को पुनः लिखने की नितांत आवश्यकता है सात्विकता से जीवन बिताने वाले हिन्दुओ ने इस्लाम सिर्फ इसलिए स्वीकार किया की उनकी जान और बहन बेटियों की इज्जत बची रहे,,अधिसंख्य हिन्दुओ ने यातना से बचने के लिए अपना धर्म छोड़ दिया लेकिन दगाबाजी नही |

कुशवाहा साम्राज्य का पतन 

> कुछ लोगो को मिर्ची लग सकती है लेकिन सत्य तो कडवा होता ही है अतः पहले ही क्षमा प्रार्थी हूँ अगर मेरे लेख से किसी की सुलग पड़े तो वो बाथरूम का दरवाजा खुला रक्खे
> मित्रो कुशवाहा समाज के अस्तित्व की धारणा भगवान श्री राम के पुत्र कुश की वंश परम्परा की प्रारभिक अवस्था से सक्रीय और सुसंपन्न और गती शील है।
> किन्तु कुछ बौद्ध वादी विचारको की दृष्टि में न कोई श्री राम थे और न कोई कुश अतः कुशवाहो का सूर्य वंश या श्री राम के वंश से कोई ताल्लुक नही ये कल्पना मात्र है।
> तो इस प्रकार मित्रो आप के अस्तित्व को कल्पना और मिथक के बोरे में ठूस कर हजारो सालो के प्रयत्न के उपरांत आप को सूर्य वंश से हटा कर शाक्या वंश में प्रतिपादित किया गया।
> जबकि आधुनिक इतिहास में शाक्यो के बारे में कोई एक निश्चित तथ्य नही मिलते जो ये शिद्ध करता हो के कुश की वंशावली का अग्रदूत कुशवाहा समाज मूल रूप से बुद्ध से सम्बंधित है या शाक्यो से सम्बंधित है।
> किन्तु सनातन धर्म शास्त्रों में पूर्णतया ये स्पस्ट है के कुश की वंशावली में जन्मे महाभारत काल में राजा शल्य थे जो पांड्वो के मामा थे। उसके उपरांत महाभारत के युद्ध के पश्चात् क्षत्रिय राजाओ की विभिन्न वंशावलियो का उल्लेख है। जो ये दर्शाने के लिए है के कुशवाहो का सम्बन्ध किसी नीच दलित जाती से कभी नही था।

कुशवाहा वंश का इतिहास 

किन्तु भारतीय प्राचीन धर्म शास्त्रों को भ्रामक और तथ्य विहीन बना कर आधुनिक बौद्धों ने हमारे इतिहास के साथ बहुत ही भद्दा मजाक किया और हम क्षत्रिय वंशियो के अस्तित्व को समाप्त करते हुवे एक अलग इतिहास लिखा जिसमे कुशवाहा या शक्यो की उत्पत्ति के बारे में बेशर्मो और जाहिलो जैसा वर्णन किया जो एक सम्मानित मर्यादित जीवन से उठा कर कचरे के डब्बे में भरने के उपयुक्त साबित हुवा।
बुद्धो के साहित्य बुद्ध घोष में ऐसा वर्णन मिलता है। के काशी के नरेश की 6 पुत्रियाँ और 5 पुत्र थे रजा ने तदोपरांत दूसरा विवाह किया और उस रानी से जन्मे पुत्र को राज्य देने के वचन निम्मित इन 6 पुत्रियो और 5 पुत्रो को राज्य से निष्काषित कर दिया उसके उपरांत ये लोग लुम्बिनी के जंगलो में आ कर बस गए और 5 भाइयो ने अपनी ही सगी बहनों के साथ नाजायज सम्बन्ध स्थापित कर उन्हें पुत्र वती बना दिया और सगे भाई बहन ही पति पत्नी के रूप में रहने लगे जिन्हें शाक्या वंश के नाम से जाना जाने लगा।

कुशवाहा वंश का उद्देश्य 

इस तथ्य को बताने के पीछे मेरा उद्देश्य सिर्फ यही है के हम इज्जत की वंशावली और गौरव पूर्ण राजवंश में स्वय को प्रतिस्थापित करना चाहेंगे या नीचता की हद में लिखे गए झूठे असंगत बौद्ध साहित्य को’ जिसमे हमारी वंश परम्परा को और वंशजो को इतना कुकृत्य पूर्ण बताया गया है हमारी उत्पत्ति की इतनी घटिया और लज्जा जनक बाते लिखी गयी है।
और सबसे बड़ी बात की ये कहानी बौद्ध साहित्यों के सिवा और कही किसी भी धर्म संप्रदाय और समाज में सुनने को नही मिलती की कुशवाहा वंश ऐसे कुकर्मी कृत्यों की वंश परम्परा का अंग है।

कुशवाहा वंश की जिमेदारियो 

तो इस प्रकार मित्रो सूर्य वंश के अंत का दौर लिखा गया और कुशवाहा शाशको के मस्तिस्क से राम के मर्यादित विश्वविजयी चरित्र को हजारो वर्षो के गठिया साहित्यिक श्रीजन के साथ समाप्त कर एक घर से भागे ऐसे व्यक्ति को जो अपनी कायरता वश घर छोड़ आधी रात में भाग गया था बूढ़े पिता की जिम्मेदारियों पत्नी की जिमेदारियो और अबोध बच्चे की जिमेदारियो से भाग खड़े होने वाले कायर को हमारा वंशज बनाया गया। इस बात के पर्याप्त सबूत है की बुद्ध ने जब घर छोड़ा उस समय उस राज्य में गृह युद्ध जैसी स्थिती इसी से घबरा कर उन्होंने घर छोड़ा और इतिहास कहता है की समाज कल्याण के लिये छोड़ा जो बिलकुल गलत और अविश्वसनीय है खैर मेरा मुख्य बिंदु ये नही मेरा उद्देश्य बस इतना है की हमें भ्रमित किया गया बौद्धों द्वारा हमारा वास्तव में कोई शत्रू है तो बौद्ध है जो हमारे पतन के वास्तविक जिम्मेदार है।

आदिकालीन वंश से उत्पन्न कुशवाहा वंश 

आदिकालीन वंश- सूर्यवंश से उत्पन्न दो राजवंश कुशवाहा तथा गहलोत )
रवा राजपूत में शामिल छ राजवंश तथा समय के साथ पैदा हुई उनकी शाखाऐं इस प्रकार है।
> आदिकालीन वंश- सूर्यवंश से उत्पन्न दो राजवंश गहलोत तथा कुशवाहा
गहलोत राजवंश का आदिकालिन गोत्र वैशम्पायन है तथा कुशवाहा राजवंश का आदिकालीन गोत्र मानव मनू है
> आदिकालीन वंश- चंद्रवंश से उत्पन्न दो राजवंश तॅवर तथा यदुवंश
तॅवर राजवंश का आदिकालिन गोत्र व्यास है तथा यदु राजवंश का आदिकालीन गोत्र अत्रि है
> आदिकालीन वंश- अग्निवंश से उत्पन्न दो राजवंश चौहान तथा पंवार
चौहान राजवंश का आदिकालिन गोत्र वत्स/वक्च्हस है तथा पॅवार राजवंश का आदिकालीन गोत्र वशिष्ठ है
उपरोक्त राजवंशो को बाद में आवश्यकता अनुसार कुछ शाखाओं में विभाजित किया गया और दुर्भाग्य से इन शाखाओं का गोत्र के रूप में प्रयोग होने लगा है
गहलोत वश (गोत्र-वैस्पायन) – वैस्पायन, गहलोत, अहाड, बालियान, व ढाकियान
कुशवाहा वंश (गोत्र- मानव) – मानव, कुशवाहा, देशवाल, कौशिक व करकछ
तॅवर वंश (गोत्र-व्यास) – व्यास, तंवर, सूरयाण, माल्हयाण, सूमाल, बहुए, रोझे, रोलियान, चौवियान, खोसे, छनकटे, चौधरान, ठकुरान, पाथरान, गंधर्व, कटोच, बीबे, पांडू, झब्बे, झपाल, संसारिया व कपासिया
यदुवंश (गोत्र-अत्री) – अत्री, यदु, पातलान, खारीया, इन्दारिया, छोकर, व माहियान
चौहान वंश (गोत्र-वत्स) – वत्स, चौहान, खारी या खैर, चंचल, कटारिया, बूढियान, बाडियान या बाढियान, गरूड या गरेड, कन्हैडा या कान्हड, धारिया, दाहिवाल, गांगियान, सहचरान व माकल या माकड या भाकड या बाकड
पंवार वंश (गोत्र-वशिष्ठ) – वशिष्ठ, पंवार, टोंडक, वाशिष्ठान, ओजलान, डाहरिया, उदियान या उडियान, किरणपाल व भतेडे
उपरोक्त सभी वस्तुत: छ राजवशों की शाखाऐं है परन्तू अव वैवाहिक सुविधा के कारण इनका प्रयोग गोत्र के रूप में भी किया जाता है वास्तव में ये शाखाऐं गोत्र नही है इस कारण भूल वश एक गौत्र की अलग अलग शाखा मे ही शादी विवाह होने लगे हैं।
अनेक क्षेत्रों मे इन छ: राजवंशो के राजपूत स्वयं को रवा राजपूत के बजाय अपने राजवश के नाम का सम्बोधन जैसे तंवर, चौहान, पवांर आदि, करते हैं।

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने कुशवाहा गोत्र लिस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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