सिरोही का इतिहास

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राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित सिरोही राज्य का सबसे ठंडा जिला हैं यह देवड़ा चौहान शाखा के राजपूत राजाओं का राजधानी शहर था आबू रोड, माउंट आबू, शिवगंज और पिंडवाडा जिले के अहम स्थल है जिले को वर्ष 2014 सबसे स्वच्छ जिले के रूप में सम्मानित किया गया था आज के लेख में हम सिरोही हिस्ट्री इसके प्राचीन इतिहास को यहाँ जानेगे |

सिरोही का इतिहास 

चौहान कुल के देवड़ा वंश ने 1206 ईस्वी सन् स्वर्णगिरि जालौर से आकर इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य साथ स्थापित किया राज्य की प्रथम राजधानी बरलुट रही इसके बाद वाडेली इसके बाद 1307 ईस्वी सन् में महान शासक विजय राजजी ने चंद्रावती पर अधिपत्य स्थापित किया ये नगरी पूर्व अरावली से पश्चिम में आबू तक थी इस विशाल नगरी में 999 झालर बजती थी बताते है की जिस शहर में 1000 मंदिर थे वो शहर कैसा होगा जब कोई इस शहर में रहने आता था तो राजा के आदेश पर प्रति घर से उसे एक ईंट और एक रुपया दिया जाता था जिससे वो अपने घर का निर्माण कर सके और वयवसाय कर सके 1392 ईस्वी सन में शिवभाण का राज्यारोहण हुआ और 1395 में गुजरात के सुलतान ने अति विशाल सेना से आक्रमण किया और चंद्रावती नगरी को पूर्ण ध्वस्त कर दिया यहॉ के देवड़ा शूरवीरता से लड़े परन्तु इस नगरी को नही बसा सके 1395 में आबू की गोद में राजा अमरीश की राजधानी अमरावती को अपनी राजधानी बनाई जो अपभ्रंश में उमरणी कहलाती है |

देवड़ों की उत्पति 

इतिहास के अवलोकन से ऐसे तथ्य प्रकट होते हैं कि देवड़ा राजपूतों की दो शाखाएँ रही हैं राजपूतों में एक ही नाम की एक से अधिक शाखाएँ मिलती हैं जैसे कछवाहों में चौमू तथा सामोद आदि के ठाकुरों की नाथावत शाखा है इनके अतिरिक्त इस शाखा से भी प्राचीन कछवाहों में इसी नाम की एक ओर शाखा है इसी प्रकार कछवाहों के अलावा सोलंकियों में भी नाथावत नाम की एक शाखा है।
सिरोही की देवड़ा शाखा से भिन्न देवड़ा शाखा का प्रादुर्भाव सांभर के चौहान शासक के देवराज नाम के एक पुत्र से हुआ था इस शाखा का आबूगिरि के वि.सं.1225 और 1229 के प्राप्त दो शिलालेखों में वर्णन है समयावधि के पश्चात् चौहानों की यह प्रथम शाखा नाम शेष हो गई।

सिरोही प्रमुख दर्शनीय स्थल 

> देलवाडा जैन मन्दिर
> पावापुरि जैन मन्दिर व गोउशाला
> हनुमानजी मन्दिर, वराडा
> भुतेश्वर महादेव मन्दिर, भुतगाँव
> सार्नेश्वर महादेव मन्दिर, सिरोही
> श्री आम्बेश्वर महादेव मन्दिर, कोलरगङ, सिरोही
> श्री काम्बेश्वर महादेव मन्दिर, सिरोही
> श्री सान्चिया माता मन्दिर, जावाल
> श्री वेज्नाथ महदेव मन्दीर वान
> श्री वाराही माताजी मंदिर पालडी
> सुँधा माता मंदिर {राँगी गौत्र} इंदिरा कोलॉनी भूतगाँव
> सगत सती लुंगबाईसा हिंगलाज धाम, वलदरा (कालन्दी)(सिरोही से 25किमी दुरी पर)
> हनुमानजी मंदिर, वलदरा (कालन्दी)(सिरोही से 25किमी दुरी पर)
> वोवेश्वर महादेव (झाड़ौली वीर)
> लीलाधारी महादेव (मंडार)(सिरोही से 70किमी दुरी पर)
> सांवलाजी मंदिर (वेलांगरी)(सिरोही से 20 किमी दुरी पर)
> रामेश्वर महादेव मन्दिर (मालेरा पिण्डवाडा)(सिरोही से 45किमी दुरी पर)
> गोपेश्वर महादेव मन्दिर (वरली पिण्डवाडा)(सिरोही से 35 किमी दुरी पर)
> ढेकुनाथ महादेव (मालेरा पिण्डवाडा)(सिरोही से 50 किमी दुरी पर)
> विश्व विख्यात सरस्वती मंदिर (अजारी)
> मार्कण्डेश्वर मंदिर अजारी (विरास)
> नीलकण्ठ‌ ‌‌‌महादेव मंदिर कांटल (अजारी)
> हडमतिया हनुमान जी मन्दिर (कालंद्री)
> शनि मंदिर (शनिधाम कालंद्री)

नोट > सिरोही का इतिहास की ऐतिहासिक जानकारी काफी विस्तृत है हमने अपने इस पोस्ट में मुख्य पहलुओं पर ही जानकारी दी है फिर भी कोई महत्वपूर्ण जानकारी छूट गयी है तो हम उसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं।

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने सिरोही का इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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